साहित्य

ग़लत संगत : पुलिस वाले अजय को ले गए और रमा फफक फफक कर रो पड़ी!

शीर्षक-गलत संगत
रमा दो-तीन दिन से देख रही थी कि उसका 19 वर्षीय बेटा अजय दुकान से आते ही पीछे वाले आंगन में अपना फोन लेकर एक कोने में बैठ जाता था और किसी से धीरे-धीरे बात करता था। रमा को कुछ समझ नहीं आ रहा था।

फिर एक दिन रमा ने अपने कानों में ईयर फोन लगाकर गाने सुनने का नाटक करते हुए तार पर कपड़े डालने लगी और वास्तव में वह अजय की बातें सुनना चाहती थी। उसे अजय की बातें सुनाई दे रही थी।

वह किसी से कह रहा था-“₹10000 आज शाम को मिल जाने चाहिए। पहले की तरह किसी को पता ना लगे। वरना तेरा वीडियो वायरल कर दूंगा। सुबह तक तू किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी, समझी या फिर से समझाऊं?”

रमा के पैरों तले से तो जमीन ही निकल गई। अजय, इस राह पर! उसने तुरंत कपड़ों की बाल्टी वही फेंकी और ईयर फोन निकालते हुए भागकर अजय के पास पहुंची और अजय को एक जोरदार तमाचा जड़ते हुए बोली-“क्या किया है तूने, सच् सच बता, वरना यही खड़े-खड़े मार दूंगी तुझे।”

अजय बुरी तरह चौंक गया कि मां ने सब कुछ सुन लिया है। डरते हुए बोला-” म,म मैंने कुछ नहीं किया।”

रमा जोर से चिल्लाई-झूठ मत बोल कुत्ते, सच बता।”

अजय-“मेरे दोस्तों ने गलत किया था एक लड़की के साथ, मैंने तो सिर्फ वीडियो बनाई है।”

रमा और दो चार थप्पड़ उसे मारते हुए बोली-“वाह! क्या कहने बड़ा अच्छा काम किया है बेशर्म ने ,सिर्फ वीडियो बनाई है खानदान का नाम डुबो दिया। हम गरीब हैं पर सम्मान से जीवन जी रहे थे तूने तो बदनाम कर के रख दिया। कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा। पर मैं तुझे माफ नहीं कर सकती, मैं तेरी रिपोर्ट पुलिस में करूंगी।”

अजय-“कोई मां ऐसा नहीं करती, मैं तो तेरा बेटा हूं ना।”

रमा-“नहीं, तू मेरा बेटा कैसे हो सकता है। मेरा बेटा कभी ऐसा काम कर ही नहीं सकता।”

फिर रमा ने अजय को कमरे में बंद कर दिया। पुलिस को बुलाकर पूरी बात बताई और उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

फिर जाते समय धीरे से पुलिस वाले से फुसफुसा कर बोली-“साहब मेरा बेटा ऐसा नहीं है, गलत संगत और गलत दोस्तों के बहकावे में आ गया था। सवाल सख्ती से पूछोगे तो सब बता देगा, साहब मारना मत।”

पुलिस वाले ने कहा-“आप चिंता मत कीजिए।”

पुलिस वाले अजय को ले गए और रमा फफक फफक कर रो पड़ी।

स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली
मुहावरा प्रतियोगिता
#नाम डुबोना