विशेष

चाणक्य की तरह यह भी एक मिथ है

Kranti Kumar
@KraantiKumar
चंद्रगुप्त मौर्य का गुरु चाणक्य नही थे.

शिवाजी महाराज का गुरु रामदास नही थे.

कबीर का गुरु रामानंद नही थे.

इसी तरह डॉ बाबा साहेब अंबेडकर को सरनेम किसी अंबेडकर नाम के ब्राह्मण शिक्षक ने नही दिया था.

चाणक्य की तरह यह भी एक मिथ है.

बाबा साहेब का सरनेम सकपाल था. महाराष्ट्र में अधिकतर उपनाम गांव के नाम पर रखने का चलन आम था. गांव के नाम के साथ “कर” जोड़ सरनेम लिखा जाता था. कर का अर्थ हिंदी में “वाला” होता है.

बाबा साहेब के गांव का नाम “अम्बावड़े” था. अम्बावड़े से “आंबेडकर” बना. डॉ बाबा साहेब को यह सरनेम किसी ब्राह्मण शिक्षक ने नही दिया. यह एक मिथ है.

इसके बावजूद यह मिथ यह झूठ “विकिपीडिया” के माध्यम से फैलाया जा रहा है. देश का हर चौथा आदमी SC है, इसके बावजूद विकिपीडिया पर झूठ मौजूद है.

Kamlesh Prasad Gour
@Kpgour72
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Nov 14
RSS सिर्फ अपने विकाश पर काम नहीं कर रहि, वो अम्बेडकर वाद और बुद्ध के विचारों को भी खत्म करने का काम कर रहि है।

उनके पास कैसे तोड़ना है या जोड़ना है इस विषय पर लोग बैठे हैं और बहुजन या आदिवासी हिन्दू बनने को उतावले हो रहे हैं..

इसका भी कुछ फायदा तो होगा हि क्यों..??

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Priyanka Gandhi Vadra
@priyankagandhi
“अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत दे सब बन्दे
एक नूर ते सब जग उपजया, कौन भले कौन मन्दे”

गुरुनानक देव जी का प्रकाश पर्व समाज में प्रेम, समता, शांति और करुणा के उजाले को फैलाने के लिए प्रेरित करता है। गुरुनानक जी का जीवन समाज से छोटे-बड़े का भेद व नफरत मिटाने के लिए समर्पित था। वे पूरी मानवता के लिए रोशनी की मशाल हैं।