इसराइल पर ग़ज़ा के एक और शरणार्थी शिविर को निशाना बनाने का आरोप
हमास शासित स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसराइल पर ग़ज़ा में एक और घातक हवाई हमले को अंजाम देने का आरोप लगाया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इसराइल ने शनिवार रात इन हवाई हमलों में सेंट्रल ग़ज़ा पट्टी के अल-मग़ाज़ी स्थित शरणार्थी शिविर को निशाना बनाया है.
इसराइली बमबारी में अब तक तीस से अधिक लोगों की जान गई है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अल-मग़ाज़ी शरणार्थी शिविर की कुछ तस्वीरें भी जारी की हैं.
एएफपी समाचार एजेंसी के अनुसार, एक इसराइली सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि आईडीएफ़ उस दौरान वाकई इस ख़ास क्षेत्र पर कार्रवाई कर रहा था या नहीं.
बीबीसी स्वतंत्र रूप से इस घटना और इसमें मरने वालों की संख्या की पुष्टि नहीं कर पाया है.
इससे पहले बीते मंगलवार को ग़ज़ा के सबसे बड़े शरणार्थी कैंप जबालिया में हुए धमाके में कम से कम 50 लोगों की जान चली गई थी.
Iran Observer
@IranObserver0
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⚡️Confirmed:
Iran’s Supreme Leader, Ayatollah Khamenei met with Hamas Leader Haniyeh in Tehran
Haniyeh briefed the Iranian leader on the latest developments in Gaza and the West Bank.
Ayatollah khamenei appreciated the resistance of the people of Gaza.
ग़ज़ा पर इसराइल के लगातार हमले के ख़िलाफ़ दुनियाभर में प्रदर्शन, संघर्षविराम की मांग हुई तेज़
ग़ज़ा में इसराइल के लगातार हमले के ख़िलाफ़ अमेरिका, कनाडा, अरब और और पूर्वी अफ़्रीकी देशों में प्रदर्शन हुए हैं.
अमेरिका में वॉशिंगटन डीसी में प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन किया. व्हाइट हाउस के सामने हुए प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने इसराइल का समर्थन करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की आलोचना की.
प्रदर्शनकारी फ़लस्तीनी झंडा लिए हुए थे और ‘पेलेस्टाइन लाइव्स मैटर्स’ और ग़जा में ‘नाकेबंदी खत्म करो’ जैसे नारे लगा रहे थे. इसे अमेरिका में युद्ध के ख़िलाफ़ हुए सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक माना जा रहा है
पेरिस में पहली बार लोगों ने फ़लीस्तीन के झंडों और नारे लगी तख्तियों के साथ जुलूस निकाला. पहले इस तरह के प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे.
ब्रिटेन में कई शहरों में शनिवार को फ़लीस्तीन के समर्थन में जुलूस निकाले गए. पुलिस का कहना था कि इन प्रदर्शन के दौरान अकेल सेंट्रल लंदन में ही 30 हजार प्रदर्शनकारी शामिल थे.
लंदन में इन प्रदर्शनों के दौरान 29 लोगों को गिरफ़्तार किया गया. दूसरी ओर, शनिवार को तेल अवीव में इसराइल के समर्थन में रैली निकाली गई.
इसराइली लोगों के प्रदर्शन के दौरान उन 240 बंधकों को रिहा करने की मांग की गई, जिन्हें हमास ने बंधक बना रखा है.
इसराइली सेना का कहना है कि ग़ज़ा में ज़मीनी अभियान की शुरुआत से अब तक हमास के 2500 ठिकानों को निशाना बनाया जा चुका है.
इसराइली सेना का कहना है कि अब तक ज़मीनी सेना, वायुसेना और नौसेना के साझा हमलों में 2500 से अधिक ठिकानों को नष्ट किया जा चुका है.
लेबनान को अपनी मुट्ठी में लेने वाले हिज़बुल्लाह प्रमुख कौन हैं?
हसन नसरल्लाह एक शिया आलिम (धार्मिक विद्वान) हैं जो लेबनान में हिज़बुल्लाह ग्रुप के प्रमुख हैं. इस ग्रुप को इस समय लेबनान के सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों में गिना जाता है जिसकी अपनी सशस्त्र विंग भी है.
हसन नसरल्लाह को, जो लेबनान और दूसरे अरब देश दोनों जगह लोकप्रिय हैं, हिज़बुल्लाह का केंद्रीय चेहरा माना जाता है. उन्होंने इस समूह के इतिहास में निर्णायक भूमिका निभाई है.
