हिंसाग्रस्त मणिपुर में शुक्रवार देर रात दो सशस्त्र विद्रोही समूहों के बीच हुई गोलीबारी में दो की मौत हो गई जबकि तीन अन्य घायल हो गए। यह घटना विष्णुपुर और चुराचांदपुर जिले के सीमा पर स्थित फौगाकचाओ इखाई गांव के पास हुई। अर्धसैनिक बल और मणिपुर सशस्त्र पुलिस के जवान भी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक गुरुवार और शुक्रवार की दरम्यानी रात करीब 1.40 बजे विष्णुपुर और चुराचांदपुर जिले के फुइसानफाई और फोलजांग गांव में संदिग्ध मैतेई विद्रोहियों और कुकी विद्रोहियों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई। सूत्रों के मुताबिक बीएन बीएसएफ टुकड़ियों, जो अवांग लीकाई क्षेत्र, फौगाकचाओ इखाई (बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिले का सीमावर्ती क्षेत्र) में तैनात थी को भी भारी गोलीबारी का सामना करना पड़ा। इसके बाद बीएसएफ के जवानों ने भी जवाबी फायरिंग की। जानकारी के मुताबिक लोगीबारी शुक्रवार सुबह करीब साढ़े सात बजे रूकी। सूत्रों के मुताबिक सशस्त्र विद्रोहियों की आपसी गोलीबारी में दो गोली की मौत हो गई जबकि कुकी विद्रोहियों और मणिपुर पुलिस कमांडो के बीच गोलीबारी में तीन अन्य घायल हो गए। अर्धसैनिक बल और मणिपुर सशस्त्र पुलिस के जवान भी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। सूत्रों के मुताबिक घटना में कुछ के घायल होने की भी खबर है।
तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है और 3,000 से अधिक घायल हुए हैं। हालात को काबू करने और राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए मणिपुर पुलिस के अलावा लगभग 40,000 केंद्रीय सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है।
झड़प में मारे गए 4 लोगों में पुलिस कमांडो भी शामिल
बिष्णुपुर जिले के कांगवई इलाके में गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात को दो समुदायों के बीच झड़प में मणिपुर पुलिस के एक कमांडो और एक किशोर सहित चार लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि जिस इलाके में दोनों समुदायों के लोग करीब रहते हैं, वहां हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा बनाए गए बफर जोन के बावजूद रात के दौरान गोलीबारी हुई।
इतना ही नहीं, पहाड़ी से भीड़ ने नीचे आकर घाटी के कुछ गांवों को जलाने का प्रयास भी किया था। उन्होंने बताया कि ये भीड़ इलाके के बाहर से इकट्ठा हुई थी। इस दौरान सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए उन्हें किसी भी घर में आग लगाने से रोका।
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को कोर्ट ने किया तलब
इस बीच जानकारी मिली है कि इंफाल की एक स्थानीय कोर्ट ने छह जुलाई को हैदराबाद विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर खाम खान सुआन हाउजिंग के खिलाफ दायर आरोपों पर संज्ञान लिया है। राज्य में लगातार जातीय संघर्ष में मैतेई संगठनों की भूमिका और राज्य की मिलीभगत के बारे में मुखर रहे हैं। प्रोफेसर हाउजिंग मणिपुर के एक आदिवासी समुदाय से हैं। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि आरोपी को एक नोटिस जारी किया जाए। इस मामले की अलगी सुनवाई 28 जुलाई को होगी। जानकारी के मुताबित प्रोफेसर ने एक साक्षात्कार दिया था, जिसके खिलाफ एक सामाजिक कार्यकर्ता कोर्ट पहंचा था।
सीपीआई-सीपीआई (एम) का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल मणिपुर पहुंचा, राज्यपाल से मिले
इस बीच, सीपीआई और सीपीआई (एम) का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल, जिसमें सीपीआई के तीन सांसद और सीपीआई (एम) के दो सांसद शामिल हैं, हिंसाग्रस्त मणिपुर पहुंचे और स्थानीय लोगों से मिले। इस दौरान प्रतिनिधि मंडल ने कहा, नफरत और कलह का ‘डबल इंजन’ भाजपा चला रही है।भाजपा के कुशासन के तहत, मणिपुर पिछले दो महीनों से जल रहा है और केंद्र और राज्य सरकार दोनों रणनीतिक रूप से स्थित राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लाने में विफल रही हैं। प्रतिनिधिमंडल में सीपीआई के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम, पी. संदोश कुमार और लोकसभा सांसद के. सुब्बारायण सांसद है जबकि सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य और जॉन ब्रिटास संयुक्त प्रतिनिधिमंडल में सीपीआई (एम) का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल अनुसुइया उइके से भी मिले।
Jairam Ramesh
@Jairam_Ramesh
Will the External Affairs Minister
@DrSJaishankar
summon the US Ambassador and tell him in no uncertain terms that the USA has no role whatsoever to play in Manipur? The responsibility for bringing back peace and harmony in Manipur is that of the Union Govt, the state govt, the civil society and political parties in the state, especially.
The Prime Minister is silent and the Home Minister has been ineffective. That does not mean that there is any opening for any other country. This is an Indian challenge which we as Indians have to address sensitively and resolutely.
क्या विदेश मंत्री
@DrSJaishankar
अमेरिकी राजदूत को तलब करके उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहेंगे कि मणिपुर मामले में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है? मणिपुर में शांति और सद्भाव वापस लाने की ज़िम्मेदारी विशेष रूप से केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सिविल सोसाइटी और राज्य के राजनीतिक दलों की है।
प्रधानमंत्री चुप हैं और गृहमंत्री निष्फल रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यहां किसी अन्य देश के लिए कोई अवसर है। यह भारत की चुनौती है और इससे हम भारतीयों को ही संवेदनशीलता और दृढ़ता से निपटना होगा।
The Hindu
@the_hindu
The Central government has assured #Kuki groups that those guilty of committing violence in #Manipur will face the law, but made it clear that a political solution can only be achieved after normalcy returns in the State.
Two #meitei extremist groups- #ArambaiTenggol and #MeiteiLeepun; were the major cause of the violence who were supported by state high #Meitei officials and #MeiraPaibis
YouTube link:https://t.co/wD0Sd28v3o#SaveKukiLives #SeparateAdministration4Kuki_Zo #Manipur_Violence pic.twitter.com/yU8dOrYzFI
— Vawnchawi (@vawnchawi) July 7, 2023