साहित्य

क्या मैं अपने माता-पिता के दर्द को भूलकर अपनी खुशी के पीछे भाग रही हूं?

Karuna Rani Vlog
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सुमन की जिंदगी का यह सबसे बड़ा दिन था। यह वो दिन था जब उसे एक बड़ा फैसला लेना था। बस की खिड़की से बाहर झांकती हुई, वह अपनी जिंदगी की कहानी के हर पल को दोबारा जी रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी जिंदगी की गाड़ी भी उसी बस की तरह धीरे-धीरे रुक रही है।

आज उसका आखिरी पेपर था, लेकिन वह उम्मीद के मुताबिक नहीं हुआ। हालांकि, उसके मन में एक अजीब-सी खुशी थी। वह अपने प्यार, रवि, से मिलने जा रही थी। रवि ने उससे वादा किया था कि वह उसे एक नई दुनिया में ले जाएगा, एक ऐसी दुनिया जहां सिर्फ वह दोनों होंगे और कोई बंदिशें नहीं होंगी।

सुमन को घर छोड़े हुए अभी कुछ घंटे ही हुए थे। उसकी यादों में घर के वो दिन ताजा थे जब उसने अपने माता-पिता से रवि के बारे में बात की थी।

“पापा, मैं रवि से शादी करना चाहती हूं।”

पिता का चेहरा गंभीर हो गया था। उन्होंने सख्त लहजे में कहा था, “वह लड़का बेरोजगार है। जुआरी है, शराबी है। तुम उससे शादी करके अपनी जिंदगी बर्बाद करोगी।”

लेकिन सुमन को उनकी बातों पर यकीन नहीं हुआ। रवि का उसके प्रति प्यार, उसकी देखभाल, उसे स्कूल के बाहर मिलना, कभी कुल्फी तो कभी गुपचुप खिलाना, उसे गिफ्ट देना, ये सब सुमन को यकीन दिलाते थे कि रवि उसे सच में चाहता है।

उसकी सहेली ने भी उसे समझाने की कोशिश की थी। “सुमन, सोचो, कहीं रवि सिर्फ तुम्हारा फायदा तो नहीं उठाना चाहता?”

लेकिन सुमन का दिल अपने माता-पिता और सहेली की बातों को अनसुना कर चुका था। उसे लगता था कि रवि का प्यार ही उसकी जिंदगी की सच्चाई है।

सुमन इन्हीं ख्यालों में गुम थी कि अचानक बस झटके से रुक गई। ड्राइवर और कंडक्टर हड़बड़ाकर बस से बाहर निकले। सुमन ने खिड़की से झांककर देखा। सड़क पर एक औरत चीख-चीखकर रो रही थी। उसके सामने उसके जवान बेटे की लाश पड़ी थी। औरत का बदहवास चेहरा और उसकी चीखें सुमन के कानों में गूंजने लगीं।

यह मंजर देखकर सुमन का दिल कांप उठा। उसे याद आया कि उसके दोनों बड़े भाई भी एक सड़क हादसे में अपनी जान गंवा चुके थे। उस हादसे के बाद उसके माता-पिता ने जैसे-तैसे खुद को संभाला था। लेकिन सुमन जानती थी कि उसके माता-पिता को इस उम्र में और कोई बड़ा झटका नहीं दिया जा सकता।

सुमन की आंखों में आंसू थे। उसके मन में सवालों का तूफान चल रहा था।

“क्या मैं अपने माता-पिता के दर्द को भूलकर अपनी खुशी के पीछे भाग रही हूं? क्या मैं इतनी स्वार्थी हो गई हूं कि उनकी भावनाओं की परवाह नहीं कर रही?”

सुमन का दिल बार-बार उसे याद दिला रहा था कि उसके माता-पिता ने उसके लिए कितने सपने देखे थे। वह खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी, “नहीं, रवि से शादी करना ही सही है। वह मुझे प्यार करता है।”

लेकिन सड़क पर पड़े उस जवान लड़के की लाश और उसकी मां की चीखें बार-बार उसके फैसले को हिला रही थीं।

सुमन ने एक गहरी सांस ली। उसके कदम अपने आप बस से बाहर की ओर बढ़ने लगे। वह होस्टल पहुंची और अपना सामान पैक किया।

शाम को जब वह घर पहुंची, तो उसकी मां दरवाजे पर खड़ी थी। जैसे ही उसने सुमन को देखा, उसने उसे गले से लगा लिया।
“बेटा, तुम ठीक तो हो ना? हमें लगा था तुम परेशान हो।”

सुमन की आंखों से आंसू बहने लगे। वह अपनी मां के गले लगकर रो पड़ी।

रात को उसके पिताजी घर आए। वे उसकी पसंदीदा जलेबी लेकर आए थे। उस रात सुमन ने अपने परिवार के साथ बैठकर खाना खाया।
उस रात सुमन ने अपने कमरे में बहुत देर तक सोचा। उसे एहसास हुआ कि जवानी का जोश और प्यार की मिठास कभी-कभी हमें उन सच्चाइयों से दूर कर देती है, जो जिंदगी में सबसे जरूरी होती हैं।

अगली सुबह सुमन ने रवि को फोन किया। “रवि, मैं तुमसे प्यार करती हूं, लेकिन मैं अपने माता-पिता को दुखी नहीं कर सकती। हमें अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना होगा।”

रवि कुछ देर चुप रहा और फिर बोला, “ठीक है, सुमन। मैं तुम्हारे फैसले की इज्जत करता हूं। खुश रहना।”
उस दिन सुमन ने अपने माता-पिता के साथ वक्त बिताया। उसने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने का फैसला किया और अपने करियर को संवारने के लिए कदम बढ़ाए।

सड़क पर हुआ वह हादसा और मां-बाप के आंसुओं का ख्याल सुमन को एक नई जिंदगी की ओर ले गया। उसने सीखा कि जिंदगी में सही फैसले लेने के लिए भावनाओं और जिम्मेदारियों का संतुलन बनाना बहुत जरूरी है।

उसके घर में जलेबी की मिठास और माता-पिता का प्यार हमेशा के लिए उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गया।