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गलवान के बाद भी भारत-चीन सीमा पर हुई झड़पें, सामने आई जानकारी!

जिस वक़्त एक तरफ़ भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत चल रही थी, उस वक़्त पूर्वी लद्दाख में भारत के नियंत्रण वाले इलाक़े पर कब्ज़ा करने के लिए चीनी सैनिकों ने हमला किया था.

ऑनलाइल न्यूज़ पोर्टल द प्रिंट में छपी एक ख़बर के अनुसार, सितंबर 2021 से लेकर नवंबर 2022 के बीच पूर्वी लद्दाख में कम से कम दो बार चीनी सैनिकों से भारतीय सौनिकों की पोज़िशन पर हमले किए.

ताज़ा जानकारी के अनुसार, इस दौरान दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई, जिसमें कई चीनी सैनिक घायल हुए.

वेबसाइट लिखता है कि बीते दिनों भारतीय आर्मी के दो कमांड ने नए सैनिकों के लिए समारोह का आयोजन किया था, इसी दौरान भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प की बात सामने आई.

समारोह के दौरान इन झड़पों में भारतीय सैनिकों की बहादुरी की तारीफ़ की गई, सैनिकों के ख़ुफ़िया मुहिम का भी ज़िक्र किया गया और उन्हें सम्मानित किया गया.

वेबसाइट लिखता है अगस्त 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच सशस्त्र झड़प होने की ख़बर आई थी.

हालांकि ये पहली बार नहीं था, जब दोनों पक्षों के सैनिकों की झड़पें हुई थीं. इससे पहले भी दोनों तरफ़ से सैनिकों के बीच कई बार झड़पें हुई थीं, जिनमें एक बार दोनों पक्षों में पूरी रात झड़प हुई थी.

सीमा पर झड़पों की ताज़ा जानकारी
वेबसाइट लिखता है कि झड़पों के बारे में मिली ताज़ा जानकारी से ये पता चलता है कि मई 2020 में गलवान में हुई झड़प के अलावा भी परमाणु शक्ति संपन्न दोनों मुल्कों के बीच सीमा पर तनाव जारी रहा है.

वेस्टर्न कमांड ने सैनिकों के समारोह का वीडियो यूट्यूब पर पोस्ट किया था, जो पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की बहदुरी के सम्मान के लिए था. लेकिन बाद में वो वीडियो लिंक हटा लिया गया.

सेंट्रल कमांड ने जो कार्यक्रम किया था, उसमें बताया गया कि आर्मी के एलिट कमांडो यूनिट, पारा एसएफ़ के एक जवान जिनकी तैनाती एक दूसरे सेक्टर में की गई थी वो सीमा पार कर चीन की तरफ़ गए थे. उन्होंने ख़राब मौसम के बीच “दुश्मन” की तरफ़ से सेना की गतिविधि को लेकर 120 घंटे तक लाइव फीड के ज़रिए जानकारी दी थी.

वेबसाइट ने कहा है कि चीनी हिस्से में ये जवान किस जगह पर थे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन जिस इलाक़े में जवान तैनात थे उसकी सीमा चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत के हिस्से से सटी है.

द इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के अनुसार, वेस्टर्न कमांड और सेन्ट्रल कमांड ने “अनजाने में” समारोह में इन घटनाओं का ज़िक्र कर दिया.

अख़बार लिखता है कि वेस्टर्न कमांड ने जो वीडियो यूट्यूब पर पोस्ट किया था उसे हटा लिया गया है लेकिन सेंट्रल कमांड का वीडियो ख़बर लिखे जाने तक उपलब्ध था.

इंडियन एक्सप्रेस और द प्रिंट दोनों ने ही दो घटनाओं का ज़िक्र किया है.

कौन-कौन सी घटनाएं
पहली घटना में, पूर्वी लद्दाख में झड़प के बारे में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, सात जनवरी 2022 को लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास शंकर टेकरी नाम की एक जगह पर चीन के सैनिकों ने भारतीय सेना की एक पोस्ट पर हमला किया था.

एक सैनिक की तारीफ़ करते हुए कार्यक्रम में कहा गया कि सिख लाइट इन्फैन्ट्री के इस जवान ने “बहादुरी का परिचय” देते हुए चीनी सैनिकों के साथ “हाथापाई की” और हमले के नाकाम किया. उन्होंने चार चीनी सैनिकों के घायल किया और उनकी राइफ़ल ले ली.

वहीं दूसरी घटना के बारे में कार्यक्रम में ज़िक्र किया गया कि 27 नवंबर 2022 को एलएसी पर अटारी पोस्ट पर क़रीब 50 चीनी सैनिकों के उस वक़्त घायल किया गया जब वो सीमा पार करने की कोशिश कर रहे थे.

द प्रिंट लिखता है कि कार्यक्रम में कहा गया कि इस मामले में जम्मू कश्मीर राइफ़ल्स की 19वीं बटालियन के एक सैनिक के नेतृत्व में चीनी सैनिकों का सामना किया गया. इस झड़प में 15 चीनी सैनिक घायल हुए. भारतीय सैनिक को भी चोट आई लेकिन उन्होंने सफलतापूर्वक अभियान को नेतृत्व किया. उन्होंने सेना मेडल से नवाज़ा गया.

कार्यक्रम में ख़ुफ़िया अभियान को अंजाम देने के लिए कुमाऊं रेजिमेन्ट की 15वीं बटालियन के एक सैनिक को सेना मेडल दिया गया. इस सैनिक से चीनी सीमा के “काफ़ी भीतर जाकर” अभियान को अंजाम दिया.

16 सितंबर 2022 को इंटेलिजेंस कोर के एक सैनिक ने “सीमापार दुश्मन के इलाक़े में” जाकर अभियान को अंजाम दिया. ऊंचाई पर होने वाली परेशानी के बावजूद सैनिक ने दुश्मन की नज़र में आए बिना अपना काम पूरा किया. उन्हें भी सेना मेडल दिया गया.

बीते सप्ताह भारतीय आर्मी प्रमुख ने कहा था कि चीन से साथ एलएसी पर स्थिति “स्थिर तो है लेकिन संवेदनशील” है.