उनके ईरान और अली ख़ामनेई के साथ बहुत निकट के और विशेष संबंध हैं. इस वास्तविकता के बावजूद कि हिज़बुल्लाह को अमेरिका की ओर से आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया गया है, न तो ईरान के नेताओं और न ही नसरल्लाह ने अपने निकट संबंधों को कभी छिपाया.
हसन नसरल्लाह के जितने उत्साही समर्थक हैं उतने ही उनके दुश्मन भी हैं. इसी वजह से वह इसराइल के हाथों मारे जाने के भय से वर्षों से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए. लेकिन इसी वजह से उनके समर्थक उनके भाषणों से वंचित रहते हैं.
ऐसे भाषण वास्तव में ताक़त के इस्तेमाल के लिए नसरल्लाह का महत्वपूर्ण हथियार हैं और इस तरह वह लेबनान और दुनिया की विभिन्न समस्याओं पर टिप्पणी करते हैं और अपने प्रतिद्वंद्वियों पर दबाव डालने की कोशिश करते हैं.
लेबनान में बहुत से लोग 2006 में इसराइल के विरुद्ध हिज़बुल्लाह के एक माह तक जारी रहने वाले विनाशकारी युद्ध को अब भी याद करते हैं और उन्हें आशंका है कि यह समूह देश को एक और विवाद में धकेल सकता है.
हिज़बुल्लाह के उद्देश्यों में से एक इसराइल की बर्बादी है जो इस समूह को हमास से अधिक शक्तिशाली दुश्मन के तौर पर देखता है. हिज़बुल्लाह के पास हथियारों का एक बहुत बड़ा भंडार है जिसमें ऐसी मिसाइलें शामिल हैं जो इसराइली इलाक़ों में दूर तक हमला कर सकती हैं. इसके पास हज़ारों प्रशिक्षित लड़ाके भी हैं.
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कह रखा है कि अगर हिज़बुल्लाह इस विवाद में दूसरा मोर्चा खोलता है तो उसको ‘अकल्पनीय’ जवाब दिया जाएगा.
एक पूर्ण युद्ध लेबनान के लिए विनाशकारी होगा और इसके लिए जनता का समर्थन बहुत कम है. लेबनान वर्षों से आर्थिक संकट का शिकार है और राजनीतिक गतिरोध की वजह से वहां उचित ढंग से काम करने वाली सरकार भी नहीं है.
यह स्पष्ट नहीं है कि तेहरान का इन समूहों पर कितना सीधा प्रभाव है लेकिन इस बात की संभावना नहीं है कि वह ईरान के समर्थन के बिना कोई बड़ा फ़ैसला करेंगे.
बीते रविवार को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने कहा था कि इसराइल के अपराध हद पार कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि वॉशिंगटन हमसे कहता है कि हम कुछ न करें लेकिन वह इसराइल का व्यापक पैमाने पर समर्थन जारी रखे हुए है.
हिज़बुल्लाह के एक निकट सूत्र ने पिछले सप्ताह नाम न बताने की शर्त पर बताया था कि हसन नसरल्लाह, जो इसराइल और अमेरिका विरोधी भाषणों के लिए जाने जाते हैं, स्थिति पर गहरी नज़र रखे हुए हैं और अपनी सार्वजनिक चुप्पी के बावजूद समूह के सैनिक नेतृत्व के साथ लगातार संपर्क में हैं.
बचपन और जवानी
हसन नसरल्लाह की पैदाईश के कुछ ही समय बाद लेबनान में गृह युद्ध शुरू हो गया.
हसन नसरल्लाह बेरूत के पूरब में एक ग़रीब मोहल्ले में पैदा हुए. उनके पिता एक छोटी सी दुकान के मालिक थे और हसन उनके नौ बच्चों में सबसे बड़े थे.
जब लेबनान में गृह युद्ध शुरू हुआ तो उनकी उम्र पांच साल थी. यह एक विनाशकारी युद्ध था जिसने भू मध्यसागर के इस छोटे से देश को पंद्रह साल तक अपनी लपेट में रखा और इस दौरान लेबनानी नागरिक धर्म और नस्ल के आधार पर एक दूसरे से लड़े.
इस दौरान ईसाई और सुन्नी मिलिशिया समूहों पर आरोप लगा कि वह विदेशों से मदद हासिल करते हैं.
