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चीनी राष्ट्रपति विशेष विमान से मॉस्को पहुंचे : अमरीकी ख़ेमे में चिंता : वीडियो

 

 

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चीन के राष्ट्रपति विशेष विमान से सोमवार को रूस की राजधानी मॉस्को पहुंच गए हैं जहां वह अपने रूसी समकक्ष से परस्पर रूचि के विभिन्न विषयों पर विचारों का आदान प्रदान करेंगे।

समाचार एजेन्सी स्पूतनिक के अनुसार चीनी राष्ट्रपति ने मास्को हवाई अड्डे पर उतरने के बाद दोनों देशों के संबंधों में विस्तार की उम्मीद जताई है। मास्को हवाई अड्डे पर उतरने के बाद रूस के उप प्रधानमंत्री और सैनिकों के एक गुट ने चीनी राष्ट्रपति का स्वागत किया।

प्राप्त समाचारों के अनुसार मास्को पहुंचने पर चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन और रूस दो भरोसेमंद भागीदार हैं और दोनों देशों के संबंधों में विस्तार पूरी दुनिया में प्रगति व विस्तार का ध्यान योग्य भाग है। इसी प्रकार उन्होंने आशा जताई है कि उनकी रूस यात्रा लाभदायक सिद्ध होगी और उनकी यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार में नया कदम साबित होगी।

रूसी राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता ने इससे पहले कहा था कि पुतीन और जिनपिंग आज गैर आधिकारिक मुलाकात करेंगे और कल मंगलवार को वे दोनों आधिकारिक मुलाकात करेंगे।

इसी बीच अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जान कर्बी ने जिनपिंग की रूस यात्रा की ओर संकेत करते हुए कहा था कि पुतीन और जिनपिंग की मुलाकात से अगर शांति का कोई प्रस्ताव निकल कर आता है तो वाइट हाउस उसे स्वीकार नहीं करेगा।

अभी हाल ही में चीन ने अपने यहां ईरान और सऊदी अरब के मध्य समझौता कराया जिससे इस बात की संभावना जताई जा रही है कि पुतीन और शी जिनपिंग की मुलाकात से रूस और यूक्रेन के मध्य शांतिं का कोई फॉर्मूला इस मुलाकात में निकल सकता है।

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किए जाने के बाद पहली बार कोई बड़ा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन से मुलाकात करने जा रहा है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक रूसी अखबार में पिछले दिनों एक लेख लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि रूस यात्रा के दौरान 12 सूत्रीय प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। अब यह दौरा जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद हो रहा है। यह दौरा इसलिए भी अहम हो सकता है कि रूस को चीन यह मैसेज देना चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस अलग- थलग नहीं पड़ा है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन और रूस की जंग के बीच जितनी बार भी रूस के खिलाफ प्रस्ताव लाए गए हैं, चीन ने उससे किनारा ही किया है। उसने वोटिंग में भाग नहीं लिया है। हाल के दौर में पहली बार किसी बड़े राष्ट्राध्यक्ष ने रूस का दौरा किया है।

चीनी राष्ट्रपति की मास्को यात्रा अमरीकी ख़ेमे के लिए चिंताजनक क्यों?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सोमवार को तीन दिवसीय दौरे पर रूस की राजधानी मास्को पहुंच रहे हैं, जहां वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ वन ऑन वन मुलाक़ात करेंगे, जिन्हें वह अपना सबसे अच्छा दोस्त क़रार देते हैं।

मास्को में होने वाली यह मुलाक़ात दोनों देशों के नेताओं के बीच 40वीं मुलाक़ात होगी। चीन के राष्ट्रपति को हाल ही में अभूतपूर्व रूप से तीसरे टर्म के लिए देश का नेता चुना गया है। जिनपिंग की नीतियों से साफ़ ज़ाहिर है कि वह दुनिया पर अमरीका के अधिनायकवाद को ख़त्म करके बहुध्रुवीय विश्व के विचार में यक़ीन रखते हैं।

चीनी राष्ट्रपति की मास्को यात्रा से यूक्रेन युद्ध की समाप्ति के लिए कोई महत्वपूर्ण क़दम उठाए जाने की उम्मीद भी है, जो अब दूसरे साल में दाख़िल हो चुका है। इस युद्ध में दोनों ही ओर से हज़ारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग अपना घर बार छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं।

हालांकि इस युद्ध के लिए सीधे तौर पर रूस को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि यह अमरीका और उसके कुछ सहयोगी देश हैं, जिन्होंने यह युद्ध रूस पर थोपा है। नाटो का लगातार विस्तार करके रूस के सामने सुरक्षा चुनौतियां पेश करना और नाटो को रूस की सीमाओं तक ले जाने की कोशिश को इस युद्ध के प्रमुख कारणों में से माना जा रहा है।

यहां यह सवाल उठता है कि शी जिनपिंग का मॉस्को दौरा रूस और चीन के लिए क्या लेकर आएगा, इससे यूक्रेन युद्ध किस तरह प्रभावित होगा और दोनों देशों के आपसी संबंधों पर इसका क्या असर होगा?

हाल ही में ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंधों की बहाली के लिए मथ्यस्थता करने वाले चीन से यूक्रेन में युद्ध विराम और मास्को और कीव के बीच वार्ता शुरू करने के प्रस्ताव को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं। इसे इन ख़बरों से भी बल मिल रहा है कि पुतिन से मुलाक़ात के बाद, जिनपिंग यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमिर ज़लेंस्की के साथ भी वर्चुअल मीटिंग करेंगे। अगर ऐसा होता है तो पिछले साल फ़रवरी में युद्ध शुरू होने के बाद, जिनपिंग और ज़ेलेंस्की के बीच यह पहली सीधी बातचीत होगी।

कहा जा रहा है कि चीनी राष्ट्रपति की मास्को यात्रा के दौरान, पुतिन और शी जिनपिंग के बीच तेल, गैस और एनर्जी पाइपलाइन को लेकर भी बातचीत हो सकती है। वहीं, ईरान-सऊदी अरब के बीच दोस्ती के बाद, चीन रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध रुकवाकर वैश्विक शांतिदूत का दर्जा हासिल करने में कामयाब होता है तो यह शी जिनपिंग के लिए बड़ी बात होगी।

सार्वजनिक रूप से चीन का मत यह है कि सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान होना चाहिए और इसके साथ ही सभी देशों की सुरक्षा से जुड़ी जायज़ चिंताओं का भी सम्मानपूर्वक समाधान होना चाहिए।