अमेरिका में 20 जनवरी को नई सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है। चार साल के अंतराल के बाद डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सत्ता में लौट आए हैं। सत्ता में वापसी के बाद डोनाल्ड ट्रंप आक्रामक अंदाज में नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने बीते कुछ दिनों में कनाडा, मैक्सिको जैसे देशों पर टैक्स लगाने की बात कही है, वहीं, ब्रिक्स देशों पर भी उन्होंने निशाना साधा है। अब इस्राइल हमास के बीच फिलहाल संघर्षविराम के बीच ट्रंप ने कुछ ऐसा कह दिया है जिसकी चर्चा हर ओर शुरू हो गई है। उन्होंने गाजा पट्टी को खाली कराने की बात कही है। इतना ही नहीं ट्रंप ने मिस्र और जॉर्डन से गाजा पट्टी के लोगों को अपने यहां पनाह देने की भी बात कही है।
शनिवार को ट्रंप ने कहा कि वह दोनों अरब देशों के नेताओं से गाजा के लोगों को अपने देश में शरण देने का आग्रह करेंगे, ताकि गाजा में फिर से परिस्थिति को सुधारा जा सके। उन्होंने कहा कि गाजा की आबादी का पुनर्वास “अस्थायी या दीर्घकालिक हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस्राइल के 15 महीने के सैन्य अभियान के चलते इस समय गाजा पूरी तरह से विश्वंस स्थल में तब्दील हो चुका है।
ट्रंप ने कहा कि मैं कुछ अरब देशों के साथ जुड़ना चाहता हूं और एक अलग स्थान पर आवास बनाना चाहता हूं, जहां वे बदलाव के लिए शांति से रह सकें। हालांकि मिस्र, जॉर्डन, इस्राइल या फलस्तीनी अधिकारियों की ओर से अभी इसे लेकर टिप्पणी नहीं आई।
गाजा पट्टी क्या है?
यह करीब 365 वर्ग किलोमीटर का एक छोटा सा क्षेत्र है। इसके एक ओर भूमध्य सागर। बाकी तीन ओर से इसकी सीमाएं इस्राइल और मिस्र से लगी हुई हैं। इसकी उत्तरपूर्वी और दक्षिणपूर्वी सीमा की तरफ इजरायली क्षेत्र है। वहीं, दक्षिण पश्चिम में गाजा पट्टी की सीमा मिस्र से लगती है। इसके पश्चिम में भूमध्य सागर है।
इस्राइल और हमास के बीच संघर्ष का केंद्र गाजा पट्टी ही रहा है। यह दो फलस्तीनी क्षेत्रों में से एक है। गाजा पट्टी के अलावा वेस्ट बैंक दूसरा फलस्तीनी क्षेत्र है, जिसके अधिकांश हिस्से पर इस्राइल का कब्जा है।
गाजा पट्टी पर नियंत्रण का इतिहास क्या रहा है?
ब्रिटेन का उपनिवेश बनने से पहले गाजा ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। 1918 से 1948 तक इस पर ब्रिटेन का नियंत्रण रहा। 1948 में हुए युद्ध के बाद गाजापट्टी पर मिस्र का कब्जा हो गया। 1967 तक गाजा पट्टी पर मिस्र का कब्जा बरकरार रहा। 1967 में हुए छह दिन के युद्ध के बाद एक बार फिर गाजा पट्टी पर नियंत्रण बदला। 1948 में इस्राइल के गठन के करीब बीस साल बाद गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर भी इस्राइल का कब्जा हो गया। युद्ध से पहले वेस्ट बैंक पर जॉर्डन का नियंत्रण था। 1947 के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में ये दोनों इलाके फलस्तीन का हिस्सा थे। दोनों ही इलाकों को फलस्तीनी आज भी इन पर अपना दावा करते हैं।
1967 के बाद करीब 38 साल तक गाजा इस्राइल के नियंत्रण में रहा। इस दौरान गाजा में 21 यहूदी बस्तियां बसाई गईं। गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर इस्राइल के कब्जे के विरोध में तनाव और हिंसा वर्षों तक जारी रही। इसमें पहला इंतिफादा भी शामिल है, जिसमें करीब चार साल तक विरोध प्रदर्शन, दंगे और बमबारी हुई थी। इन इलाकों में जारी रक्तपात के चलते 1992 में इस्राइली प्रधानमंत्री यित्जाक राबिन ने कहा, ‘मैं चाहूंगा कि गाजा समुद्र में डूब जाए, लेकिन ऐसा नहीं होगा, इसलिए हमें इसका समाधान ढूंढना होगा।’
इसके बाद 1993 में राबिन और फलस्तीनी नेता यासिर अराफात के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ। इसे ओस्लो अकॉर्ड के नाम से जाना जाता है। इस समझौते का उद्देश्य फलस्तीनियों को आत्मनिर्णय का अधिकार देना था। इसके बाद 1994 में फलस्तीनियों का गाजा पर सरकारी तौर पर नियंत्रण हो गया। 2003 में इस्राइली प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने गाजा पट्टी से इस्राइली बस्तियों को नष्ट करने का प्रस्ताव रखा। उनके इस कदम को शांति के एक बड़े प्रयास के रूप में देखा गया।
घरेलू और अंतराष्ट्रीय दबाव के चलते 2005 में इस्राइल ने गाजा पट्टी से अपना नियंत्रण पूरी तरह खत्म कर लिया। इसके तरह उसने गाजा से करीब नौ हजार इस्राइलियों और सैनिकों को वापस बुला लिया।
अब गाजा पर किसका नियंत्रण है? हमास की इसमें क्या भूमिका है?
