साहित्य

क्या तुम वर्जिन हो ?….. ऊपर वाले का मालिक ……….???

Tajinder Singh
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ऊपरवाले का मालिक ……….???
पंजाबी में एक धन्ना भगत की कहानी है |
धन्ना नाम के बच्चे के घर एक बार पंडितजी आते है | वो बच्चा रोज पंडितजी को पत्थर की एक मूर्ति की पूजा करते और भोग लगाते हुए देखता है | उसे ये सब बहुत अच्छा लगता है | पंडितजी जब जा रहे होते है तो वो उनसे जिद करता है कि उसे भी एक भगवान दे कर जाएँ | वो भी ऐसे ही पूजा करेगा | बच्चे की जिद और उसका मन रखने के लिए पंडितजी उसे एक छोटा शालिग्राम दे देते है |
बच्चा , पंडितजी की तरह उस शालिग्राम की पूजा कर उसे भोग लगाता है | और बैठ कर भगवान् के खाना खाने का इंतज़ार करता है | लेकिन जब ऐसा कुछ नहीं होता तो वो जिद ठान लेता है कि जब तक भगवान् खाना नहीं खायेंगे , वो भी भूखा ही रहेगा | भगवान् उसकी बाल सुलभ जिद और निश्छल भक्ति देख कर स्वयम प्रगट होते है | और उसका दिया भोग खाते हुए बच्चे से कहते है कि बोलो तुम्हे क्या चाहिए |


बच्चा भोलेपन से कहता है की उसे तो भगवान् जैसा ही चाहिए | जो छुप कर ना रहे बल्कि उसके साथ घुमे फिरे , खेले , उसकी सभी इच्छाएं पूरी करे |
बच्चे की बालसुलभ मांग से भगवान् कुछ सोच में पड़ जाते है कि ऐसा तो कोई और नहीं केवल मै ही कर सकता हूँ | और फिर वो खुद उसके घर उसका नौकर बन रहने लगते हैं |
काफी सालों बाद पंडितजी उधर से फिर गुजरते है | धन्ना तब तक बड़ा हो चुका होता है। धन्ना की खुशहाली के चर्चे , उसके लहलहाते खेत खलिहान देख कर वो हैरान होते हुए धन्ना से पूछते है कि ये क्या जादू हो गया |
धन्ना कहता है – “ये जादू वगैरह नहीं उस नौकर का कमाल है जो आपने ही दिया था | उसका नाम भगवान् है |”
पंडितजी भगवान् नाम के नौकर को सब जगह खोजते है | लेकिन वो कही नज़र नहीं आता | जबकि काम सब जगह हो रहा होता है | पंडितजी की आँखें खुल जाती है | उन्हें ज्ञान प्राप्त होता है | वो धन्ना के पैरो में गिर जाता है |
खैर ये तो हुई एक कहानी | लेकिन आज की सच्चाई यही है कि ऊपरवाला कईयों के लिए आज एक कमाऊ पूत से भी बढ़ कर है | बेचारा कमा कमा कर करोड़ों का पेट पाल रहा है | और कइयों की तो सरकार ही बना दे रहा है।
जय हो ………..
आज तक मै ऊपरवाले को ही मालिक समझता था | लेकिन यहाँ तो उसके भी मालिक बैठे हैं |

