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चीन ने क्यों की ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव में एक ख़ास उम्मीदवार को हराने की अपील!

चीन की सरकार ने ताइवान के लोगों से कहा है कि वह आगामी राष्ट्रपति चुनाव में विलियम लाय को वट नहीं दें।

13 जनवरी को ताइवान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनावों के लिए मतदान होना है। बीजिंग का मानना है कि अगर लाय की चुनाव में जीत होती है तो दोनों देशों के बीच का टकराव, सीधे युद्ध में बदल सकता है। ग़ौरतलब है कि चीन, ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है, लेकिन ताइवान एक स्वतंत्र देश होने का दावा करता है।

हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि ताइवान एक बार फिर चीन के निंयत्रण में होगा और वह अपनी मात्र भूमि से जुड़ जाएगा। लेकिन चुनाव में विलियम लाय की जीत से चीनी अधिकारी इसिलए चिंतित हैं, क्योंकि वह ताइवान की स्वतंत्रता पर बहुत अधिक बल देते हैं और पश्चिम विशेष रूप से अमरीका, उनका समर्थन करता है।

अमरीका, ताइवान के मुद्दे को चीन पर दबाव डालने के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है। चीन हमेशा से ही अमरीका को ताइवान के अंधे समर्थन के लिए चेतावनी देता रहा है। चीन का कहना है कि ताइवान को लेकर उसने एक रेड लाइन खींच रखी है, अगर कोई उसे पार करेगा तो वह उसे बर्दाश्त नहीं करेगा।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ली टी वान का इस संदर्भ में कहना हैः चीन ने अमरीका को पहले ही कई बार चेतावनी दी है कि ताइवन के संबंध में वह उसकी रेड लाइन को पार करने की ग़लती न करे, हालांकि अमरीका ने एकल चीन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है, लेकिन व्यवहारिक रूप से उसने इसके विपरीत क़दम उठाया है। इसीलिए ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए होने वाले चुनाव से ठीक पहले अमरीका से कहा है कि वह ताइवन से सीधे औपचारिक संपर्क करने और उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचे।

दूसरी ओर अमरीका, विश्व में मज़बूत होती हुई चीन की स्थिति और अपने कमज़ोर होते हुए वर्चस्व के कारण, बीजिंग को निंयत्रण करने के लिए हाथ पैर मार रहा है। चीन के आसपास के जल क्षेत्रों में युद्धपोत भेजने और बीजिंग विरोधी गठबंधन बनाने के अलावा वाशिंगटन सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी समेत स्वतंत्रता समर्थकों का भी समर्थन करता है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ली सोंग ज़ुहुआ इस संबंध में कहते हैः वास्तव में अमरीका की नीति चीन को हथियारों की दौड़ में घसीटना है और साथ ही इस द्वीप के स्वतंत्रता आंदोलनों का समर्थन करके चीन और ताइवान के बीच संघर्ष को तेज़ करना है। स्थानीय चुनावों में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की हार यह साबित कर देगी कि ताइवान द्वीप के लोग चीन के साथ युद्ध और संघर्ष और तनाव बढ़ाने के ख़िलाफ़ हैं, जिसका यह पार्टी प्रयास कर रही है। इसीलिए चीनी सरकार ने ताइवान के मतदाताओं से चुनाव में सही विकल्प चुनने और ऐसे व्यक्ति को वोट देने के लिए कहा है, जो टकराव से बचे।