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चीन में अब तक की सबसे बड़ी कोविड-19 की लहर आई है, भारत के लिए कितना ख़तरा है : रिपोर्ट

एम्स के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कोरोना महामारी के नए ख़तरे को लेकर कहा है कि भारत में महामारी के तीन सालों में स्थितियां काफ़ी बदली हैं.

उन्होंने अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि कई देशों में बढ़ रहे कोरोना मामलों के बीच भारत के लिए कितना ख़तरा है और देश कितना तैयार है.

भारत में कोविड को लेकर फिर से चिंता इसलिए बढ़ गई हैं क्योंकि पड़ोसी देश चीन में अब तक की सबसे बड़ी कोविड-19 की लहर आई है. वहाँ कोरोना संक्रमण अब तक की सबसे तेज़ रफ़्तार से बढ़ रहा है.

चीन के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया और ब्राज़ील में भी कोरोना संक्रमण के मामले काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहे हैं.

रणदीप गुलेरिया ने कहा, ”जब महामारी की शुरुआत हुई थी तो हमारे अंदर वायरस को लेकर कोई इम्यूनिटी नहीं थी जिससे कई लोगों में गंभीर संक्रमण हो गया था. लेकिन अब, महामारी के तीन सालों बाद हम ऐसी स्थिति में हैं जहां प्राकृतिक संक्रमण बड़ी संख्या में है और कई लोग कई बार संक्रमित हो चुके हैं. वहीं, वैक्सीन भी बड़ी आबादी तक पहुंच चुकी है.”

”हमारी प्रतिरक्षा क्षमता वायरस से लड़ने के लिए काफ़ी मजबूत है और इससे वायरस गंभीर रूस से बीमार नहीं कर सकता. पहले हमने अल्फ़ा, बीटा और डेल्टा वेरिएंट देखे थे लेकिन, पिछले एक साल में हमने लगातार ओमिक्रॉन वेरिएंट की अलग-अलग प्रकार देखे हैं. कोई वेरिएंट ऐसा नहीं जो पूरी तरह अलग हो.”

उन्होंने कहा, ”हालांकि, हमें सतर्क रहने और सक्रियता के साथ निगरानी करने की ज़रूरत है क्योंकि हमने नहीं पता कि वायरस कैसे प्रतिक्रिया करेगा. लगता है कि वायरस स्थिर और हल्का हो गया है. लेकिन, हमें मौतें बढ़ने और लोगों के अस्पताल में भर्ती होने के कारणों को देखना होगा.”

कोविड का समाना करने के लिए चुनौतियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ”चीन और इटली में जैसी स्थितियां बनी थीं उसे देखकर लगता है कि कम तैयारी से बेहतर है ज़रूरत से ज़्यादा तैयारी रखना. ये तरीक़ा कारगर है क्योंकि वैज्ञानिक, क्लीनिक और नीति निर्माता आपस में जुड़े होते हैं.”

गुलेरिया ने कहा, ”हमने पहले ही लॉकडाउन लगा दिया था, हालांकि कई लोगों को इस फर आपत्ति थी कि लॉकडाउन बहुत पहले ही लगा दिया गया. लेकिन, इससे जागरुकता फैलाने और तैयारी के लिए समय देने में मदद मिली. इस दौरान हमने मरीज़ों को संभालने के लिए बुनियादी ढांचा बदलने और तैयार करने के लिए बहुत काम किया. ये कांटो भरा रास्ता था लेकिन हमने कई पश्चिमी देशों से बेहतर प्रदर्शन किया.”