साहित्य

गुस्से में लिए गए फ़ैसले अक्सर ग़लत साबित होते हैं

Karuna Rani Vlog
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सुबह का समय था, और पति-पत्नी के बीच किसी बात पर ज़बरदस्त झगड़ा हो गया। गुस्से में पत्नी चिल्लाते हुए बोली, “अब बहुत हो गया! मैंने काफी सहा, लेकिन अब एक मिनट भी आपके साथ नहीं रह सकती।”
पति भी कोई कम नहीं था। उसने भी गुस्से में कहा, “तंग आ चुका हूँ तुम्हारी शक्ल देखकर! जब दफ्तर से घर आता हूँ, तो सुकून नहीं मिलता। अगर इतनी दिक्कत है, तो अपना सामान उठाओ और यहां से चली जाओ।”
पति गुस्से में दफ्तर चला गया। इधर पत्नी का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने तुरंत अपनी माँ को फोन किया और कहा, “अब और नहीं सह सकती। मैं बच्चों को लेकर हमेशा के लिए मायके आ रही हूँ। यह घर मेरे लिए जहन्नुम बन चुका है।”
माँ ने बात सुनी और सख्ती से जवाब दिया, “खबरदार, अगर मायके की ओर कदम भी बढ़ाया तो! तेरी बड़ी बहन भी इसी तरह अपने पति से लड़कर यहां आई थी। जिद्द और गुस्से में तलाक लेकर बैठ गई। अब तूने भी वही ड्रामा शुरू कर दिया है। अपनी ज़िंदगी बर्बाद मत कर। अपने पति से सुलह कर। वो इतना भी बुरा नहीं है जितना तू समझ रही है।”
माँ की बातों ने पत्नी को सोचने पर मजबूर कर दिया। गुस्सा शांत हुआ और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। जब रोकर उसका दिल हल्का हुआ, तो उसे अपनी कई गलतियाँ भी याद आईं।
फिर उसने सोचा कि लड़ाई-झगड़े से कुछ हासिल नहीं होगा। उसने खुद को संभाला, मुंह धोया, और पति के पसंदीदा खाने की तैयारी शुरू कर दी। साथ में खीर भी बना ली। उसने मन ही मन ठान लिया कि शाम को पति से माफी मांग लेगी।
शाम को जब पति घर आए, तो पत्नी ने उनका मुस्कान से स्वागत किया। ऐसा लग रहा था जैसे सुबह कुछ हुआ ही न हो। पति भी थोड़े हैरान थे, लेकिन खुशी हुई।
खाना खाते समय जब पति ने खीर चखी, तो वे बोले, “सॉरी, कभी-कभी मैं भी ज्यादा बोल जाता हूँ। गुस्से में कुछ कह देता हूँ, लेकिन तुम्हें दिल पर नहीं लेना चाहिए। इंसान हूँ, गलतियाँ हो जाती हैं।”
पत्नी मुस्कुराई और दिल ही दिल में अपनी माँ को धन्यवाद दिया, जिनकी सख्ती ने उसे सही रास्ते पर ला दिया था। अगर वह अपनी माँ की बात न मानती, तो शायद जज्बाती फैसले से उसका घर बर्बाद हो जाता।
इस कहानी का संदेश साफ है: गुस्से में लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं। प्यार और समझदारी से ही रिश्तों को बचाया जा सकता है। **अपना घर, आखिर अपना ही होता है।**