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गुजरात : लोगों की आंखों में आंसू हैं और आक्रोश, राजकोट के गेमिंग ज़ोन में आग लगने से 30 से ज़्यादा लोगों की मौत : रिपोर्ट

राजकोट के सिविल अस्पताल के बाहर कुछ लोगों की आंखों में आंसू हैं और कुछ की आंखों में आक्रोश.

शहर के टीआरपी गेम ज़ोन में शनिवार को हुए अग्निकांड में मारे गए लोगों के शव अभी तक परिजनों को नहीं मिल सके हैं.

कुछ शव इस हद तक जल गए हैं कि उन्हें पहचानने के लिए डीएनए टेस्ट किया जा रहा है. इस हादसे में 27 लोगों की मौत हुई है, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं.

अस्पताल के बाहर बीबीसी संवाददाता तेजस वैद्य ने मृतकों के परिजनों से बात की. एक पीड़ित परिवार ने बात करते हुए कहा, “बहुत लापरवाही की गई है. राजकोट में फायर ब्रिगेड बड़ी-बड़ी इमारतों में आग बुझा देती है लेकिन वहां पर देखने के लिए समय नहीं मिला.”

“गेम जोन पिछले चार साल से चल रहा था. आम आदमी कोई वाहन लेकर जाता है तो उसे हजारों रुपये का फाइन भरना पड़ जाता है, लेकिन यहां लोगों को कोई देखने वाला नहीं है.”

परिजन ने कहा, “अगर आपको वेल्डिंग का काम करवाना था तो फिर लोगों को अंदर क्यों आने दिया. एक दिन बंद रखते तो क्या बिगड़ जाता गेम चलाने वालों का. एक दिन में क्या करोड़ों रुपये का नुकसान हो जाता क्या? करोड़ों रुपये देंगे तब भी ये 33 परिवार उठ नहीं पाएंगे.”

“चार लाख रखो अपनी जेब में, आपको घूमने फिरने में काम आएंगे और चाहिए तो इन 33 परिवारों से ले जाओ. सब देने वाले हैं. कोई मना करने वाला नहीं है. चार लाख से भी ज्यादा दे देंगे. आओ मैदान में. एसी के ऑफिस से बाहर आओ. हिम्मत है तो खुले पैर आओ. पांव में चप्पल भी नहीं पहनना.”

पुलिस ने क्या कहा?

ताज़ा जानकारी के अनुसार राजकोट के पुलिस कमिश्नर राजू भार्गव ने कहा है कि अब तक दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और 6 लोगों के ख़िलाफ मामला दर्ज किया गया है.

उन्होंने कहा कि 6 लोगों पर आईपीसी की धारा 304, 308, 336, 338 और 114 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

उन्होंने कहा, “दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर रही है. क्राइम ब्रांच की टीम बाकी चार आरोपियों को तलाशने में जुटी हुई है. हमारी कोशिश रहेगी की जल्द से जल्द जांच पूरी करके इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जाए.'”

राजू भार्गव ने ये भी बताया कि “डीएनए सैंपल्स लेने के बाद शवों को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है. अभी मैचिंग का काम चल रहा है.”

 

कैसे लगी आग?

राजकोट के जिला कलेक्टर पी. जोशी ने आग लगने की घटना के बारे में बीबीसी के सहयोगी पत्रकार बिपिन टंकारिया को बताया, ”शाम करीब साढ़े चार बजे(शनिवार) कंट्रोल रूम में कॉल आई कि टीआरपी गेम ज़ोन में आग लग गई है. फायर-ब्रिगेड की गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं और आग बुझाईं.”

टंकारिया के मुताबिक, आग इतनी भीषण थी कि धुआं पांच किलोमीटर दूर से देखा जा सकता था.

उनके मुताबिक, गेम ज़ोन में बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था और कई लोग अंदर फंसे हुए थे.

टंकारिया ने यह भी कहा कि मॉल के गेम ज़ोन में वेल्डिंग का काम चल रहा था, जहां स्थानीय लोगों ने शॉर्ट-सर्किट की घटना की सूचना दी थी.

हालांकि, आग लगने का कारण अभी तक आधिकारिक तौर पर पता नहीं चल पाया है.

राजकोट के पुलिस कमिश्नर राजू भार्गव ने बीबीसी को बताया, “अब तक 24 शव सिविल अस्पताल भेजे जा चुके हैं और कुछ शव अभी भी निकाले जा रहे हैं।”

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए राजू भार्गव ने कहा, “युवराज सिंह सोलंकी इस गेम ज़ोन के मालिक हैं. हम इस मामले में मौत और लापरवाही का मामला दर्ज करेंगे. हम इसके बाद आगे की जांच करेंगे.”

