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चीन में एचएमपीवी वायरस के फैलने से दुनिया भर में चिंता बढ़ गई हैं, लेकिन यह कोई नया वायरस नहीं है : रिपोर्ट

चीन में एचएमपीवी वायरस के फैलने से दुनिया भर में चिंता बढ़ गई हैं. लेकिन यह कोई नया वायरस नहीं है. कुछ दशकों नहीं बल्कि कुछ सदियों से मौजूद इस वायरस का इन्फेक्शन लभगग हर किसी को कम से कम एक बार जरूर होता है.

चीन के कई हिस्सों में एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के फैलने की खबरें आ रही हैं. कोरोना महामारी का सामना कर चुकी दुनिया इसे लेकर काफी सावधान है. साल 2001 में नीदरलैंड्स में एक शोध समूह ने एचएमपीवी की पहचान की थी. तब यह भी पता चला था कि यह वायरस काफी सालों से इंसानों में फैलता रहा है.

चीन में एचएमपीवी के प्रकोप की खबरें आने से पहले, चीन के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण एवं रोकथाम प्रशासन ने घोषणा की थी कि वे निमोनिया के मामलों की वजह से नए रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल की जांच कर रहे हैं. सरकारी समाचार चैनल सीसीटीवी के मुताबिक, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि चीन में सर्दियों के महीनों में कई सामान्य संक्रमणों का फैलाव हो रहा था. उन्होंने कहा कि इन बीमारियों के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाइयों पर भरोसा करना चाहिए.

क्या है एचएमपीवी की मौजूदा स्थिति
एचएमपीवी एक जाना-पहचाना वायरस है. इसके बारे में काफी जानकारी पहले से उपलब्ध है. पिछले हफ्तों में, चीन के उत्तरी हिस्सों में युवाओं में इसके मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है. इसके अलावा, राइनोवायरस के मामले भी बढ़े हैं. राइनोवायरस सामान्य सर्दी-जुकाम की एक प्रमुख वजह है.

भारत में अब तक इसके एक दर्जन से कम मामले सामने आए हैं. वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक मीडिया रिलीज में कहा है कि एचएमपीवी कई सालों से भारत समेत दुनियाभर में फैलता रहा है और देश में फ्लू या गंभीर श्वास बीमारियों के मामलों में कोई असामान्य बढ़ोत्तरी नहीं देखी गई है. विशेषज्ञों का भी कहना है कि यह कोई बड़ी हेल्थ इमरजेंसी नहीं है.

जैकलीन स्टीवंस ऑस्ट्रेलिया की फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी में महामारी विज्ञान विशेषज्ञ हैं. वे कहती हैं, “संभव है कि मौजूदा बढ़ोतरी, सर्दियों में होने वाली सामान्य मौसमी वृद्धि है. बच्चों में यह बीमारी ज्यादा फैल रही है. यह बात वायरस के बारे में हमारी जानकारी को दर्शाती है. यह बचपन में होने वाली श्वास संबंधी बीमारी का एक सामान्य कारण है.”

जिल कार फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी में वायरोलॉजिस्ट यानी विषाणु विज्ञानी हैं. वे कहती हैं, “चीन में एचएमपीवी का प्रकोप, कोरोनावायरस महामारी से बेहद अलग है. कोरोना वायरस इंसानों के लिए बिल्कुल नया था और उसके खिलाफ कोई सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा यानी इम्युनिटी नहीं थी.”

आरएसवी से मिलता-जुलता है वायरस
श्वसनतंत्र संबंधी बहुकेंद्रीय वायरस (आरएसवी) की वजह से अल्प-कालीन संक्रमण होते हैं. आरएसवी जिस वायरल परिवार से आता है, एचएमपीवी भी उसी का हिस्सा है. आरएसवी की तरह, एचएमपीवी भी एक मौसमी संक्रमण है जो ठंड के महीनों में होता है. साल 2001 में नीदरलैंड्स के शोध समूह ने 28 बच्चों में इसकी पहचान की थी. उससे पहले एचएमपीवी के मामलों की पहचान अक्सर आरएसवी के मामलों के तौर पर की जाती थी, क्योंकि दोनों के लक्षणों में काफी समानता थी.

