सेहत

गंजेपन के कारण और उपचार, क्या तेल और लोशन गंजेपन के लिए उपयोगी हैं?

सनाउल्लाह खान अहसान
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गंजेपन के कारण और उपचार
* क्या तेल और लोशन गंजेपन के लिए उपयोगी हैं?
*क्या DHT ब्लॉकर्स गंजापन ठीक करते हैं?
* विज्ञापित दवाएं कितनी उपयोगी हैं?

* क्या मैकडॉनल्ड्स के फ्रेंच फ्राइज़ खाने से गंजापन होता है?
कितना अजीब लगता है कि चिकित्सा विज्ञान का अद्भुत विकास और जेनेटिक इंजीनियरिंग का आश्चर्यजनक विज्ञान आज तक मनुष्य के गंजेपन का इलाज नहीं खोज पाया है। स्पष्ट है कि किसी भी रोग के उपचार के लिए उसके कारणों का निदान आवश्यक है। एक बार जब बीमारी के कारण का पता चल जाता है, तब उसका उपचार किया जाता है। हमारे सिर के बाल देखने में बहुत मामूली लगते हैं लेकिन एक बार खोदने के बाद वापस आना नामुमकिन हो जाता है। हेयर ट्रांसप्लांट से कुछ फायदा होता है, लेकिन इन बालों को स्कैल्प के पीछे के ऊपरी हिस्से से निकालकर गंजे हिस्से में ट्रांसप्लांट किया जाता है। आपने देखा होगा कि मेल पैटर्न बाल्डनेस में माथे से बाल गायब हो जाते हैं और सिर के ऊपरी हिस्से को क्राउन कहा जाता है। एक मजाक यह भी है कि एक बच्चा नाई के पास जाता है और मेरे बाल काटने को कहता है। नाई पूछता है किस स्टाइल का कट? तो बच्चा कहता है दादाजी जैसा है, बीच में साफ और चारों तरफ झालर! लेकिन दोस्तों आधा गंजा होना पूरे गंजेपन से ज्यादा भद्दा लगता है, इसलिए बहुत से लोग रोजाना अपने सिर की झाइयों को साफ करके शेव कर लेते हैं।

यह वैसे भी एक मजाक है लेकिन यह एक चिकित्सकीय तथ्य है कि DHT हमारे सिर के पीछे बालों के रोम में होता है

(डाई-हाइड्रो-टेस्टोस्टेरोन),

यह जमता नहीं है, इसलिए ये बाल बरकरार रहते हैं। सिर के इस हिस्से से बालों को हटाकर आपके क्राउन और माथे के ऊपर ट्रांसप्लांट किया जाता है। लेकिन क्योंकि सिर के इस हिस्से के रोम में DHT बालों के रोम में रुकावट का कारण बनता है, इसलिए प्रत्यारोपित बाल धीरे-धीरे कमजोर और पतले हो जाते हैं। अब इस DHT के इलाज के लिए बाजार में कई यौगिक उपलब्ध हैं जैसे मिनॉक्सीडिल, फिनस्टरराइड आदि। लेकिन उनके परिणाम बिल्कुल उत्साहजनक नहीं रहे हैं। इसी तरह कद्दू के बीज का तेल भी डीएचटी को रोकता है। लाइट थेरेपी वाले लेजर कॉम्ब्स भी आ रहे हैं, लेकिन अगर इनमें से कोई सफल होता तो आज दुनिया में एक भी गंजा व्यक्ति नहीं होता।