युद्ध की शुरुआत की वजह से हसन नसरल्लाह के पिता ने बेरूत छोड़ने और दक्षिणी लेबनान में अपने पैतृक गांव वापस जाने का फ़ैसला किया जहां शिया बहुसंख्यक थे.
हसन नसरल्लाह पंद्रह साल की उम्र में उस समय के सबसे महत्वपूर्ण लेबनानी शिया राजनीतिक-सैनिक समूह के सदस्य बन गए जिसका नाम अमल मूवमेंट था. यह एक प्रभावी और सक्रिय समूह था जिसकी बुनियाद ईरानी मूसा सदर ने रखी थी.
इस दौरान नसरल्लाह ने अपनी धार्मिक शिक्षा भी शुरू की. नसरल्लाह के शिक्षकों में से एक ने राय दी कि वह शेख़ बनने का रास्ता चुन लें और नजफ़ जाएं. हसन नसरल्लाह ने यह राय मान ली और सोलह साल की उम्र में इराक़ के शहर नजफ़ चले गए.
हसन नसरल्लाह (बीच में) नजफ़ में अपने प्रवास के दौरान अब्बास मौसवी (दाएं) के साथ.
लेबनान वापसी और सशस्त्र संघर्ष
हसन नसरल्लाह की नजफ़ में मौजूदगी के दौरान इराक़ एक अस्थिर देश था जहां दो दशकों तक लगातार क्रांति, रक्तरंजित विद्रोह और राजनीतिक हत्याओं का राज रहा. इस दौरान इराक़ के तत्कालीन उपराष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने काफ़ी प्रभुत्व प्राप्त कर लिया था.
हसन नसरल्लाह के नजफ़ में रहने के केवल दो साल बाद बाथ पार्टी के नेता और विशेष तौर पर सद्दाम हुसैन के फ़ैसलों में से एक यह था कि सभी लेबनानी शिया विद्यार्थियों को इराक़ी मदरसों से निकाल दिया जाए.
हसन नसरल्लाह ने नजफ़ में केवल दो साल शिक्षा प्राप्त की और फिर उन्हें यह देश छोड़ना पड़ा लेकिन नजफ़ में मौजूदगी ने इस युवा लेबनानी के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला. उनकी मुलाक़ात नजफ़ में अब्बास मूसवी नाम के एक और आलिम से भी हुई.
मूसवी कभी लेबनान में मूसा सदर के शागिर्दों में गिने जाते थे. वह ईरान के क्रांतिकारी नेता आयातुल्लाह ख़ुमैनी के राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत प्रभावित थे. वह नसरल्लाह से आठ साल बड़े थे और बहुत जल्द उन्होंने एक कठोर शिक्षक और प्रभावी लीडर का रोल संभाल लिया.
लेबनान वापस आने के बाद ये दोनों स्थानीय गृह युद्ध में शामिल हो गए. लेकिन इस बार नसरल्लाह अब्बास मूसवी के पैतृक शहर गए जहां की अधिकतर आबादी शिया थी.
उस दौर में नसरल्लाह अमल आंदोलन के सदस्य बने और अब्बास मूसवी के बने मदरसे में शिक्षा भी लेते रहे.
हसन नसरल्लाह के जन्म के कुछ समय बाद ही लेबनान में गृहयुद्ध छिड़ गया.
ईरानी क्रांति और हिज़बुल्लाह की स्थापना
हसन नसरल्लाह की लेबनान वापसी के एक साल बाद ईरान में क्रांति आई और रूहुल्लाह ख़ुमैनी ने सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया. यहां से न केवल लेबनान के शिया समुदाय का ईरान के साथ संबंध बिल्कुल बदल गया बल्कि उनका राजनीतिक जीवन और सशस्त्र संघर्ष भी ईरान में होने वाली घटनाओं और दृष्टिकोण से बहुत प्रभावित हुआ.
हसन नसरल्लाह ने बाद में तेहरान में ईरान के उस समय के नेताओं से मुलाक़ात की और ख़ुमैनी ने उन्हें लेबनान में अपना प्रतिनिधि बना दिया.
यहीं से हसन नसरल्लाह के ईरान के दौरों की शुरुआत हुई और ईरानी सरकार में निर्णायक और शक्तिशाली केंद्रों से उनके संबंध स्थापित हुए.
