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खलनायक औरंगज़ेब, नालायक़ औरंगज़ेब कहने वालों के पूर्वज मुग़ल दरबार में बादशाह जिंदाबाद के नारे लगाते थे!

 

Kranti Kumar
@KraantiKumar
औरंगजेब खलनायक था. औरंगजेब नालायक था. औरंगजेब इतना नालायक था की उसने अपने बेटे आज़म शाह को स्थानीय भाषा और हिन्दी सीखने के लिए प्रेरित किया.

1600वीं सदी में हिन्दी आज की तरह विकसित नही थी. हिन्दी थी ही नही, ना लिखने वाला ना बोलने वाला.

मुगल दरबार से लेकर पेशवाओं के दरबार तक कि प्रशासनिक भाषा फारसी थी. खलनायक औरंगजेब चाहता था फारसी जानने वाले हिन्दी सीखें ताकि कामकाज आसान हो.

कबीर अवधी और ब्रिज भाषा में लिख रहे हैं. तुलसीदास भी अवधी और अन्य बोलियों के शब्दों में लिख रहे हैं.

नालायक औरंगजेब के कहने पर हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए मिर्ज़ा फखरुद्दीन मोहम्मद ने “तोहफतुल हिन्द” नाम की डिक्शनरी बनाई.

खलनायक औरंगजेब ने हिन्दू को बढ़ावा देने की नींव रखी. बड़ा नालायक आदमी था अच्छा काम करके चला गया और श्रेय भी नही लिया.

इतना नालायक आदमी था कि अपने दरबार में सबसे अधिक अगड़ी जातियों के अधिकारियों को रखा था.

खलनायक औरंगजेब नालायक औरंगजेब कहने वालों के पूर्वज मुग़ल दरबार में बादशाह जिंदाबाद के नारे लगाते थे.

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!

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