

Related Articles
मिल गई फुर्सत घर आने की…हेमलता गुप्ता स्वरचित
मिल गई फुर्सत घर आने की, अरे घर में है कौन तुम्हारे लिए, बाहर जाओ घूमो फिरों मटरगश्ती करो और हां …मैंने खिचड़ी बनाकर रख दी है गर्म करके खा लेना और सारे बर्तन और रसोई को साफ कर देना, मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रही हूं। सुनो ना.. टीना, आज मेरा एक […]
तो मैंने धीरे से पूछ लिया कौन सी क़िताब लिखी है आपने ? वो धीरे से बोले – इरफ़ान
Sanjay Pandey ============== कल एक नाटक देखने पृथ्वी थिएटर (जुहू, मुंबई ) गया था नाटक शुरू होने में थोड़ा वक्त था तो तब तक वहाँ की लायब्रेरी में कुछ किताबें ख़रीदने चला गया ,जब किताबों का बिल दे रहा था तो वहाँ काउंटर पे एक सज्जन उस बंदे से बात कर रहे थे जो काउंटर […]
औरत उम्र के चाहे जिस पड़ाव पर हो, अपने….आभार -रीता कुमारी
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ================ औरत उम्र के चाहे जिस पड़ाव पर हो, अपने जीवन में कितनी ही व्यस्त क्यों न हो, उसके दिल में तब अलग ही ख़ुशी छा जाती है, जब उसके मायके से कोई ख़ुशी का संदेशा आता है और वह सब कुछ छोड़-छाड़ मायके का रुख कर लेती है. आज मेरी भी […]