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ग़ज़ा में लोगों तक मानवीय राहत पहुंचाने से जुड़ा प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पारित, हमास ने प्रस्ताव की आलोचना की : रिपोर्ट

इसराइल ने मध्य ग़ज़ा में अपने हमले और तेज़ कर दिए हैं. इसराइल के ताजा हमले में बीते चौबीस घंटों में यहां 18 लोग मारे गए हैं.

इस बीच, गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहे ग़ज़ा में लोगों तक जल्द मानवीय राहत पहुंचाने से जुड़ा एक प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पारित हो गया है.

हालांकि शुक्रवार रात को पारित हुए इस प्रस्ताव में इसराइल और ग़ज़ा के बीच तुरंत युद्धविराम को लेकर कुछ नहीं कहा गया है.

इस प्रस्ताव के मसौदे को लेकर कई दिनों तक बातचीत जारी रही ताकि पहले की तरह अमेरिका इसे एक बार फिर वीटो न कर दे.

अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और इसराइल का सहयोगी भी है.

हमास के हमले में क़रीब 1200 इसराइलियों की मौत हुई थी. वहीं हमास के लड़ाके इसराइल से क़रीब 240 लोगों को अपने साथ बंधक बना कर ले गए थे.

वहीं हमास के नियंत्रण वाले स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सात अक्टूबर के बाद से हुए इसराइल के हमलों में ग़ज़ा पट्टी में कम से कम 20 हज़ार लोग मारे गए हैं जबकि हज़ारों घायल हैं.

अभी भी ग़ज़ा में किए जा रहे हमलों में कमी नहीं आई है. फ़लस्तीनी मीडिया के मुताबिक़ यहां के नुसरत रिफ्यूजी कैंप में एक इसराइली हमले में 18 लोगों की मौत हो गई.

जबकि एक और कैंप बुरेजी के लोगों को दक्षिण की ओर जाने को कहा गया है.

किसने कैसे की वोटिंग

शुक्रवार देर रात संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त अरब अमीरात ने प्रस्ताव पेश किया था जिसे 15 से 13 वोट मिले. दो सदस्यों ने वोटिंग से दूरी बनाने का फ़ैसला किया.

काउंसिल में अमेरिका की प्रतिनिधि लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा “यहां तक पहुंचना मुश्किल था लेकिन हमने ये कर दिखाया है. ये एक मज़बूत कदम है.”

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क़ानून केवल इसराइल पर लागू नहीं होते बल्कि हमास नाम के आतंकी समूह पर भी लागू होते हैं, जिसने इस संघर्ष को भड़काया है और घरों, अस्पतालों और संयुक्त राष्ट्र के ठिकानों से हमले कर रहा है.

अमेरिका को ये डर था कि इससे स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पर इसराइल का नियंत्रण ख़त्म हो जाएगा, लेकिन सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में ये स्पष्ट किया गया है कि संबधित पक्षों से बातचीत करने के बाद ही कदम उठाए जाएंगे.

वोटिंग से कुछ देर पहले सुरक्षा परिषद के एक स्थायी सदस्य रूस ने तत्काल युद्धविराम की अपील करने वाले पहले के मसौदे में एक संशोधन पेश किया.

रूस का कहना था कि इस मसौदे ने ग़ज़ा पट्टी को साफ़ करने के लिए इसराइल को आगे बढ़ने की आज़ादी दी थी. हालांकि, रूस का संशोधन गिर गया.

इसके बाद हुई वोटिंग में सुरक्षा परिषद के 13 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया और दो रूस और अमेरिका ने इसके विरोध में वोट किया.

इससे पहले नवंबर को सुरक्षा काउंसिल में युद्धविराम के प्रस्ताव पर वोटिंग हुई थी. ग़ज़ा में तुरंत युद्धविराम को लेकर ब्राज़ील के पेश किए गए इस प्रस्ताव पर 15 सदस्यों ने समर्थन दिया था.

अमेरिका ने इसके विरोध में वोट देते हुए इसे वीटो कर दिया था. वहीं ब्रिटेन और रूस ने वोटिंग नहीं की थी.

संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में क्या है?