आपने अक्सर हेयर थेरेपिस्ट की सलाह पढ़ी होगी कि बाल न धोने से गंजापन होता है, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है क्योंकि आपने अक्सर ऐसे शराबी या भिखारी देखे होंगे जो सालों से न नहाए हों और उनके बाल मेल और मिट्टी से सख्त हो जाते हैं। पसीना बहाते और चटाई जैसे हो जाते हैं, तौभी गन्दे नहीं होते। इसी तरह बालों के झड़ने का कारण एनीमिया को बताया जाता है, लेकिन मैंने पीले रंग के टीबी के मरीजों को देखा है जिनके सिर के बाल बहुत घने होते हैं। कुछ लोग विशेष विटामिन और एंजाइम आदि की सलाह देते हैं लेकिन ये सभी मौजूदा बालों के विकास और मजबूती में मदद करते हैं लेकिन गंजे सिर पर बाल नहीं उग सकते। हालांकि कुछ हद तक सिर की मालिश से इसे रोका जा सकता है क्योंकि मालिश से हम अपने स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ा सकते हैं और जड़ों में जमा हानिकारक यौगिकों को साफ कर सकते हैं, लेकिन इसका एक सीमित लाभ ही होगा। इसके अलावा कुछ जड़ी-बूटियां जैसे अदरक, लहसुन, प्याज, तारामेरा आदि भी त्वचा में रक्त परिसंचरण में सुधार के लिए उपयोगी हैं। इसके अलावा रोजाना त्रिफला का आंतरिक रूप से सेवन भी फायदेमंद हो सकता है। होम्योपैथी में अर्निका, जाब्रांडी और विस्बाडेन की 30 या 20 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। ये सभी जड़ी-बूटियाँ और औषधियाँ गंजेपन को रोकने या धीमा करने में मदद कर सकती हैं, लेकिन आज तक ऐसी कोई दवा नहीं है जो मोटे बालों वाले व्यक्ति की तरह खोपड़ी पर घने बाल उगा सके।सिर मुंडवाने के कुछ दिनों बाद बालों का झड़ना शुरू हो जाता है। स्कैल्प पर बालों को बढ़ने में मदद करने वाले तेल या दवाओं के इस्तेमाल का सबसे पहला असर यह होता है कि स्कैल्प की चिकनी त्वचा थोड़ी रूखी और खुरदरी होने लगती है। गंजे सिर की चिकनी त्वचा का खुरदरापन ही एकमात्र सबूत है कि दवा काम करेगी।

हमारे कुछ ऋषि-मुनि और मित्र प्राय: ऐसे तेल आदि का विज्ञापन करते हैं जिसमें वे दावा करते हैं कि गंजेपन पर बाल उगा सकते हैं। कुछ लोग सबूत के तौर पर तस्वीरें भी पोस्ट करते हैं कि तेल लगाने से पहले हमारा सिर ऐसा दिखता था, और फिर कुछ बालों की दूसरी तस्वीर पोस्ट करते हैं जो उस पैची खेत में बिना मौसम की फसल की तरह बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इन चंद बालों और गंजे सिर में कोई खास अंतर नहीं है। दवाई ऐसी होनी चाहिए जो सारे झड़े हुए बालों की जड़े खोल दे और बालों को बड़ा कर दे। अब लोग फेसबुक पर भी तेल बेचने लगे हैं, जबकि इन सभी तेलों की मूल सामग्री में एक ही पारंपरिक आंवला, सिकाकाई, रीठा, बलछर आदि शामिल हैं, जबकि कुछ ने बाजी बालकों को देखकर उनमें अदरक, प्याज और लहसुन डालना शुरू कर दिया है। गंजे सिर पर तेल लगाकर एक बाल भी उगाने वाले जनाब।

