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चाय का एक कप आपको कैंसर का शिकार बना सकता है…..टमाटर महंगे होने के फ़ायदे!!

राधादेव शर्मा
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चाय का एक कप आपको कैंसर का शिकार बना सकता है…..

जी हां, अगर आप प्लास्टिक के कप में चाय पीते हैं और हर दिन ऐसा कर रहे हैं, तो कैंसर की चपेट में आ सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन प्लास्टिक के कप में हाइड्रोकार्बन होता है. जब चाय इन कप में जाती है तो यह खतरनाक हाइड्रोकार्बन चाय में मिल जाता है. जब हम चाय पीते हैं तो ये शरीर में पहुंचता है, जो बाद में कैंसर का कारण बन सकता है.

प्लास्टिक के बाउल के गर्म होने पर इनमें से हाइड्रोकार्बन निकलता है. जिससे कैंसर का रिस्क हो सकता है. इसी तरह का खतरा प्लास्टिक बोतलों में भी होता है. इनमें अगर अधिक समय तक पानी रहता है तो ये प्लास्टिक में मौजूद हाइड्रोकार्बन के संपर्क में आता है. जब हम पानी पीते हैं तो इसके जरिए शरीर में जाता है.

प्लास्टिक बोतल में डायोक्सिन केमिकल भी होता है जिससे ब्रेस्ट कैंसर होने का रिस्क रहता है. यहां तक कि जिन प्लास्टिक जग्स में लोग जूस पीते हैं उनकी प्लास्टिक हाई डेंसिटी पॉलीथिलेन वाली होती है. जिससे में कई प्रकार के खतरनाक केमिकल होते हैं. ये केमिकल शरीर में कैंसर को फैला सकता है.
सिर्फ चाय ही नहीं, देर रात में खाना भी कैंसर का कारण बन सकता है. बर्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ की रिसर्च के मुताबिक, खाने और सोने के बीट दो घंटे का गैप रखना चाहिए, लेकिन आजकल लोगों में देर रात में खाना खाते हैं और खाते ही सो जाते हैं. इससे भोजन और नींद के बीच गैप नहीं रह पाता. जिससे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक बिगड़ जाती है. इसके बिगड़ने से बॉडी में सेल्स के असामान्य तरीके से बढ़ने का रिस्क रहता है. सेल्स के इस तरह बढ़ने से कैंसर हो जाता है.

राधादेव शर्मा
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“टमाटर महंगे होने के फायदे”
शानदार कीमत पर टमाटर बिकते ही पत्नियां ‘स्वादिष्ट’ सब्जी बनाने से इंकार कर देती हैं, लेकिन मैंने माहौल को सकारात्मक बनाए रखा और टमाटर महंगे हो जाने का फायदा उठाया।

दही की ग्रेवी में लाजवाब सब्जी बना डाली। टमाटर न खरीद पाने का फायदा हो गया। कहा गया है कि ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है’ सो मैंने उन परिचितों से बात की जो हमेशा बिना टमाटर के ही सब्जी खाते हैं और पूर्णतया स्वस्थ भी हैं।

टमाटर ही क्या, खाने की कोई भी चीज़ महंगी होकर, इंसान को किफायत से खर्च करना सिखा देती है। टमाटर महंगे होने के कारण ही नए तरीके से बनी सब्जियां पकाई जाती हैं।

महिलाएं टमाटर महंगे होने का फायदा उठा सकती हैं। सब्जियां शौक और मेहनत से पकाकर, कितने हफ्तों से न मिली, न दिखी पड़ोसन को देने जा सकती हैं, तो फिर फ़ेसबुक पढ़ने से ज्यादा फ़ेस टु फ़ेस गप्पें मारना अच्छा लगने लगेगा। कुछ उत्साही गृहणियां नया ज़रूर पकाकर ज़्यादा से ज्यादा लाइक्स पाने में भी जुट सकती हैं। टमाटर की जगह दही या इमली उपयोग होती है जो सस्ती पड़ती है और ग्रेवी भी अधिक बनती है। टमाटर ज़्यादा दिन महंगे ही रहें तो पत्नियां, जिन्हें अच्छी दही जमाना नहीं आता, सीख जाएंगी।

यह बातें नवयुगीन वधुओं के सन्दर्भ में नहीं कर सकते क्यूंकि टमाटर जैसी ‘सिल्ली’ वस्तु उनकी ‘प्रीओरिटी’ में नहीं है।

टमाटर महंगे होने से बागवानी के शौकीनों को गमलों में टमाटर उगाने की प्रेरणा मिलती है, साथ में धनिया, पुदीना, मिर्च, कड़ी पत्ता, अजवाइन भी घर में उगने लगते हैं। थोक विक्रेताओं और कोल्ड स्टोरेज वालों का लाभ बढ़ जाता है जो टमाटर को महंगा बेचने की जुगाड़ करते हैं, वैसे भी टमाटर सस्ते हों तो भी हम प्रत्येक टमाटर छांट कर लेते हैं और कहते हैं कि ठीक लगा लो भैय्या। यह बात अलग है कि दुकानदार सड़ते हुए टमाटरों को उल्टा कर रखते हैं ताकि एकबार बिक जाएं।

टमाटर फल है सब्जी नहीं और जब सेब, टमाटर वाली दरों पर मिल रहे हों तो सेब प्रयोग करना चाहिए। ‘सेब पेस्ट’ में छौंकी सब्जी कई रसोइयों में पहली बार बनेगी और सेल्फ़ी लेकर प्रसिद्ध कर देगी। ख़ास हो जाने वाले टमाटर रसोई में नहीं होंगे तो पत्नियां साबित कर देंगी कि असली स्वाद खाद्य पदार्थों में नहीं, प्रेम और समर्पण में छिपा है। पति तारीफ करेंगे तो पत्नियों को अन्य फायदे भी हो सकते हैं।

महंगे प्याज़ ने एकबार सरकार गिरवा दी थी, मगर अभी ऐसा होना संभव नहीं है क्योंकि फिलहाल, टमाटर महंगा है। वैसे, टमाटरों ने महंगे बिक कर बागवानों के चेहरों और परिवारों में रौनक ला दी है और अब बहुतों के ऋण खाते एनपीए होने से बच जाएंगे। इससे कुछ बैंक शाखाओं की साख बची रहेगी।
टमाटर महंगे होने के नुकसान भी मुझे पता हैं, मगर यहां लिखने नहीं हैं क्यों कि जब विकास की धुन पर सकारात्मकता, सुन्दर लुभावना नृत्य कर रही तो संतुष्ट रह कर केवल ताली बजानी चाहिए।