उत्तर प्रदेश राज्य

गर्मी कुछ ज़्यादा ही है : उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में बीते पांच दिनों में 68 लोगों की मौत!

सारांश
मौत की वजह पता करने के लिए पहुंची दो अधिकारियों की टीम
178 मरीज़ रविवार को ज़िला अस्पताल में भर्ती हुए, 24 घंटों में 14 मौतें
बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने कहा गर्मी से बीमारों की हुई दिक़्क़त
क्या है पूरा मामला, जानिए इस कहानी में.

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के बलिया ज़िले में बीते पांच दिनों में 68 लोगों की मौत का मामला राष्ट्रीय मीडिया की सुर्ख़ियों में है. इन मौतों की वजह जानने के लिए राज्य सरकार ने निदेशक स्तर के दो अधिकारियों की टीम को बलिया भेजा है.

रविवार शाम तक यह आंकड़ा 54 मौतों का था लेकिन ज़िला चिकित्सा अधिकारी के ताज़ा बयान के मुताबिक़ रविवार को अस्पताल में 14 और लोगों की मौत होने के कारण मरने वाले लोगों की संख्या 68 हो गई है.

ज़िले में 54 लोगों की मौत पर बलिया ज़िला अस्पताल के सीएमएस के बयान पर भी विवाद ख़ूब बढ़ा और बाद में उनके पद से मुक्त किए जाने की ख़बर आयी थी.

महज पांच दिनों में इतने लोगों की मौत की वजह की जांच करने के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बलिया पहुंचे गए हैं. ये अधिकारी मृतक के परिजनों के घर जाकर अपनी जांच से जुड़ी जानकारी इकठ्ठा कर रहे हैं.

बलिया में मौतें

बलिया के सीएमओ डॉ जयंत कुमार ने कहा, “गर्मी ज़्यादा ही है, जिसकी वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों की संख्या बढ़ी है. 178 मरीज़ रविवार को ज़िला अस्पताल में भर्ती हुए हैं और उनकी देख रेख की जा रही है. और पिछले 24 घंटों में 14 मौतें हुई हैं.”

इन लोगों की मौत की वजहों पर जयंत कुमार ने कहा, “विभिन्न बीमारियों से ग्रसित लोग थे, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हुई है. जो भर्ती हैं उनकी अच्छी तरह से देखभाल की जा रही है. सभी चीज़ों की व्यवस्था है, पर्याप्त मात्रा में दवाइयां हैं, स्टाफ और कूलर सब कुछ उपलब्ध है.”

ऐसे आरोप भी लग रहे है कि ज़िला अस्पताल में बेड ना होने की वजह से मरीज़ ज़मीन पर लेटे हुए थे और लाश तक रखने की जगह नहीं थी. इन आरोपों के जवाब में सीएमओ ने कहा, “नहीं, ऐसी स्थिति नहीं है.स्थिति एकदम कंट्रोल में है. किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है.”

किन कारणों से मौत हुई है? इस सवाल के जवाब में सीएमओ ने कहा, “इसके लिए जांच टीम आई हुई है और वो जांच कर रही है. हमारे दो डायरेक्टर आए हुए हैं. उन्होंने कल इमरजेंसी, वार्ड से लेकर पूरा अस्पताल देखा है, मरीज़ों से भी बातचीत की है.”

“पानी, ब्लड और यूरिन के सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं. जिन क्षेत्रों से मरीज़ ज़्यादा आए हैं, वहां भी हमारी जांच टीम गई हुई है. और निश्चित रूप से वो रिपोर्ट देगी, तभी स्थिति स्पष्ट होगी.”

ज़िला अस्पताल का मौजूदा हाल

बलिया से विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री दयाशंकर सिंह रविवार को ज़िला अस्पताल में मरीज़ों का हाल चाल पूछते नज़र आए. उन्होंने कहा, “अन्य दिनों की अपेक्षा गर्मी में मुश्किलें बढ़ जाती है.”

हीट वेव की वजह से मौत होने पर दयाशंकर सिंह ने कहा, “वो केवल एक ही कारण नहीं है. वो भी एक कारण है. गर्मी है, लू है. जो कमजोर लोग हैं, उनको दिक़्क़त हो रही है.”

हालांकि, दयाशंकर सिंह के बयान की कांग्रेस ने आलोचना की है

ज़िला अस्पताल में एक बुज़ुर्ग बिस्तर पर लेटे हुए नज़र आए और एक महिला बगल में ज़मीन पर पड़ी हुई नज़र आई. ये रविवार शाम की तस्वीर है. एक अन्य तस्वीर में एक महिला अस्पताल के कॉरिडोर में ज़मीन पर पड़ी हुई नज़र आ रही है.