प्रस्ताव में कहा गया है कि पूरी ग़ज़ा पट्टी पर “मानवीय कॉरिडोर बनाए जाएं और मानवीय आधार पर युद्धबंदी की जाए”

ताकि “फ़लस्तीनी लोगों तक तुरंत, अबाध और सुरक्षित तरीके से मानवीय मदद पहुंचाई जा सके.”

साथ ही प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि “दोनों पक्षों के बीच दुश्मनी ख़त्म करने के लिए स्थायी” समाधान की भी तलाश की जाए.

इस काम की निगरानी के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एक वरिष्ठ मानवीय और पुनर्निमाण संयोजक नियुक्त करेंगे. उनका काम दोनों पक्षों से बात करने के बाद ग़ज़ा में तुरंत राहत पहुंचाना सुनिश्चित करना होगा.

20 दिनों में उन्हें काउंसिल के सामने अपनी रिपोर्ट रखनी होगी. जिसके बाद 30 सितंबर 2024 तक हर 90 दिनों में उन्हें रिपोर्ट देनी होगी.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख क्या बोले?

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने प्रस्ताव पारित होने का स्वागत किया हालांकि कहा कि ग़ज़ा में लोगों की ज़रूरतों को पूरा करना के लिए युद्धविराम बेहद ज़रूरी है.

उनका कहना है कि ग़ज़ा में लोगों तक पहुंचने वाली मानवीय मदद के प्रभाव को ट्रकों की संख्या से आंकना ग़लत होगा.

उन्होंने कहा कि ग़ज़ा में मदद पहुंचाने में ‘वास्तविक समस्या’ इसराइल का लगातार बना हुआ आक्रामक रुख़ है क्योंकि इससे मानवीय मदद बांटने में मुश्किलें आ रही हैं.

उन्होंने चेतावनी दी कि गज़ा भुखमरी की कगार पर खड़ा है और अगर युद्ध जारी रहा तो यहां भूख से लोगों की मौतें हो सकती हैं.

उन्होंने अपने बयान में दो राष्ट्र नीति का समर्थन किया और कहा “इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच लंबे समय तक शांति बनाए रखने का ये एकमात्र रास्ता है.”

उन्होंने कहा कि इस युद्ध का असर वैश्विक शांति और सुरक्षा पर पड़ रहा है.

इसराइल की प्रतिक्रिया

सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पास होने के बाद इसराइली डिफेन्स फोर्सेस के प्रवक्ता डेनियल हगारी ने प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में ये भी शामिल किया जाना चाहिए कि, “हमास के कब्ज़े में जितने बंधक हैं उन्हें तुरंत बिना शर्त आज़ाद किया जाए और उनकी मेडिकल ज़रूरतों को देखते हुए उन तक पहुंच की इजाज़त दी जाए.”

उन्होंने अपने बयान में कहा “हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से गुज़ारिश करेंगे कि वो ये सुनिश्चित करें कि इस प्रस्ताव का पालन हो.’’

क्या बोला हमास?

हमास ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पास हुए प्रस्ताव की आलोचना की और कहा कि ये ग़ज़ा के लोगों की मानवीय मदद लिए ये “नाकाफी होगा”.

हमास ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वो “इस प्रस्ताव की भावना को कमज़ोर करने की पूरी कोशिश” कर रहा है.

इस बीच मिस्र और क़तर की मध्यस्थता में हमास और इसराइल के बीच युद्धविराम की कोशिशें की जा रही थीं.

नवंबर के आख़िर में दोनों की कोशिश से चार दिन का अस्थायी युद्धविराम लागू हुआ था जिसे बाद में कुछ और दिनों के लिए बढ़ाया गया था.

हालांकि इसके सात दिन बाद इसराइल ने ये कहते हुए ग़ज़ा पर हमले शुरू कर दिए कि हमास ने युद्धविराम का उल्लंघन किया है.

गुरुवार को हमास ने साफ कर दिया कि पूर्ण युद्धविराम से कम में वो बंधकों को छोड़ने पर राज़ी नहीं होगा.

इधर, इसराइल लगातार स्थायी युद्धविराम का विरोध करता रहा है. उसका कहना है कि जब तक वो हमास को ख़त्म नहीं करेगा युद्ध नहीं रुकेगा.