इस वायरस की पहचान करने वाले शोध समूह का नेतृत्व कर चुके अलबर्ट ओस्टरहाउस कहते हैं कि हमने पाया था कि पांच साल से अधिक उम्र के सभी बच्चों में एचएमपीवी वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मौजूद थीं. ओस्टरहाउस फिलहाल जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी मेडिसिन में वायरोलॉजिस्ट हैं. उन्होंने और उनके साथियों ने यह पाया है कि एचएमपीवी सैंकड़ों सालों से मनुष्यों में फैलता रहा है.

कोरोनावायरस और इन्फ्लूएंजा के उलट, एचएमपीवी काफी स्थिर प्रतीत होता है. यानी इसमें म्युटेशन कम होते हैं और समय के साथ इम्युनिटी कमजोर होने पर दोबारा इसका संक्रमण होता है. ओस्टरहाउस कहते हैं, “इन्फ्लूएंजा वायरस म्युटेशन में माहिर है. वहीं, तुलनात्मक रूप से एचएमपीवी स्थिर है. हमने 10 से 15 साल पहले के आरएसवी और एचएमपीवी वायरस देखे हैं और हमें थोड़ा अंतर दिखा, लेकिन कोई बड़ा बदलाव नहीं था.”

क्या हैं एचएमपीवी के लक्षण
एचएमपीवी की वजह से ऊपरी और निचले श्वसन मार्ग में संक्रमण होता है. इसके लक्षण आरएसवी जैसे ही होते हैं. इन लक्षणों में खांसी, बुखार और नाक बंद होना शामिल है, जो अक्सर अन्य वायरसों के चलते भी होता है. हल्के मामलों में इसकी पहचान करना मुश्किल हो सकता है.

अन्य श्वास संबंधी बीमारियों की तरह, एचएमपीवी भी संक्रामक है. जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता है या खांसता है तो उसके मुंह से छोटी बूंदें निकलती हैं, जो हवा में ही रह जाती हैं. अगर कोई दूसरा व्यक्ति इन बूंदों के संपर्क में आता है तो वह संक्रमण का शिकार हो सकता है. इसके अलावा, संक्रमित स्थानों को छूने से या हाथों या त्वचा के जरिए शारीरिक संपर्क होने से भी संक्रमण फैल सकता है.

वैसे तो कोई भी व्यक्ति एचएमपीवी से संक्रमित हो सकता है लेकिन बहुत छोटे बच्चों और बुजुर्गों में इस बीमारी के गंभीर होने का ज्यादा खतरा होता है.

क्या एचएमपीवी के इलाज का कोई तरीका है
मौजूदा समय में एचएमपीवी के लिए कोई उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है. बचाव के उपाय जैसे, साफ-सफाई का ध्यान रखने, संक्रमित लोगों से दूरी बनाकर रखने और मास्क पहनकर बाहर जाने पर इससे बचने की संभावना होती है. इसके अलावा, संक्रमित लोगों को सलाह दी जाती है कि वे संक्रमण के दौरान घर में ही रहें, भीड़ वाली जगहों पर ना जाएं क्योंकि इससे बीमारी के फैलने का खतरा होता है.

इसके लिए टीका भी बनाया जा रहा है. ओस्टरहाउस कहते हैं, “एचएमपीवी के लिए मुझे लगता है कि यह आरएसवी से काफी मिलता-जुलता है. इसलिए मैं उम्मीद कर रहा हूं कि जो कंपनियां आरएसवी का टीका बनाने पर काम कर रही हैं, उनका अगला लक्ष्य एचएमपीवी का टीका बनाना होगा.” वे कहते हैं कि आने वाले सालों में एचएमपीवी का टीका तैयार हो जाएगा.

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मैथ्यू वार्ड आगीयूस

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