साहित्य

क्या आपने कभी अपने जीवनसाथी को ऐसी स्थिति में देखा है, जहाँ वह अपने निजी और भावनात्मक पलों को आपसे छुपाने की कोशिश कर रहे हों?

Harish Yadav
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एक दिन मैं कमरे में गई, तो देखा कि दरवाजा बंद है और मेरे पति तकिए में मुँह छुपाए लेटे हैं। मुझे लगा कि शायद वह मोबाइल में कुछ छुपाकर देख रहे हैं या मुझसे कुछ छिपा रहे हैं। जब मैंने पास जाकर जानना चाहा, तो उन्होंने झिड़ककर कहा, “दूर रहो।”
उनकी यह प्रतिक्रिया देखकर मेरी जिज्ञासा और बढ़ गई। मैंने धीरे से पास जाकर देखा, तो पाया कि वह तकिए में मुँह छुपाए फूट-फूटकर रो रहे थे। यह देखकर मैं एकदम सहम गई। मैंने कभी किसी पुरुष को इस तरह रोते हुए नहीं देखा था। मुझे लगा कि जरूर कोई गंभीर बात हुई है।
काफी देर बाद, जब मैंने उन्हें प्यार से समझाया और बात करने को कहा, तो उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी दीदी की बहुत याद आ रही है। उनकी दीदी, जो पिछले एक महीने से हमारे घर आई हुई थीं, अब वापस जा चुकी थीं।
उन्होंने भावुक होकर कहा, “घर में घुसते ही लगता है कि दीदी अभी कहेगी, ‘आ गया भैया? खाना लगा दूँ? हाथ-मुँह धो लो।’ लेकिन अब घर खाली-सा लगता है।” यह कहते हुए वह फिर रोने लगे।
उनकी यह बात सुनकर मेरा दिल भर आया। उन्होंने बताया कि दीदी के जाने के बाद से वह कई बार अकेले रो चुके थे, लेकिन कभी मुझे इसका आभास नहीं होने दिया। उनके अनुसार, “पुरुष नहीं रोते, और अगर रोएँ भी तो आँसू व्यक्तिगत होते हैं, जो पत्नी के सामने नहीं आना चाहिए।”
मैंने उन्हें समझाया कि आँसू कमजोरी का नहीं, बल्कि इंसान होने का प्रमाण हैं। जो अपने दर्द को बाँट सके, वही सच्चा इंसान है। उस दिन मैंने महसूस किया कि आँसू रिश्तों को गहराई और मजबूती देते हैं।
अब, जब भी वह भावुक होते हैं, मैं उनसे कहती हूँ:
“वो मर्द ही क्या जिसे दर्द न हो।”
उनके आँसू अब केवल उनके नहीं रहे। वह हमारे रिश्ते का हिस्सा बन गए हैं। हम अब एक-दूसरे के दर्द और भावनाओं में समान भागीदार हैं।
शादी के शुरुआती दिनों में, जब मैं अपने पति के साथ नए शहर आई, तो ससुराल वालों ने मजाक में मुझसे कहा था, “हमारे लड़के का ध्यान रखना।” तब मुझे यह बात अजीब लगी थी, लेकिन अब मैं समझ गई कि उनका इशारा उनकी भावुकता की ओर था।
समाज में यह धारणा है कि पुरुष कठोर होते हैं और उन्हें दर्द महसूस नहीं होता। लेकिन सच्चाई यह है कि आँसू न तो किसी लिंग से बंधे हैं और न ही कमजोरी का प्रतीक हैं। यह इंसान होने की पहचान है।
आज, जब भी पति भावुक होते हैं, मैं उन्हें समझाती हूँ कि यह हमारी भावनाओं का हिस्सा है। आँसू बाँटने से रिश्ते और मजबूत होते हैं।
प्रश्न:
क्या आपने कभी अपने जीवनसाथी को ऐसी स्थिति में देखा है, जहाँ वह अपने निजी और भावनात्मक पलों को आपसे छुपाने की कोशिश कर रहे हों?