ईरान ने लेबनान के शिया समुदाय के साथ संबंधों को बहुत महत्व दिया. मध्य पूर्व में इसराइल की वजह से फ़लस्तीनी आंदोलन भी क्रांतिकारी ईरान की विदेश नीति की महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में शामिल था.
इस अवधि के दौरान गृह युद्ध में घिरा लेबनान फ़लस्तीनी लड़ाकों के लिए एक महत्वपूर्ण अड्डा बन गया था और स्वाभाविक रूप से बेरूत के अलावा दक्षिणी लेबनान में भी उनकी मज़बूत मौजूदगी थी.
लेबनान में बढ़ती हुई अस्थिरता के बीच इसराइल ने लेबनान पर हमला कर दिया और इस देश के महत्वपूर्ण केंद्रों पर तेज़ी से क़ब्ज़ा कर लिया. इसराइल ने दावा किया कि उसने फ़लस्तीनी हमलों का मुक़ाबला करने के लिए लेबनान पर हमला किया.
इसराइल के हमले के तुरंत बाद ही ईरान में पासदारान-ए-इंक़लाब-ए-इस्लामी (इस्लामी क्रांति के रक्षक) के फ़ौजी कमांडरों ने लेबनान में ईरान से जुड़ा सैनिक समूह स्थापित करने का निर्णय लिया. यह आंदोलन हिज़बुल्लाह था और हसन नसरल्लाह और अब्बास मूसवी उन लोगों में शामिल थे जो अमल आंदोलन के कुछ दूसरे सदस्यों के साथ इस नए बनने वाले समूह में शामिल हो गए.
इस समूह ने बहुत जल्दी लेबनान में अमेरिकी सैनिकों के ख़िलाफ़ सशस्त्र कार्रवाइयां करके क्षेत्र की राजनीति में अपना नाम बना लिया.
जब हसन नसरल्लाह हिज़बुल्लाह में शामिल हुए तो उनकी उम्र केवल 22 साल थी और वह नौसिखुआ समझे जाते थे.
हसन नसरल्लाह के ईरान से संबंध दिन-ब-दिन गहरे होते जा रहे थे. उन्होंने अपनी धार्मिक शिक्षा को जारी रखने के लिए ईरान के क़ुम शहर जाने का फ़ैसला किया. नसरल्लाह ने दो साल तक क़ुम में शिक्षा प्राप्त की और इस अवधि के दौरान फ़ारसी सीखने के साथ-साथ ईरानी भद्रलोक में बहुत से निकट दोस्त बनाए.
लेबनान वापसी पर उनके और अब्बास मूसवी के बीच एक महत्वपूर्ण विवाद पैदा हो गया. उस समय मूसवी सीरिया के राष्ट्रपति हाफ़िज़ असद के समर्थक थे. लेकिन नसरल्लाह ने ज़ोर दिया कि हिज़बुल्लाह का ध्यान अमेरिका और इसराइली सैनिकों पर हमले पर केंद्रित रहे.
हिज़बुल्लाह में नसरल्ला के समर्थकों की संख्या कम हो गई तो कुछ समय बाद उन्हें ईरान में हिज़बुल्लाह का प्रतिनिधि बना दिया गया. वह एक बार फिर ईरान वापस आए लेकिन हिज़बुल्लाह से दूर हो गए.
उस ज़माने में ऐसा लग रहा था कि हिज़बुल्लाह पर ईरान का प्रभाव दिन-ब-दिन कम हो रहा है. यह तनाव इस हद तक बढ़ गया कि हिज़बुल्लाह के सेक्रेटरी जनरल को हटाकर उनकी जगह सीरिया का समर्थन करने वाले अब्बास मूसवी नए प्रमुख बन गए.
सेक्रेटरी जनरल तूफ़ैली को हटाए जाने के बाद हसन नसरल्लाह वापस आ गए और व्यावहारिक तौर पर हिज़बुल्लाह के उप प्रमुख बन गए.
हिज़बुल्लाह का नेतृत्व
अब्बास मूसवी को हिज़बुल्लाह का जनरल सेक्रेटरी चुने जाने के एक साल से भी कम अवधि में इसराइली एजेंटों ने उनकी हत्या कर दी और उसी साल, 1992 में इस ग्रुप का नेतृत्व हसन नसरल्लाह के हाथ में चला आया.