मैंने 1930 के दशक में प्रकाशित होने वाली भारतीय पत्रिकाओं में भी ऐसे विज्ञापन देखे हैं। यानी यह प्रक्रिया एक सदी से चली आ रही है, लेकिन लोग अब भी गंजे होते जा रहे हैं। हमारे डाइजेस्ट में अक्सर गंजेपन के कारण और इलाज का दावा करने वाले विज्ञापन भी होते हैं। जिस तरह प्राचीन मानव शरीर के हर विकार, विशेषकर यौन कमजोरी के लिए जिगर और मूत्राशय में गर्मी को जिम्मेदार ठहराते हैं।

Sanaullah Khan Ahsan
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گنج پن کی وجوہات اور علاج
*کیا تیل اور لوشن گنج پن کے لئے مفید ہیں؟
*کیا DHT روکنے کی ادویات سے گنج پن ختم ہوجاتا ہے؟
*اشتہاری ادویات کتنی مفید ہیں؟
*کیا میکڈونلڈ کی فرنچ فرائز کھانے سے گنج پن ختم ہوجاتا ہے؟
کیسی عجیب سی بات لگتی ہے کہ میڈیکل سائنس کی حیرت انگیز ترقی اور جینیٹک انجینئرنگ میں انسان کو حیران کردینے والی سائنس آج تک انسان کے گنج پن کا علاج دریافت نہ کرپائ۔ ظاہر سی بات ہے کہ کسی بھی بیماری کے علاج کے لئے اس کی وجوہات کی تشخیص لازمی حیثیت رکھتی ہے۔ جب بیماری کی وجہ کی تشخیص ہوجائے تو پھر اس کے علاج پر کام کیا جاتا ہے۔ ہمارے سر کے بال بظاہر کتنے معمولی نظر آتےہیں لیکن اگر آپ ایک بار ان کو کھودیتے ہیں تو دوبارہ حاصل کرنا ناممکن ہوجاتا ہے۔ کسی حد تک فائدہ ھئر ٹرانسپلانٹ سے ہوتا ہے لیکن یہ بال سر کے گدی سے زرا اوپر والے پچھلے حصے سے نکال کر گنج والے حصے پر پیوندکاری کئے جاتے ہیں۔ آپ نے دیکھا ہوگا کہ مردانہ گنج پن میں سر کے بال ماتھے اور سر کے اوپری حصے جس کو کراؤن کہا جاتا ہے سے ہی غائب ہوتے ہیں ہماری گُدی سے زرا اوپر پچھلے والے حصے پر بالوں کی جھالر آخری عمر تک قائم رہتی ہے۔ اس پر ایک لطیفہ بھی ہے کہ ایک بچہ حجام کے پاس جا کر کہتا ہے کہ میرے بال کاٹ دیجئے۔ حجام پوچھتا ہے کہ کس انداز کے کاٹوں؟ تو بچہ کہتا ہے کہ جیسے دادا جان کے ہیں، بیچ میں سے صاف اور چاروں طرف جھالر! لیکن دوستو آدھا گنجا ہونا مکمل گنجے پن سے زیادہ بدصورت لگتا ہے اس لئے اکثر لوگ یہ جھالر صاف کرکے روزانہ اپنے سر کا شیو کرلیتے ہیں۔
یہ تو بہرحال ایک لطیفہ ہے لیکن یہ طبی حقیقت ہے کہ ہمارے سر کے پچھلے حصے کے بالوں کی جڑوں میں DHT
(dy-hydro-testosterone),
نہیں جمتا اسی لئے یہ بال برقرار رہتے ہیں۔ سر کے اس حصے سے بال نکال کر آپ کے کراؤن اور پیشانی سے اوپر والے حصے میں پیوندکاری کی جاتی ہے۔ لیکن کیونکہ سر کے اس حصے کے مساموں میں DHT بالوں کی جڑ کے تھانولے میں رکاوٹ کا باعث بنتا ہے تو دھیرے دھیرے ٹرانسپلانٹ شدہ بال بھی کمزور اور پتلے ہونے لگتے ہیں۔ اب اس DHT کے علاج کے لئے کئ مرکب مارکیٹ میں دستیاب ہیں جیسے کہ مائنوکسیڈل (Minoxidil)، فینسٹرائڈ(Finasteride)، وغیرہ۔ لیکن ان کے نتائج قطعی حوصلہ افزا نہیں ہیں۔ اسی طرح پیٹھا کدو ( Pumpkin) کے بیجوں کا تیل بھی DHT کی روک تھام کرتا ہے۔ لائٹ تھراپی والے لیزر کنگھے بھی آرہے ہیں لیکن اگر ان میں سے کچھ بھی کامیاب ہوتا تو آج دنیا میں ایک بھی گنجا نہ ہوتا۔
