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ग़ज़ा में इजराइल का सैन्य अभियान, मौत और विनाश के अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है : संयुक्त राष्ट्र संघ

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने रविवार को कहा: ग़ज़ा में इजराइल का सैन्य अभियान, मौत और विनाश के अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रविवार को पश्चिम एशियाई क्षेत्र में तनाव बढ़ने पर अपनी चिंता व्यक्त की।

पार्स टुडे के अनुसार, गुटेरेस ने लेबनान के दूसरा ग़ज़ बनने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ग़ज़ा में इजराइल का सैन्य अभियान मौत और विनाश के अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने इस संबंध में कहा:

हमें चिंता है कि लेबनान एक और ग़ज़ा बन जाएगा, जो दुनिया के लिए एक विनाशकारी त्रासदी होगी।

उधर यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ़ बोरेल ने भी शुक्रवार को बेरूत के दक्षिणी उपनगरों पर इजराइली शासन के हमले के बाद पश्चिम एशियाई क्षेत्र में तनाव बढ़ने पर अपनी चिंता व्यक्त की।

रविवार शाम समाचार सूत्रों ने बताया कि मलबे के नीचे से दो बच्चों के शव निकाले जाने के बाद बेरूत के दक्षिणी उपनगरों पर इजराइली शासन के हवाई हमले में शहीदों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है।

लेबनानी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कुछ शहीदों के शव टुकड़े-टुकड़े हो गये हैं।

पिछले शुक्रवार को ज़ायोनी शासन ने बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में घनी आबादी वाले इलाके में एक इमारत को निशाना बनाया था।

पिछले शुक्रवार को ज़ायोनी शासन ने बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में घनी आबादी वाले इलाके में एक इमारत को निशाना बनाया।

प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 41 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 95 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।

ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।