पुलिस कमिश्नर ने कहा, “हम अंदर जाएंगे और पूरे इलाके का निरीक्षण करेंगे. हमने एफएसएल टीम को भी बुलाया है जो निरीक्षण करेगी और आग लगने के सही कारण का पता लगाने की कोशिश करेगी.”

“हमने चिकित्सा अधीक्षक से भी चर्चा की है. वहां भी टीमें तैयार रखी गई हैं. ये टीमें वर्तमान में उपचार, डीएनए परीक्षण और शवों का पोस्टमार्टम कर रही हैं.”

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, फायर ऑफिसर आई. वी खेर ने कहा, “आग पर काबू पाना मुश्किल था. क्योंकि एक अस्थायी ढांचा ढह गया था और हवा की गति भी तेज थी.”

चश्मदीदों ने क्या बताया?

हादसे के वक्त दिलीप सिंह वाघेला सामने सड़क से गुजर रहे थे. उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा, “मैं इस सड़क से गुजर रहा था तभी मैंने धुएं का गुबार देखा. जब मैं यहां पहुंचा तो आग की लपटें देखकर समझ गया कि यह बहुत भीषण आग है. इसलिए मैं यहीं रुक गया. उस वक्त पुलिस की दो गाड़ियां और दो 108 एंबुलेंस खड़ी थीं, लेकिन तब तक फायर ब्रिगेड की एक भी गाड़ी नहीं आई थी. फायर ब्रिगेड की गाड़ी को यहां पहुंचने में करीब 45 मिनट लग गए.”

वाघेला ने बताया कि उन्होंने आग के दृश्यों को अपने मोबाइल में रिकॉर्ड किया था. उन्होंने कहा, “मैंने यह रिकॉर्डिंग लगभग 5:50 मिनट पर की, जब तक फायर ब्रिगेड की गाड़ी यहाँ नहीं पहुँच थी…ढांचे में बहुत सारे टायर थे.”

उन्होंने इस घटना की तुलना मोरबी सस्पेंशन ब्रिज त्रासदी और सूरत में तक्षशिला कॉम्प्लेक्स आग त्रासदी और इसमें मारे गए लोगों की मौत से की.

वाघेला ने कहा, “लोगों की जिंदगी से खेलना इस सिस्टम की आदत बन गई है…गुजरात के अंदर इंसान की जान की कीमत सिर्फ चार लाख रुपये है. जब भी मुख्यमंत्री महोदय या सरकारी तंत्र चार लाख रुपये की सहायता की घोषणा करते हैं, तो इससे उनकी आत्मा को संतुष्टि मिलती है.”

गेम ज़ोन के पास एक सोसायटी में रहने वाले केतन सिंह परमार ने कहा, “हमने हर हफ्ते इस गेम ज़ोन के बारे में बार-बार शिकायत की है. इस बारे में कमिश्नर को भी ईमेल किया गया, लेकिन यहां रात के एक बजे भी पांच-छह लड़के आ जाते थे तो गेम जोन शुरू हो जाता था. यहां लोग रात में गाड़ियां घुमाते हैं.”

उन्होंने कहा, “यह गेम जोन इतना खराब है कि हमने यहां रहते हुए भी कभी अपने बच्चों को यहां नहीं भेजा.”

एसआईटी को जांच शुरू करने का निर्देश

गुजरात सरकार ने घटना की जांच के लिए एसआईटी के गठन की घोषणा की है. इस पांच सदस्यीय एसआईटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सीआईडी ​​क्राइम के पुलिस महानिदेशक सुभाष त्रिवेदी को सौंपी गई है.

एसआईटी के अन्य चार सदस्य हैं- बंचानिधि पाणि, एच.पी. सांघवी, जे.एन. खड़िया और एमबी देसाई.

एसआईटी 72 घंटे के भीतर अपनी शुरुआती रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी. वहीं 10 दिन के भीतर वह सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भी सौंपेगी.

गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी रविवार सुबह को घटनास्थल पर पहुंचे और उस क्षेत्र का जायजा लिया जहां गेमिंग जोन के अंदर भीषण आग लग गई थी.

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “आज शाम राजकोट में जो एक बहुत दुखद घटना हुई है, जिसमें अनेक परिवारजनों को अपने लोगों को खोना पड़ा है. साथ ही साथ कई बच्चों का इसमें देहांत हुआ है. मुख्यमंत्री जी के निर्देश से मैं राजकोट आया हूं. एसआईटी जो बनाई गई है उसे तात्कालिक सूचना दी गई है कि रात को तीन बजे से ही पूरी तहकीकात जल्द से शुरू की जाए.”