उस समय उनकी उम्र 32 साल थी. उस समय लेबनान के गृह युद्ध को समाप्त हुए एक साल हो चुका था और नसरल्लाह ने देश में हिज़बुल्लाह की राजनीतिक शाखा को अपनी सैनिक शाखा के साथ एक गंभीर खिलाड़ी बनाने का फ़ैसला किया.
इस रणनीति के बाद हिज़बुल्लाह लेबनानी संसद की आठ सीटें जीतने में कामयाब हुआ.
ताइफ़ समझौते के तहत, जिससे लेबनान का गृह युद्ध समाप्त हुआ, हिज़बुल्लाह को अपने हथियार रखने की अनुमति दी गई थी. उस समय इसराइल ने दक्षिणी लेबनान पर क़ब्ज़ा कर रखा था और हिज़बुल्लाह सशस्त्र आंदोलन चला रहा था.
लेबनान के हिज़बुल्लाह ग्रुप को ईरान की आर्थिक मदद मिल रही थी और इस तरह हसन नसरल्लाह ने देश में स्कूलों, अस्पतालों और राहत केंद्रों का एक व्यापक नेटवर्क बना दिया. यह कल्याणकारी पहलू लेबनान में हिज़बुल्लाह के राजनीतिक आंदोलन की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया.
इसराइल की वापसी और हसन नसरल्लाह की लोकप्रियता
हसन नसरल्लाह के नेतृत्व में हिज़बुल्लाह ग्रुप की लोकप्रियता में काफ़ी वृद्धि हुई.
सन 2000 में इसराइल ने घोषणा की कि वह लेबनान से पूरी तरह निकल जाएगा और उस देश के दक्षिणी क्षेत्र पर क़ब्ज़ा खत्म कर देगा. हिज़बुल्लाह ग्रुप ने इस अवसर को एक महान विजय के तौर पर मनाया और इस जीत का श्रेय हसन नसरल्लाह को दिया गया.
यह पहला अवसर था जब इसराइल ने शांति समझौते के बिना किसी अरब देश की धरती को इकतरफ़ा तौर पर छोड़ा और क्षेत्र के बहुत से अरब नागरिकों की नज़र में इसे एक महत्वपूर्ण सफलता घोषित किया गया.
लेकिन उस समय से लेबनान की हथियारों की समस्या लेबनान की स्थिरता और सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण सवाल बन गई है. लेबनान से इसराइल की वापसी की वजह से हिज़बुल्लाह ग्रुप के सशस्त्र बने रहने की क़ानूनी हैसियत ख़त्म हो गई और विदेशी शक्तियों ने हिज़बुल्लाह को निरस्त्र करने को कहा लेकिन हसन नसरल्लाह ने इससे कभी सहमति नहीं जताई.
सन 2002 में हसन नसरल्लाह ने इसराइल के साथ वार्ता के दौरान क़ैदियों की अदला-बदली का समझौता किया जिसके दौरान 400 से अधिक फ़लस्तीनी, लेबनानी क़ैदियों और दूसरे अरब देशों के नागरिकों को रिहा किया गया.
उस समय नसरल्लाह पहले से अधिक शक्तिशाली और प्रभावी दिखाई दे रहे थे और लेबनानी राजनीति में उनके प्रतिद्वंद्वियों के लिए उनका मुक़ाबला करना और उनके प्रभुत्व और उनकी शक्ति को कम करना एक बड़ी चुनौती बन चुका था.
हरीरी की हत्या और सीरिया की वापसी
1983 में उस समय के लेबनान के प्रधानमंत्री रफ़ीक़ हरीरी की हत्या के बाद आम राय बदल गई. रफ़ीक़ हरीरी को सऊदी अरब के निकटतम नेताओं में गिना जाता था जिन्होंने हिज़बुल्लाह को रोकने के लिए भरपूर कोशिशें की थीं.
हरीरी की हत्या के बाद आम लोगों का ग़ुस्सा हिज़बुल्लाह और सीरिया के ख़िलाफ़ उबल पड़ा. उन पर हरीरी की हत्या में शामिल होने का आरोप था. बेरूत में विपक्ष के ज़बर्दस्त प्रदर्शनों के बाद सीरिया ने ऐलान किया कि वह भी लेबनान से अपनी फ़ौजें निकाल लेगा.
लेकिन जब उसी साल संसदीय चुनाव हुए तो न केवल हिज़बुल्लाह के वोटो में इज़ाफ़ा हुआ बल्कि यह समूह दो मंत्रालय लेने में भी सफल हो गया.
