नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश के अलग-अलग राज्यों में गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने के मामलों पर सख्त नाराज़गी जताई है, कोर्ट का कहना है कि कानून हो या नहीं, लेकिन कोई भी समूह या कथित गोरक्षक कानून को अपने हाथों में नहीं ले सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। बताया जा रहा है कि कोर्ट इस मामले में विस्तृत आदेश जारी करेगा, जिसमें घटना की जवाबदेही तय करने, पीड़ित को मुआवजा और मामलों की निगरानी जैसी बातों को ध्यान में रखा जाएगा।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा की वारदातें ना हों, इसे सुनिश्चित करना राज्य सरकारों का दायित्व बनता है। फिर चाहे कानून हो या नहीं, कोई भी समूह कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोरक्षकों द्वारा हिंसा को रोकने के लिए कोर्ट विस्तृत आदेश जारी करेगा।
Cow vigilante cases | The Centre submits to the three-judge bench of Supreme Court that it is (mob lynching) a law and order problem and the Court may deal with the state govts if they are not following its order, reports ANI
— The Times Of India (@timesofindia) July 3, 2018
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की घटना किसी भी तरह से नहीं होनी चाहिए। मॉब लिंचिंग के पीड़ितों को मुआवज़े के लिए इंदिरा जयसिंह ने कहा कि धर्म, जाति और लिंग को ध्यान मे रखा जाए। चीफ जस्टिस ने कहा ये उचित नहीं है। पीड़ित सिर्फ पीड़ित होता है और उसे अलग-अलग खांचे में नहीं बांटा जा सकता। इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि अब तो असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ गया है, वो गाय से आगे बढ़कर बच्चा चोरी का आरोप लगाकर खुद ही कानून हाथ मे लेकर लोगों को मार रहे हैं। महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं हुई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इससे पहले कई बार कथित गोरक्षकों की क्लास ले चुके हैं। वह ऐसी घटनाओं की आलोचना करते रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद हिंसा और मॉल लिंचिंग जैसी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ऐसी घटनाओं पर सख्त होता नजर आ रहा है।