नई दिल्ली: मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी महबूबा मुमताज की याद में आगरा में उनका एक खूबसूरत मक़बरा बनवाया था जिसको दुनिया मोहब्बत की नीशानी तस्लीम कर चुकी है,दुनिया के सात अजूबों में उसका शुमार होता है,भारत के इस ऐतिहासिक धरोहर के बारे में बहुत सी गलत धारणाएँ जनता में फैली हुई हैं,जिनके कारण विवाद भी होते रहते हैं।
आइये जानते हैं इनके बारे में ?
अफवाह फैली हुई है कि ताजमहल बनाने वालों के हाथ शाहजहां से कटवा दिए थे.सच: शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ नहीं कटवाए थे. इतिहासकारों के मुताबिक, शाहजहां ने मजदूरों से जिंदगीभर की पगार देकर उन्हें आजीवन काम ना करने का वादा करवाया था।
ये अफवाह आम तौर पर कुछ हिंदूवादी नेताओं के द्वारा फैलाई जारही है कि ताजमहल एक शिव मंदिर है. इसे राजपूत राजा ने बनवाया था. सच: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के मुताबिक, ताजमहल में शिव मंदिर होने के कोई सबूत नहीं है. शाहजहां द्वारा इसके निर्माण की बातें ही इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
कुछ लोगों का कहना है कि शाहजहां सफेद और काला ताजमहल बनवाना चाहता था और दोनों को एक पुल के जरिए जोड़ने की उसकी योजना थी.सच: शाहजहां की ऐसी कोई योजना नहीं थी. इतिहासकारों के मुताबिक, ना तो किसी पुल के बारे में ऐसा कोई जिक्र मिलता है और ना ही काले ताजमहल के बारे में. यह केवल गढ़ी गई झूठी कहानियां।
अफवाह: 19 वीं सदी में ताजमहल यमुना नदी में डूब गया था और इसमें दरारें आई थीं.सच: एएसआई के रिकार्ड्स में ताजमहल कभी भी यमुना में नहीं डूबा और ना ही इसमें विशाल दरारें आई.
अफवाह: हर कुछ घंटों में बदल जाता है ताजमहल का रंग.सच: ताजमहल रंग नहीं बदलता यह मात्र कल्पना है. सूरज की किरणों से ये कभी सुनहरा दिखाई देता है.