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क्या अमरीका चीन और रूस का रास्ता रोक पाएगा : रिपोर्ट!

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने चीन की सत्ताधारी पार्टी की विदेश मामलों की केंद्रीय समिति के निदेशक वांग यी से मुलाक़ात में कहा कि रूस और चीन के बीच संबंध योजना के अनुसार विकसित हो रहे हैं और अब यह नई ऊंचाईयों पर पहुंच गए हैं।

इस मुलाक़ात में उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए मास्को और बीजिंग के बीच सहयोग ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि 2024 तक रूस और चीन के बीच व्यापार 200 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर भी चीन के सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया, जो इस समय बहुत जटिल स्थिति में हैं।

विश्व की दो बड़ी और महत्वपूर्ण शक्तियों के रूप में रूस और चीन ने सहयोग में विस्तार के लिए कुछ महत्वपूर्ण क़दम उठाए हैं और अमरीका के एकपक्षीय रवैये पर लगाम लगाने की कोशिश की है। रूस और चीन नई विश्व व्यवस्था में बहुपक्षीय दृष्टिकोण पर ज़ोर दे रहे हैं।

मास्को और बीजिंग का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम और वैश्विक व्यवस्था की वास्तविकता, इस बात की गवाह है कि विश्व बहुपक्षीयता की ओर बढ़ रहा है, जबकि अमरीका आज भी एकपक्षीय वाला वही पुराना राग अलाप रहा है और वह आज भी ख़ुद को वैश्विक पुलिस की भूमिका में देख रहा है। लेकिन ऐसा नहीं है कि अमरीकी अधिकारियों को इस बात का अहसास नहीं है कि विश्व घटनाक्रमों पर वाशिंगटन की पकड़ ढीली पड़ रही है, यहां तक कि उसके पारंपरिक सहयोगी भी नई परिस्थितियों के लिए ख़ुद को तैयार कर रहे हैं।

नई उभरती वैश्विक व्यवस्था को रूस-यूक्रेन युद्ध ने तेज़ी प्रदान कर दी है और अब स्थिति अनुमान से कहीं ज़्यादा तेज़ी से बदल रही है। अमरीका और पश्चिम ने इस युद्ध में रूस को हराने के लिए एड़ी चोटी को ज़ोर लगा दिया है और वह यूक्रेन की हर संभव सहायता कर रहे हैं। इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि अमरीका ने इस युद्ध में अपनी साख को दांव पर लगा दिया है। इसलिए इस युद्द में अगर किसी भी तरह से रूस की जीत होती है, तो यह अमरीका के अकेली विश्व शक्ति के भ्रम को चकनाचूर कर देगी।

अमरीका और यूरोपीय देश, बीजिंग और मास्को के बीच सहयोग के सबसे बड़े विरोधी हैं। अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल ही में दावा किया था कि चीन, रूस को हथियार और गोला बारूद देने की योजन बना रहा है। इसी के साथ उन्होंने चीन को इसके लिए गंभीर परिणाम भुगतने तक की धमकी दे डाली थी। हालांकि ब्लिंकन यह भूल रहे हैं कि उनकी यह धमकियां, चीनी अधिकारियों के लिए गीदड़ भभकी से ज़्यादा कुछ नहीं हैं और चीन अपने राष्ट्रीय हितों के मुताबिक़ बनाई जाने वाली नीतियों से एक इंच भी पीछे हटने वाला नहीं है।