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‘मैं’ के संकीर्ण दायरे के बाहर की विस्तृत दुनिया…मीनू त्रिपाठी की #कहानी- वापसी
Saheli Magazine ============ #कहानी- वापसी “पापा, देखिए तो ज़रा किसका फोन है.” नैना की आवाज़ पर शरद ने बगल में बजते फोन का रिसीवर उठा लिया. “हेलो.” बोलते ही पहचानी-सी आवाज़ आई, “अंकल प्रणाम, नारायण बोल रहा हूं.” शरद अपने मथुरावाले घर के किराएदार नारायण की आवाज़ पहचान गए. कुछ कहते, उससे पहले ही नारायण […]
*निंदा करना, घाटे का सौदा*…. By-वीर बहादुर सिंह
B B Singh ============= *निंदा करना, घाटे का सौदा* *एक बार की बात है….. किसी राजा ने यह फैसला लिया के वह प्रतिदिन 100 अंधे लोगों को खीर खिलाया करेगा।* *एक दिन खीर वाले दूध में सांप ने मुंह डाला और दूध में विष डाल दी । ज़हरीली खीर को खाकर 100 के 100 अंधे […]
“देखो बेटा, बाई की बेइज़्ज़ती नहीं करते, उसके साथ तमीज़ से पेश आया करो”
Ankit Tiwari ================= #कहानी- महत्वाकांक्षा नियुक्ति का पत्र हाथ में लिए वह ख़ुशी से पागल हुई जा रही थी. कितनी ही बार पढ़ा उसने पत्र को. क्या सचमुच यह नियुक्ति-पत्र ही है? सपना तो नहीं देख रही मैं? नहीं, यह सपना नहीं है. हक़ीक़त है. उसने घर के दरवाज़े खोल दिए, ठंडी हवा के झोंकें […]