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” वक़्त की गर्द में ये खुशियाँ ना जाने कहाँ छुप गई थी”
Madhu Singh ================= मोहन गाँव से नौकरी के सिलसिले में मुंबई, अपने चाचा चाची के घर आया था। गाँव के माहौल में पला बढ़ा मोहन शहरी मिज़ाज से बिल्कुल अनभिज्ञ था। यहाँ का रहन-सहन, खानपान, चलना फिरना बोलना चालना कुछ भी उसे मालूम नहीं था। मोहन के चाचा के चार बच्चे थे, दो बेटे और […]
लघुकथा….*क्या हम अपने बच्चों को कुछ भी नहीं कह सकते*…By-लक्ष्मी कुमावत
Laxmi Kumawat ============= लघुकथा *क्या हम अपने बच्चों को कुछ भी नहीं कह सकते* दो दिन पहले एक बड़ा ही दुखद वाक्या हुआ। परीक्षाओं का सीजन चल रहा है। बच्चों को पढ़ाई पर पूरा ध्यान हो, इस कारण एक पिता ने ऑफिस जाने से पहले अपनी दोनों बेटियों से कहा, ” बेटा अब तुम्हारे एग्जाम्स […]
एक गांव में दो बुजुर्ग बातें कर रहे थे….
एक गांव में दो बुजुर्ग बातें कर रहे थे…. पहला :- मेरी एक पोती है, शादी के लायक है… BA किया है, नौकरी करती है, कद – 5″2 इंच है.. सुंदर है कोई लडका नजर मे हो तो बताइएगा.. दूसरा :- आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए…?? पहला :- कुछ खास नही.. बस […]