यहां से हसन नसरल्लाह ने हिज़बुल्लाह को लेबनान के राष्ट्रवादी समूह के तौर पर पेश किया जो दूसरी शक्तियों के सामने नहीं झुकता.
सन 2005 के गर्मी के मौसम में हिज़बुल्लाह के लड़ाके इसराइल में दाख़िल हुए और एक सैनिक को मार दिया और दो सैनिकों को बंदी बना लिया. इसकी प्रतिक्रिया में इसराइल ने एक ज़बर्दस्त हमला किया जो 33-34 दिन तक जारी रहा और इस दौरान लगभग 1200 लेबनानी मारे गए.
इस युद्ध के बाद हसन नसरल्लाह की लोकप्रियता और बढ़ गई जिनका अरब देशों में इसराइल के विरुद्ध लड़ने वाले आख़िरी व्यक्ति के तौर पर पेश किया गया.
ताक़त में इज़ाफ़ा
हिज़बुल्लाह की ताक़त में इज़ाफ़े की वजह से प्रतिद्वंद्वी समूहों, विशेष तौर पर लेबनानी राजनेताओं ने हिज़बुल्लाह के ख़िलाफ़ कोशिशों को तेज़ किया.
सन 2007 में कई महीनों की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद लेबनान सरकार ने तय किया कि हिज़बुल्लाह के कंट्रोल वाले टेलीकम्यूनिकेशन सिस्टम को ख़्त्म कर दिया जाए और टेलीकम्यूनिकेशन के मामले केवल सरकार के कंट्रोल में रहें. इस फ़ैसले को न केवल हसन नसरल्लाह ने क़बूल नहीं किया बल्कि थोड़े ही समय में उनके सशस्त्र समूह ने बेरूत पर संपूर्ण कंट्रोल प्राप्त कर लिया.
हसन नसरल्लाह के इस क़दम पर पश्चिमी देशों की ओर से तीखी आलोचना की गई. लेकिन राजनीतिक वार्ताओं के बाद वह लेबनानी कैबिनेट में अपने समूह की शक्ति बढ़ाने और कैबिनेट के फ़ैसलों में वीटो का अधिकार प्राप्त करने में सफल रहे.
सन 2008 में लेबनानी संसद में हिज़बुल्लाह की सीटों की संख्या कम होने के बावजूद नसरल्लाह वीटो का अधिकार बरक़रार रखने में सफल रहे.
उसी साल लेबनानी कैबिनेट ने हिज़बुल्लाह को अपने हथियार रखने की इजाज़त दी थी.
यहां से हसन नसरल्लाह ऐसे व्यक्तित्व बन गए कि लेबनान के राजनीतिक भद्रलोक में से लगभग कोई भी उनकी शक्ति को कम करने में सफल नहीं हुआ.
न तो उनका विरोध करने वाले प्रधानमंत्रियों का इस्तीफ़ा और न ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के हस्तक्षेप उन्हें पीछे धकेल सके. इसके उलट उन सभी वर्षों में ईरान के समर्थन से हसन नसरल्लाह सीरिया के गृह युद्ध और लेबनान में आर्थिक संकट जैसे ऐतिहासिक संकटों पर नियंत्रण करने में सफल रहे.
63 साल की उम्र में उन्हें लेबनान में न केवल एक राजनीतिक और सैनिक नेता माना जाता है बल्कि उनके खाते में कई दशकों का संघर्ष भी है जिसे वह अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की नींद उड़ाने और प्रॉपेगैंडा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं.
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कीवान हुसैनी
पदनाम,बीबीसी
Sulaiman Ahmed
@ShaykhSulaiman
BREAKING: HAMAS OFFICIAL STATEMENT ON USE OF NUCLEAR WEAPONS IN GAZA
”Terrorist Minister Amichai Eliyahu’s statement of throwing a nuclear bomb on Gaza is an expression of the occupation’s Nazism and its practice of genocide after its military failure in the face of the resistance.
The statement of the so-called Minister of Heritage in the Zionist government, Amichai Eliyahu, that “dropping a nuclear bomb on the Gaza Strip is one of the solutions” did not come out of nowhere. Rather, it is an expression of the level of decadence, Nazism, and sadism that circulates in the corridors and minds of this occupying entity, which is based on murder and genocide, and its dealings with… On the other hand, they are animals in human form, as stated by the Occupation Minister of War, Benny Gantz, in the first days of this brutal aggression against our people in the Gaza Strip.