हालांकि कुछ तस्वीरों और वीडियो में कूलर चलते हुए नज़र आ रहे हैं बिस्तर पर लेटे हुए अधिकतर मरीज़ बुज़ुर्ग और महिलाएं लग रहे हैं. वहीं कुछ वार्डों में मरीज़ों के रिश्तेदारों की संख्या भी काफी ज़्यादा नज़र आ रही है. वहां मौजूद डॉक्टर भी मरीज़ों के तीमारदारों से घिरे हुए नज़र आ रहे हैं.

अस्पताल के बाहर कुछ नए-नए डेज़र्ट कूलर भी रखे हुए दिखे, जिन्हें अस्पताल में मौजूद मरीज़ों और तीमारदारों की भीड़ के लिए लगाया गया है. अस्पताल के इमरजेंसी के बाहर कुछ लोग मुफ्त में पानी के पाउच भी लोगों को बांटते हुए दिखे.

पूर्व सीएमएस ने क्या कहा था

रविवार शाम को बलिया के ज़िलाधिकारी रविंद्र कुमार ने मीडिया से कहा, “ज़िला अस्पताल के चीफ़ मेडिकल सुप्रीटेंडेंट दिवाकर सिंह के अप्रमाणित बयान देने पर शासन ने उन्हें अपने पद से हटा दिया है.”

17 जून को हुई इतनी मौतों के सवाल पर बलिया के ज़िला अस्पताल के पूर्व सीएमएस दिवाकर सिंह ने मीडिया को बताया था कि वो हीट-स्ट्रोक से मौतों का कोई आंकड़ा नहीं दे पाएंगे.

लेकिन मौतों के बारे में उन्होंने यह ज़रूर कहा, “जिन मरीज़ों की मौत हुई है उसमे सभी मरीज़ लगभग 60 साल के उम्र के ऊपर के थे और वो किसी न किसी बीमारी से ग्रसित थे. इस कारण उनमें गर्मी से दिक्कतें बढ़ सकती थीं, बढ़ी होगी. वो गंभीर अवस्था में लाए गए और जांच तथा इलाज के दौरान उनकी मौत हुई. उम्रदराज़ मरीज़ों की किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होने के नाते मृत्यु हुई.”

इन मौतों के हीट वेव से कनेक्शन पर उन्होंने कहा था, “ये सभी मरीज़ किसी न किसी बीमारी से ग्रसित थे. हो सकता है किसी को मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर हुआ हो और गर्मी पड़ने से उनकी मौत हो गई हो.”

अंत में पूछा गया कि क्या सभी मरीज़ों की मौत गर्मी की वजह से हुए है तो पूर्व सीएमओ दिवाकर सिंह ने कहा था कि, “नहीं, गर्मी की वजह से नहीं हुई है, बीमारी की वजह से हुई है. गर्मी में क्या होता है कि जितने उम्रदराज़ मरीज़ होते हैं उसमे यह सब बीमारियां गंभीर हो जाती हैं और संक्रमण बढ़ जाता है.”

वहीं बलिया के ज़िलाधिकारी रविंद्र कुमार ने हीट वेव से होने वाली मौतों को लेकर कहा, “इस प्रकरण में शासन की ओर से दो निदेशक स्तर के अधिकारी भेजे गए हैं जो इन मौतों की जांच का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराएंगे. अभी तक हीट वेव से मृत्यु के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं.”

हमने ज़िला अस्पताल में भर्ती मरीज़ों के तीमारदारों से बात कर उनका हाल जानने की कोशिश की.

बलिया के सिकंदरपुर के रहने वाले राधेश्याम अपनी भाभी को सुबह-सुबह इलाज के लिए अस्पताल लाए हैं. उनकी हालत कैसे बिगड़ी, इसपर राधेश्याम ने कहा, “गर्मी बहुत ज़्यादा है ना. इसी वजह से हो गया.”

वो कहते हैं कि उनकी भाभी को पहले से कोई बीमारी नहीं थी और अब अस्पताल में दवा और ड्रिप लगाकर इलाज शुरू हुआ है.

बलिया के हल्दी गाँव से मीना गुप्ता अपनी माँ को अस्पताल लेकर आई हैं और कहती हैं, “इन्हें लू के लक्षण महसूस हो रहे हैं. इन्हें ड्रिप चढ़ाई है. तीन चार दिन से ऐसा हो रहा है और आज भर्ती कराया है.”