Ravindra Kant Tyagi
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राजस्थान के परंपरागत, संपन्न, शिक्षित, ब्राह्मण परिवार की बेटी को विदेश में रहने वाला आधुनिकता की ‘हाला’ पिया हुआ एक परिवार देखने आया .
सबसे आगे सोने के आभूषण पहने गौरवर्ण थुलथुली सी मेकअप में लिपी पुती मिसेज पॉल, उनके पीछे कर्जन कट मूछों और औंधी हांडी जैसी खोपड़ी वाले मिष्टर डी. पॉल और सबके बाद एकदम दुबला पतला, शारीरिक शौष्ठव की अपेक्षा असामान्य सा लम्बा और गोल सी आँखों पर गोल्डन फ्रेम का चश्मा लगाए उनका नौनिहाल .
” ऑंखें थोड़ी बड़ी होतीं तो…खैर नाक भी … “सबसे पहले मिसेज पॉल ने लड़की की सुंदरता का मूल्यांकन किया .
” अब पेंटर के द्वारा कैनवास पर बनाई पोट्रेट तो है नहीं डार्लिंग. इतना तो एडजेस्ट करना पड़ता है. अच्छा ये बताओ मिस रजनी, आजकल क्या कर रही हो ?
” जी इसने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ….
” आप से नहीं पुछा मिस्टर पुष्करणा. मैंने मिस रजनी से सवाल किया है. उसे आंसर देने दीजिये. हाँ तो मिस …..
” जी मैं इंजीनियरिंग की पढाई कर रही हूँ “
” और उस से पहले ?
” दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी.एस.ई. ……
” पर्सेंटेज …
” जी नाइंटी फोर…..
” हायरसेकेण्डरी ……
” जी वहां भी मार्क्स ……
” मार्क्स मैंने नहीं पूछे . हिंदी मीडियम या इंगलिश ?
” जी इंगलिश मीडियम …. ”
” व्हिच टाइप ऑफ़ स्कूल वाज दैट ….आई मीन गोरमेंट स्कूल और ….
” कौन … कॉन्वेंट स्कूल और दिल्ली का प्रतिष्ठित ……” पुष्करणा साहब ने उकताकर उत्तर दिया .
” आई एम् सॉरी मिस्टर पुष्करणा. मुझे रजनी से सवाल पूछने दीजिये. हमारा एक ही बेटा है और अब्रॉड में मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है. हम आँख मीचकर कोम्प्रोमाईज़ नहीं कर सकते. आप को कोई ऑब्जेक्शन हो तो ….
” नहीं नहीं पॉल साहब. आप पूछिए जो पूछना है. ऐसी भी क्या बात है “.
” तो बताओ , बिना हाई हील पहने तुम्हारे एग्जेक्ट लम्बाई कितनी है “. ये सवाल मिसेज पॉल की तरफ से था 
” जी पांच फुट पांच इंच “
” और फिगर मेरा मतलब है कि थर्टी सिक्स …..”
” डार्लिंग तुम भी क्या सवाल पूछने लग गईं. कम से कम ये सोचे कि ये लोग इण्डिया में रहते हैं “मिस्टर पॉल ने बीच में टोका .
मिसेज पॉल ने फिर पूछना शुरू किया. ” खाना बनाना जानती हो ?
” जी हाँ . दाल चावल, चपाती, मिठाइयां, खीर , पूड़ी …….
” नॉनवेज ?
” जी नहीं. हम नॉनवेज नहीं खाते “
” खाने को किसने पुछा है बेबी. अच्छा ये बताओ कि मिक्की के साथ किसी पार्टी में जाओ तो एल्कोहल ले सकती हो “
” जी नहीं “
” मेरा बेटा तुम्हे इण्डिया छोड़कर अब्रॉड चला जाय तो कोई ऐतराज “
” जी नहीं “