90 के दशक में फलस्तीन की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों में शामिल हमास ओस्लो समझौते के खिलाफ था। 2006 में गाजा में हुए चुनाव के बाद हमास गाजा की सत्ता में आया। 1987 में गाजा और वेस्ट बैंक पर इस्राइल के कब्जे के विरोध में बना यह संगठन आज फलस्तीन का सबसे बड़ा आतंकी समूह कहा जाता है। 2006 में हमास की जीत के बाद यहां कभी चुनाव नहीं हुए।
तब से यहां हमास का नियंत्रण है। हालांकि, इसे पूरी तरह हमास नियंत्रित नहीं कह सकते हैं। क्योंकि, इस्राइल ने अपना नियंत्रण यहां वापस लेने के बाद भी 2007 से गाजा पर जमीन, वायु और समुद्री नाकाबंदी कर रखी है। इसका आम फलस्तीनियों को बहुत नुकसान हुआ है। 2009 में संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा था कि इस्राइल और मिस्र की नाकाबंदी की वजह से गाजा में विकास खत्म हो रहा है। वहीं, इस्राइल कहता है कि इस नाकाबंदी की वजह से ही वह हमास को ताकतवर होने से रोक सका है। इसके जरिए वह हमास के रॉकेट हमलों से इस्राइलियों की रक्षा कर पाता है।
वहीं, दूसरी ओर इस नाकाबंदी को दुनियाभर के मानवाधिकार संगठन और संयुक्त राष्ट्र आज भी मानते हैं कि गाजा पर इस्राइली नियंत्रण है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने 2010 में गाजा की तुलना खुली जेल से की थी। प्रसिद्ध भाषाविद् और सार्वजनिक बुद्धिजीवी नोम चॉम्स्की ने 2012 में इसे दुनिया की सबसे बड़ी खुली हवा वाली जेल बताया था। गाजा की घेराबंदी की वजह से ही बीते कई वर्षों से पत्रकार, एक्टिविस्ट और शिक्षाविद इसे खुली जेल के तौर पर संबोधित करते रहे हैं।
गाजा पट्टी में कितने लोग रहते हैं?
गाजा पट्टी जिसकी लंबाई महज 41 किलोमीटर और अधिकतम चौड़ाई 12 किलोमीटर है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 365 वर्ग किलोमीटर के इस छोटे से इलाके में कम से कम 23 लाख लोग रहते हैं। यह दुनिया का 63वां सबसे घनी आबादी वाला शहरी क्षेत्र है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यहां कम से कम आठ फलस्तीनी शरणार्थी शिविर हैं और ये दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले हैं। हालांकि, इस इलाके का जनसंख्या घनत्व अलग-अलग जगह अलग-अलग है। इस्राइली हमले से पहले यहां की कुल आबादी का 49.3 फीसदी महिलाएं और 50.7 फीसदी पुरुष थीं। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक गाजा पट्टी की बेरोजगारी दर दुनिया में सबसे अधिक है। यहां की 80 फीसदी आबादी बुनियादी जरूरत के लिए भी अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है।