آپ نے اکثر بالوں کے علاج معالجے کرنے والوں کی تجاویز پڑھی ہونگی کہ گنج پن کی وجہ بالوں کی صفائ نہ کرنا ہے جبکہ یہ بات بالکل غلط ہے کیونکہ آپ نے اکثر ایسے نشئ یا بھکاری وغیرہ دیکھے ہونگے جو شاید سالوں نہیں نہاتے اور ان کے بال میل گرد اور مٹی پسینے سے اکڑ کر چٹیاں جیسی بن جاتی ہیں اس کے باوجود وہ گنجے نہیں ہوتے۔ اسی طرح خون کی کمی کو بالوں کے جھڑنے کا سبب بتایا جاتا ہے لیکن میں نے ٹی بی کے ایسے زرد رنگ ڈھانچہ مریض دیکھے ہیں جن کے سر کے بال انتہائ گھنے تھے۔ کچھ لوگ خاص وٹامن اور اینزائم وغیرہ تجویز کرتے ہیں لیکن یہ سب پہلے سے موجود بالوں کی بڑھوتری اور مضبوطی میں تو معاون ثابت ہوتے ہیں لیکن گنجے سر پر بال نہیں اگا سکتے۔ البتہ کسی حد تک سر کا مساج اس سلسلے میں روک تھام کرسکتا ہے کیونکہ مساج کے ذریعے ہم اپنے سر کی جلد میں خون کی گردش میں اضافہ کرکے جڑوں میں جمنے والے مضر مرکبات کو صاف کر سکتے ہیں لیکن اس سے بس ایک محدود فائدہ ہی ہوتا ہے۔ اس کے علاوہ جلد میں دوران خون تیز کرنے والی کچھ جڑی بوٹیوں جیسے کہ ادرک، لہسن، پیاز، تارامیرا وغیرہ کا تیل بھی مفید ہوتا ہے۔ اس کے علاوہ اندرونی طور پر ترپھلا کا روزانہ استعمال بھی مفید ہوسکتا ہے۔ ہومیوپیتھی میں آرنیکا، جبرانڈی اور پینے کے لئے وائزبیڈن تیس یا دوسو کی پوٹنسی میں استعمال کیا جاتا ہے ۔ یہ تمام جڑی بوٹیاں اور ادویات گنج پن کی روک تھام کرنے یا اس کی رفتار سست کرنے میں مدد تو کرسکتی ہیں لیکن آج تک ایسی کوئ دوا نہیں بنی جو سر کے چکنے چٹیل میدان پر اس طرح گنجان بال اگا سکے جیسے ایک گھنے بالوں والے شخص کے سر پر استرا پھروانے کے چند روز بعد بالوں کی فصل اگنا شروع ہوجاتی ہے۔ جو تیل یا ادویات سر پر بال اگانے میں مددگار ہوتی ہیں ان کے استعمال کا سب سے پہلا اثر یہ ہونا شروع ہوتا ہے کہ سر کی چکنی جلد قدرے خشک ہوکر کھردری ہونے لگتی ہے۔ گنجے سر کی چکنی جلد کا کھردرا ہونا ہی اس بات کا ثبوت ہوتا ہے کہ دوا کارگر ہوگی۔
ہمارے کئ حکیم اور اتائ دوست اکثر ایسے تیل وغیرہ کے اشتہارات لگاتے رہتے ہیں جن میں دعوی کیا جاتا ہے کہ یہ گنج پن پر بال اگاسکتے ہیں ۔ بعضے ثبوت کے طور پر تصاویر بھی لگاتے ہیں کہ ہمارا تیل لگانے سے پہلے سر کی حالت یہ تھی اور پھر ایک دوسری تصویر لگاتے ہیں جس میں اس چٹیل میدان پر گنتی کے چند بال بے موسمی فصل کی طرح اُگنے کی کوشش کر رہے ہوتے ہیں۔ لیکن ان چند بالوں اور گنجے سر میں کوئ خاص فرق محسوس نہیں ہوتا۔ دوا تو ایسی ہو جو سارے جھڑے ہوئے بالوں کی جڑوں کو کھول کر گجگجا کر بال اگادے۔ اب تو فیسبک پر بھی لوگ دھڑادھڑ تیل بیچ رہے ہیں جبکہ ان سب کے تیلوں کے بنیادی اجزا میں وہی روایتی آملہ، سیکاکائ، ریٹھا بالچھڑ وغیرہ شامل ہوتے ہیں جبکہ کچھ نے باجی بلقیس کی دیکھا دیکھی ان میں ادرک پیاز اور لہسن بھی ڈالنا شروع کردیا ہے، مگر توبہ کیجئے جناب جو کسی ایک کا بھی تیل گنجے کے سر پر ھل چلا کر ایک بال بھی اُگا دے۔
ایسے اشتہار میں نے انڈیا کے 1930 میں شائع ہونے والے رسالوں میں بھی دیکھے ہیں۔ یعنی ایک صدی سے یہی سلسلہ چل رہا ہے لیکن لوگ آج بھی گنجے ہورہے ہیں۔ ہماری ڈائجسٹوں میں بھی ایسے اشتہارات بڑے تواتر سے چھپتے رہے ہیں جن میں گنج پن کی وجہ اور علاج دریافت کرنے کا دعوی کیا جاتا ہے۔ جس طرح اتائ لوگ انسانی جسم کے ہر عارضے اور خاص طور پر جنسی کمزوری کی وجہ جگر اور مثانے میں گرمی بتاتے ہیں اسی طرح پرانی ڈائجسٹوں میں زیڈال ھئر ٹانک والے یہ دعوی کرتے تھے کہ برسوں کی تحقیق کے بعد انہوں نے دریافت کیا ہے کہ سر کے بال جڑوں میں فالتو گرمی کی وجہ سے گرتے ہیں۔ اس کے لئے ان کا زیڈال سر کے بالوں کی فالتو گرمی کھینچ نکالتا ہے اور بال دوبارہ سرسیاہ و شاداب ہوجاتے ہیں۔ انہوں نے اپنے زیڈال میں پیپر منٹ کی آمیزش کرکے ایک عرصہ تو عوام کو بیوقوف بنایا۔ کیونکہ پیپرمنٹ ملے تیل سے سر میں ٹھنڈک کا احساس ہوتا تھا اور لوگ سمجھتے کہ سر کی فالتو گرمی نکل رہی ہے۔ ایک زمانے میں چائنا کے 101 ھئر آئل کا بھی بڑا چرچا ہوا تھا یعنی دنیا کے ہر ملک کے روایتی جڑی بوٹیوں سے علاج کرنے والے آپ کو گنج پن کا کامیاب علاج بتائیں گے لیکن بدقسمتی سے ہم کو دنیا کے ہرملک و قوم میں گنجے افراد کثرت سے نظر آتے ہیں۔
میں نے ایک مرحوم ہومیوپیتھ صاحب کا نسخہ پڑھا تھا جو چار پانچ اقسام کے تیلوں کے مکسچر میں چند ہومیوپیتھک دواؤں کے مدر ٹنکچر ڈال کر اور پھر اس مرکب محلول کو دوبارہ ایک خاص طریقے سے پوٹنٹائز کرکے تیل بنایا کرتے تھے۔ یہ تیل وہ سستے کے زمانے میں ساڑھے چار سو روپے کا 120 ملی لیٹر کی بوتل دیا کرتے تھے اور یہ تیل واقعی ابتدائ گنج پن، بالخورہ، خشکی، خارش، جوؤں ،باریک پتلے بال اور سر کے جھڑتے بالوں کو مضبوط کرکے لمبا کرنے میں اپنی مثال آپ تھا۔ اب بہ وہ ڈاکٹر صاحب رہے اور نہ اتنی محنت کرکے نسخہ بنانے والے رہے۔ پھر ایک حکیم صاحب کا تیل کا نسخہ دیکھا جس میں پیاز، لہسن اور ادرک کے ساتھ ایک خاص جڑی بوٹی کا استعمال کیا گیا تھا۔ حکیم صاحب نے اس کو گنجے پن کا آخری علاج تجویز کیا تھا۔ ادھر دوسری طرف انڈیا کے ایک پرانے حکیم صاحب کا نسخہ پڑھا جس میں ایک عام کیمیائ عنصر کا مقطر شدہ پانی حاصل کرکے اس کو چار اقسام کے تیل کے مرکب میں ملا کر ایملشن بنا کر سر پر لگانے کی ترکیب بیان کی تھی۔ حکیم صاحب کا دعوی تھا کہ یہ ایملشن گنجے کے سر پر بھی بال اگا سکتا ہے جبکہ کمزور اور جھڑتے ہوئے بالوں کو تو فقط ھفتہ بھر میں روک دے گا۔ اب میں سوچتا ہوں کہ اگر حکیم صاحب کے ادرک پیاز لہسن اور ایک خاص بوٹی والے تیل میں ہومیوپیتھی والے ڈاکٹر صاحب کی بیان کردہ مدر ٹنکچرز شامل کرکے اس تیل کو ہومیو طریقے سے خاص پوٹنسی دے کر اس میں انڈیا والے حکیم صاحب کا بتایا گیا لوشن ڈال کر ایملشن بنایا جائے تو کیسا رہے گا؟ مگر دوستو اس میں محنت اور عرق ریزی بہت ہے۔ لیکن اگر کبھی موڈ ہوا تو بنائیں گے۔
اب آتے ہیں جدید سائنس کی طرف کہ وہاں کیا پیش رفت ہورہی ہے۔
مردوں میں گنج پن کی وجہ مردانہ ھارمون ٹیسٹسٹرون میں موجود Dihydrotestosterone (DHT)
ہوتا ہے جو سر کے بالوں کی جڑ میں جم کر اس کو سکیڑ دیتا ہے جس کے نتیجے میں بال گر جاتے ہیں۔
زیادہ تر مردوں میں گنجا پن وسطی عمر میں ہوتا ہے، جبکہ تقریبا اسّی فیصد مردوں میں ستر سال تک کی عمر میں بھی معمولی سے ہی بال جھڑتے ہیں۔
اس معاملے میں مرودوں میں پایا جانے والا ٹیسٹوسٹيرون نامی ہارمون اہم کردار ادا کرتا ہے۔ ان کی وجہ سے بالوں کے غدود سکڑ جاتے ہیں اور دھیرے دھیرے اتنے چھوٹے ہوجاتے ہیں کہ انہیں دیکھنا مشکل ہو جاتا ہے۔
یہی صورت حال بعد میں گنجے پن میں تبدیل ہو جاتی ہے۔
تاہم اب پینسلوینيا یونیورسٹی کے محققین یہ جاننے کی کوشش کررہے ہیں کہ جب انسان میں گنجے پن کا آغاز ہوتا ہے تو کون سا مخصوص جین اس کے لئے ذمہ دار ہوتا ہے۔
محققین نے پایا کہ پروسٹاگلیڈن ڈیProstaglandin D)سینتھیز نامی ایک خاص قسم کا پروٹین سر پر گنج کے مقام پر موجود بالوں کے غدود والے خلیوں میں موجود تھے۔ یہ پروٹین بالوں والی جگہ پر نہیں تھا۔
چوہوں پر کئی گئی تحقیق کے دوران جب ان کی خوراک میں یہ پروٹین شامل کیا گیا تو وہ مکمل طور پر گنجے ہوگئے جبکہ جن چوہوں پر انسانی بال مصنوعی طریقے سے اگائے گئے تھے ان کے بال اگنا بند ہوگئے۔
تحقیق کی قیادت کر نے والے پروفیسر جارج كوٹساریلس بتاتے ہیں ’ بنیادی طور پر ہم نے دیکھا کہ پوسٹاگلینڈن پروٹین مردوں کے سر پر گنج کی جگہ جمع ہوتی ہے اور یہ بالوں کی نشوونما کو روک دیتی ہے۔ پس ہم نے مردوں میں گنجے پن کی وجہ دریافت کر لی ہے۔ ‘
محققین کا کہنا ہے کہ اس بات کی پوری امید ہے کہ سر کی کھال پر لگانے والی ایسی دوا بنائی جا سکتی ہے جس سے گنجے پن کو روکا جا سکے اور جھڑے ہوئے بال دوبارہ پیدا کر سکیں۔
ادھر ایک دعویٰ جاپان میں ہونے والی ایک تحقیق میں سامنے آیا۔
جاپان کی یوکو ہاما نیشنل یونیورسٹی کی تحقیق میں یہ دعویٰ کیا گیا ہے کہ فاسٹ فوڈ ریسٹورنٹس میں فرنچ فرائز میں استعمال ہونے والا ایک کیمیکل گنج پن کا علاج ثابت ہوسکتا ہے۔