मीना देवी को लगता है कि उनकी माँ की तबीयत गर्मी की वजह से बिगड़ी है.

विजेंद्र कुमार वर्मा अपने पिता को अस्पताल लेकर आए हैं और कहते हैं कि उन्हें बुख़ार हुआ है और मुँह से खून निकल रहा था.

वो कहते हैं कि पिता को पहले कोई बीमारी नहीं थी. बीमारी की वजह के बारे में वो कहते हैं, “गर्मी की वजह से हुआ. इस समय वो ठीक हैं और दवा से इलाज चल रहा है.अभी पिताजी ठीक हैं तो हम संतुष्ट ही हैं.”

ज़िला अस्पताल में तैनात डॉ आदित्य कुमार सिंह ने बीबीसी को बताया कि अस्पताल में लाए जा रहे मरीज़ों को सांस फूलने के अलावा हाइपरटेंशन, बीपी, शुगर, बुखार, उल्टियां, गैस की तकलीफ़ और पहले से मौजूद किसी बीमारी के लक्षण देखने को मिले रहे हैं.

डॉक्टर आदित्य कुमार ने कहा, “गर्मी की वजह से जो भी परेशानियां आ रही हैं, गर्मी से लोग बच नहीं पा रहे हैं, धूप में निकल रहे हैं तो डिहाइड्रेशन हो रहा है, तो उसकी वजह से भी मरीज़ों की संख्या ज़्यादा बढ़ रही है. पिछले दो चार पांच दिनों में यहाँ मरीज़ों की संख्या बढ़ी है.”

जांच टीम ने अभी तक क्या पाया?

राजधानी लखनऊ से बलिया पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने माना कि पूरे प्रदेश में हीट वेव है.

स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉक्टर ए सिंह ने कहा कि जब वो मृतकों के गाँवों से होकर आए तो “सब लोग तसल्ली से बैठे हुए थे. किसी भी गाँव में अफ़रा-तफ़री, बेचैनी, पैनिक नहीं था और हम तीन चार गाँव में गए.”

विभाग के निदेशक डॉक्टर केएन तिवारी ने मृतकों के गांव का हाल बताया. उन्होंने कहा, “बांसडीह ब्लॉक की पीएचसी (प्राइमरी हेल्थ सेंटर) गए थे तो वहां भी ऐसा नहीं है की गर्मी से बेहाल लोग आ रहे हों. हम लोग पर्वतपुर नाम के एक गाँव में गए थे, तो उसमे भी कुल एक मौत थी और वो भी टीबी के मरीज़ की थी.”

बिजली की समस्या के बारे में टीम ने पाया कि “कुछ गांव वालों की भी दिक्कत थी की वहां ट्रांसफार्मर फुका है, 20-21 दिन हो गए हैं बदला नहीं है और एक तियाही गाँव में बिजली नहीं है.”

टीम ने गाँव में गर्मी से बचने के लिए आशा एएनएम और गांव वालों को जागरूक बनाया.

ज़िला अस्पताल की हालत के बारे में निदेशक डॉक्टर केएन तिवारी ने कहा, “हमने इस अस्पताल का विस्तृत निरीक्षण किया था, और यह बात तो सही है की गर्मी ज़्यादा है, और जो मरीज़ यहां भर्ती हैं उनको भी गर्मी से दिक्कतें हैं.”

हीट स्ट्रोक से मौत के बारे में उन्होंने कहा, “हमने आपके (मीडिया के) साथ वार्ड घूमा, लेकिन आप भी देख रहे हैं की यहां कोई आइसोलेटेड हीट स्ट्रोक का मरीज़ तो है नहीं. हां किसी को सांस की दिक्कत है, कोई लम्बे समय से बीमार है, तो यह कहना कि हीट स्ट्रोक से मौत हो रही है या स्ट्रोक के मरीज़ आ रहे हैं, तो इसमें अलग से हीट स्ट्रोक के मरीज़ तो नहीं हैं. यहां नहीं मिले हैं.”

मौत के कारणों की जांच के बारे में अधिकारियों ने बताया की उन्होंने सैंपल लिए हैं और जांच इस बिंदु पर केंद्रित होगी कि क्या इन मौतों का कोई विशेष कारण या इन्फेक्शन तो नहीं है जो गर्मी की आड़ में इग्नोर हो रहा हो.

(बलिया से स्थानीय पत्रकार करुणा सिंधु के इनपुट के साथ)

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अनंत झणाणें

बीबीसी संवाददाता