सांघवी ने बताया कि उन्हें जो लिस्ट मिली है, उसके मुताबिक एक व्यक्ति लापता है, जिसका पता लगाने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने कहा, “जितने भी डिपार्टमेंट परमिशन के आते हैं और जो जो डिपार्टमेंट के अंदर गेम जोन, कंस्ट्रक्शन की जिम्मेदारी आती है. उसमें उच्च अधिकारी से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को तीन बजे रात से ही कलेक्टर कचहरी में हाजिर रहने की सूचना दी गई है.”

सांघवी ने कहा, “सभी दस्तावेज, सभी प्रकार की जांच आज से ही शुरू की जाएगी. जल्द से जल्द न्याय देने के लिए मेहनत की जाएगी. अभी मैंने घटनास्थल का जायजा लिया है. अभी मैं खुद कलेक्टर कचहरी में बैठने वाला हूं.”

पीएम ने जताया शोक, सीएम ने आर्थिक सहायता की घोषणा की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राजकोट में हुए हादसे पर दुख जताया और कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल से बात की है.

पीएम ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष से हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 2 लाख रुपये देने की घोषणा की है. साथ ही घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे.

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि उन्होंने नगर निगम और प्रशासन को इस हादसे में तत्काल बचाव और राहत कार्य के निर्देश दिए हैं.

उन्होंने मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता देने की घोषणा की.

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने एक्स पर लिखा, ”अभी मैं पंजाब में हूं, मुझे राजकोट से खबर मिली है कि कालावाड रोड गेम ज़ोन में आग लगने से एक दुखद हादसा हुआ है. छोटे बच्चों और कुछ माता-पिता और कर्मचारियों की दुखद मौतों की खबरें आई हैं. इससे बहुत दुख हुआ है.”

गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सी. आर. पाटिल ने एक्स पर एक पोस्ट में यह भी लिखा , “मैं सभी विधायकों, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि वे राजकोट में सबसे दुखद आग की घटना में अस्पताल और आपदा स्थल पर राहत कार्य में शामिल हों और जो भी संभव हो मदद करें.”

कांग्रेस ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “राजकोट, गुजरात में एक मॉल के गेमिंग ज़ोन में लगी भयंकर आग से मासूम बच्चों समेत कई लोगों की मृत्यु का समाचार बहुत ही पीड़ादायक है. सभी शोकाकुल परिजनों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं. सभी घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की आशा करता हूं.”

उन्होंने लिखा, “कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अनुरोध है कि वो राहत और बचाव कार्य में प्रशासन की हर संभव सहायता करें और गुजरात सरकार एवं प्रशासन से अपेक्षा है कि वो इस घटना की विस्तृत और निष्पक्ष जांच कर सभी शोक संतप्त परिवारों को शीघ्र न्याय दिलवाएं.”

गुजरात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राजकोट की घटना को लेकर दुख जताया और साथ ही बीजेपी सरकार पर भ्रष्ट होने और कानून को ताक पर रखने का आरोप लगाया.

उन्होंने लिखा, ”हाईकोर्ट से बार-बार फटकार के बावजूद बीजेपी सरकार अग्नि सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है. भाजपा सरकार बेखौफ होकर भ्रष्टाचार कर रही है. कानून को ताक पर रखकर किश्तें ली जाती हैं और भाजपा राज में लोगों की जान की परवाह किए बिना सब कुछ चलता है. मैं शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं.”

 

गुजरात में पहले भी हो चुकी हैं ये पांच बड़ी त्रासदी

18 जनवरी 2024 को वडोदरा में हरणी झील में एक नाव डूब गई. जिसमें 12 बच्चों और 2 शिक्षकों की मौत हो गई. जब बच्चों को हरणी झील में नाव में बिठाया गया तो उन्हें जीवन रक्षक जैकेट भी नहीं पहनाई गई थी.
30 अक्टूबर 2022 को मोरबी सस्पेंशन ब्रिज ढहने से 135 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में एक तिहाई बच्चे थे.
26 जुलाई 2022 को बोटाद में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से 39 लोगों की मौत हो गई थी.
6 अगस्त, 2020 को अहमदाबाद के नवरंगपुरा क्षेत्र में बने श्रेया अस्पताल के आईसीयू में आग लग गई थी. इसमें आठ कोरोना मरीजों की मौत हो गई थी.
24 मई, 2019 को सूरत की तक्षशिला आर्केड नाम की एक इमारत में बने कोचिंग सेंटर में आग लगने से 22 छात्रों की मौत हो गई थी. कोचिंग कक्षाएं शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की सबसे ऊपरी मंजिल पर अवैध रूप से बनाए गए कमरों में चलाई जा रही थीं.