We call on the international community, the United Nations, and the relevant international courts to take the statement of this criminal Nazi terrorist and the statements of the occupation leaders seriously, and to take the necessary urgent measures to stop this entity from the war of genocide it is committing in the Gaza Strip, and to hold the leaders of the entity accountable for their horrific crimes, and we warn that International silence or inaction will encourage these murderous terrorists to continue the massacre of the century and the war of extermination against our people. It will turn the entire region into a volcano of flames that threatens the region and the world.”
Emelia 🇸🇪
@Bernadotte22
Ultranationalist Israeli Minister of Heritage, Amichai Eliyahu has called for an atomic bomb to be dropped on Gaza.
Asked in an interview with Radio Kol Berama whether an atomic bomb should be dropped on Gaza, said “this is one of the possibilities.”
Asked about the fate of the Palestinian population, he said: “They can go to Ireland or deserts, the monsters in Gaza should find a solution by themselves.”
They are truly psychopaths
Iran Observer
@IranObserver0
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The former Imam and preacher of King Abdulaziz mosque blames Saudi officials for ignoring the issue of Palestine and being busy with the opening of the Riyadh Season despite what is happening in Gaza
🚨BREAKING: The Saudi Foreign Ministry attacks the words of Minister Amichai Eliyahu: “Saudi Arabia strongly condemns the extreme statement of a minister in the Israeli government regarding the dropping of a nuclear bomb on Gaza. This is evidence of the increase in extremism and barbarism among members of the Israeli government. The fact that this minister (Amichai Eliyahu) was not fired immediately but only had his participation in government meetings suspended shows that the Israeli government renounces all moral and humanitarian principles.”
Mosab Hassan Yousef
@MosabHasanYOSEF
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Instead of begging for a ceasefire with terrorists we should condemn their massacre against peaceful civilians in Israel, the use of Gaza children and women as human shields. Isn’t it strange that pro Palestine movement condemn Israel while terribly fail to condemn terrorist Hamas?
Megatron
@Megatron_ron
BREAKING:
🇮🇱🇵🇸 Israeli minister suspended after suggestion that nuking Gaza is an option
Israeli Prime Minister Benjamin Netanyahu has suspended Heritage Minister Amichai Eliyahu from government meetings until further notice after the minister said ‘throwing an atom bomb on Gaza in one of the options’.
Eliyahu also voiced his objection to allowing any humanitarian aid into Gaza, adding that “there is no such thing as uninvolved civilians in Gaza” and that Palestinians “can go to Ireland or deserts.”
Later, Eliyahu took to social media to claim that his comment about the option of nuking Gaza was only a metaphor.
Middle East Observer
@ME_Observer_
⚡️ Syrian Foreign Ministry:
The statements of one of the Zionist entity’s terrorists about attacking Gaza with a nuclear weapon are evidence of the state terrorism practiced by the entity, & confirmation that it possesses this weapon outside of the international control system.
Inside the Haramain
@insharifain
Foreign Ministry: “The Kingdom of Saudi Arabia condemns in the strongest terms the extremist statements issued by a minister in the Israeli occupation government regarding dropping a nuclear bomb on the besieged Gaza Strip, which shows the penetration of extremism and brutality among members of the Israeli government.”
Richard Medhurst
@richimedhurst
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🚨 Iran Defense Minister Ashtiani issues stark warning:
“Our advice to the Americans is to immediately stop the war in Gaza and implement a cease-fire, otherwise they will be hit hard,”
Israel, armed by the United States, have killed 9500 Palestinians, mostly women & children
https://twitter.com/i/status/1721166132873232623
SINGER NARKIS WITH ISRAELI IOF SOLDIERS CALLS FOR GENOCIDE OF GAZA
“We’re finishing off Gaza!
We’ll return Gush Katif [former Israeli settlements in the Gaza Strip]” pic.twitter.com/tKoWeTdHXc
— Sulaiman Ahmed (@ShaykhSulaiman) November 5, 2023
Hamas:
Scenes of the mortar units of the Qassami Artillery continuing to bombard the infiltrating and amassed enemy forces with hundreds of mortar shells.
Note: The end of the video: “We will destroy the prestige of your army.” pic.twitter.com/WwNaXByQ3E
— Iran Observer (@IranObserver0) November 5, 2023
https://twitter.com/i/status/1721160527504662603