” क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है “
” जी नहीं “
” नाइट क्लब जाती हो ”
” जी नहीं “
” लिवइन रिलेशनशिप के बारे में तुम्हारे क्या विचार हैं “
” मैं इसे उचित नहीं मानती “.
” प्री मेरेज रिलेशनशिप में तुम्हारा विशवास है ?
” जी नहीं “.
” अच्छा ये बताओ वीमेन लीव के बारे में तुम्हारा क्या विचार है “
” १९७५ के आस पास ये आंदोलन अमेरिका में शुरू हुआ था मगर प्रासंगिक न होने के कारण अपने आप ख़त्म हो गया था . मुझे ये असामान्य लगता है “
” क्या तुमने कभी डेटिंग भी नहीं की ?
” जी नहीं ”
” क्या ….. क्या तुम वर्जिन हो ?
” ये कैसा सवाल है ” पुष्करणा जी ने नाराजगी से कहा 
” अच्छा चलो छोड़ो. के तुम्हे कोई लम्बी बीमारी हुई है. जैसे टाइफाइड, कोई स्किन प्रोबलम या हेपेटाइटिस ……
” जी नहीं “
” तुम्हारा ब्लड प्रेशर कितना रहता है “
” कभी नापा नहीं ”
” और शुगर . क्या तुमने कभी अपना ब्लडटेस्ट कराया है. लिपिड प्रोफ़ाइल, लीवर फंग्शनिंग, कॉलेस्ट्रॉल या ब्लड शुगर …..
” जी नहीं. मुझे कोई प्रोबलम नहीं है “
” मगर टैस्ट तो कराना चाहिए . हमारे यूरोप में तो …..
तभी कुंवर शाहब मम्मी के कान में फुसफुसाए ” एच.आई.वी. का पूछो न मम्मी “.
” नहीं , मुझे एड्स नहीं है मिस्टर विक्की पॉल ” रजनी ने कुंवर साहब की आँखों में आँख डालकर दृढ़ता से कहा . इतने सारे बेतुके सवालों की झुंझलाहट उसके चहरे पर स्पस्ट नजर आ रहे थी . वो किसी भी क्षण फट पड़ना चाहती थी . किन्तु मेहमनों की गरिमा का ध्यान रखते हुए चुप थी . उसे अपने कानो के निकट आग सी निकलती महसूस हो रही थी .
” मिस रजनी . क्या तुम मेरे साथ कुछ घंटों के लिए कहीं बहार चल सकती हो …जस्ट फ़ॉर ….एक दूसरे को समझने के लिए “
” नहीं ये संभव नहीं है ” रजनी ने सपाट उत्तर दिया .
” अरे अरे . आप कुछ नाराज सी हो गई लगती हैं. अभी से ऐसा रिएक्शन देंगी तो कैसे चलेगा . मेरा बेटा अब्रॉड में ….. आखिर तुम दोनों को साथ जिंदगी गुजारनी है. ऐसे लड़के रोज रोज थोड़े ही मिलते हैं ” मिस्टर पॉल ने गर्व से सीना चौड़ा करते हुए कहा .
” यू नो मिस्टर पुष्करणा, इधर तो न जाने कितनी इंडियन फेमिलीज के प्रपोजल हमारे पास पेंडिंग पड़े हैं . वो तो ….. खैर तुम्हे मेरे बेटे से कोई सवाल पूछना हो तो पूछ सकती हो ” मिसेज पॉल ने कहा 
राजीन जो अबतक अपना मन बना चुकी थी, ने एक बार मिसेज पॉल को गौर से देखा. मिस्टर पॉल नख से शीर्ष तक सर्वेक्षण किया. फिर कुंवर साहब की और देखकर दृढ़ता से बोलना प्रारम्भ किया ….. ” मिस्टर ….. क्या नाम बताया था आप ने ?
” जी विक्की पॉल ……
” मिस्टर विक्की पॉल क्या आप ने कभी अपना डी.एन.ऐ. टैस्ट कराया है “
” व्हाट …व्हाट डू यू मीन अबाउट ….. बड़े पाल साहब ने अवाक होकर पुछा .
पुष्करणा साहब ने वातावरण में आये इस तूफ़ान को सामान्य करने के लिए असहज रूप से हँसते हुए कहा ” कोई चाय वाय लाओ भाई “
” चाय तो दूर . अब हम आप के घर का पानी भी नहीं पी सकते. आप की डॉटर ने हमारा इंसल्ट किया है”. पॉल साहब उठते हुए बोले .
” जाइये जाइये अंकल. मगर एक बार आईने के सामने तीनो एक साथ खड़े हो जाइये. मेरे सवाल का जवाब मिल जायेगा ” .
— मेरी कहानी ” नारी तुम केवल श्रद्धा हो ? ” का अंश .—-