تحقیق کے مطابق سیلیکون میں پائے جانے والا کیمیکل Dimethylpolysiloxane)
جسے فرنچ فرائز بنانے کے لیے تیل میں شامل کیا جاتا ہے،
‏Dimethylpolysiloxane (DMPS) ایک اہم جزو ہے جو ڈیپ فرائی میں استعمال ہوتا ہے۔ یہ تیل کو جھاگ بننے سے روکتا ہے اور اس وجہ سے فوڈ ریسٹورنٹس میں کام کرنے والوں میں گرم تیل اچھل کر جلنے کے امکانات کم کرتا ہے۔ یہ گنج پن سے نجات دلا کر بالوں کو قدرتی طور پر اگاتا ہے۔ لیکن اس کا مطلب یہ نہیں کہ آپ میکڈونلڈ جا کر روزانہ فرنچ فرائز کھانے لگیں۔ اس سے آپ کے بال نہیں اگنے والے۔
تحقیق کے دوران جب چوہوں پر اس کیمیکل کو استعمال کیا گیا تو بالوں کے غدود زیادہ بننے لگے اور بال دوبارہ اگنا شروع ہوگئے۔
ابتدائی ٹیسٹ سے عندیہ ملا کہ یہ طریقہ کار انسانوں میں بھی گنج پن کے علاج کے لیے استعمال کیا جاسکتا ہے۔
محققین کے مطابق تجربات کے دوران بالوں کے دوبارہ اگنے میں سب سے بڑی رکاوٹ پر قابو پانے میں کامیابی حاصل کی گئی۔
جب بالوں کے غدود کی پیوند کاری چوہوں کے سر میں کی گئی تو ان کے بال اس حصے میں دوبارہ اگنا شروع ہوگئے۔ اب عین ممکن ہے کہ ڈائ میتھائل پولی سلیکزون بالوں کی جڑوں میں جمے پروسٹا گلیڈن کو ختم کردیتا ہو۔
‏Dimethylpolysiloxane ایک اینٹی فومنگ ایجنٹ ہے جو سلیکون سے حاصل کیا جاتا ہے جو مختلف قسم کے کھانوں میں پایا جاتا ہے، بشمول کوکنگ آئل، سرکہ، چیونگم اور چاکلیٹ۔ جب منجمد اجزاء شامل کیے جاتے ہیں تو اس میں بلبلے بننے سے روکنے کے لیے تیل میں شامل کیا جاتا ہے، لہذا یہ مصنوعات کی حفاظت اور زندگی کو بہتر بناتا ہے۔
‏Dimethylpolysiloxane عام فارمولے کے مطابق غذائی نالی کی سوزش کی حالتوں کے ساتھ ساتھ نظام انہضام کی سوزش اور السر والی حالتوں کے علاج کے لیے استعمال کیا جا سکتا ہے۔
اس کا کیمیکل فارمولا

‏ [Si(CH3)2O]
جبکہ اس کا فوڈ کوڈ E900a ہے۔
محققین کا کہنا تھا کہ اس کیمیکل کا استعمال کامیابی کی کنجی ثابت ہوا۔
ان کے مطابق ہم نے آکسیجن جذب کرنے والی ایک شریان پر

‏dimethylpolysiloxane
کا استعمال کیا اور اس نے بخوبی کام کیا۔
انہوں نے بتایا کہ یہ کیمیکل تجرباتی طور پر بالوں کے اگنے میں بہترین ثابت ہوا ہے مگر یہ بذات خود بالوں کی نشوونما کا باعث نہیں بنتا، تو فاسٹ فوڈ ریسٹورنٹس میں فرنچ فرائز کھانے کی عادت گنج پن کو دور نہیں کرسکتی۔
محققین نے توقع ظاہر کی کہ بہت جلد اس طریقہ کار کو انسانی بالوں کو دوبارہ اگانے کے لیے استعمال کیا جاسکے گا۔
اس تحقیق کے نتائج جریدے جرنل بائیومیٹریلز میں شائع ہوئے۔
|تحریر✍🏻|
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