सेहत

कोलकाता : डॉक्टरों ने 43 साल के ब्रेन डेड व्यक्ति के दोनों हाथ 27 साल के युवक को लगाने में क़ामयाबी हासिल की!

कोलकाता के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने 43 साल के एक ब्रेन डेड व्यक्ति के दोनों हाथ 27 साल के एक युवक को लगाने में कामयाबी हासिल की है.

अस्पताल के निदेशक डॉ. मणिमय भट्टाचार्य ने बताया कि यह पूर्वी भारत में अपने किस्म का पहला मामला है. लेकिन अब उस युवक को काफी दिनों तक डॉक्टरों की निगरानी में रहना होगा.

अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि हावड़ा ज़िले के उलूबेड़िया के रहने वाले हरिपद राना बीती नौ जुलाई को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. 13 जुलाई को डॉक्टर ने उनको ब्रेन डेड घोषित कर दिया था.

उसके बाद डॉक्टर उनके परिजन को अंगदान के लिए मनाने लगे. परिवार के सदस्य बाकी अंगों को दान करने के लिए तो तैयार हो गए, लेकिन हरिपद के दोनों हाथ काट कर दूसरे युवक को लगाने के लिए तैयार नहीं थे.

हालांकि, बाद में हरिपद की पत्नी ने इसके लिए हामी भर दी.

हरिपद के भतीजे देव कुमार कहते हैं, हमने सोचा कि चाचा के शरीर का पोस्टमॉर्टम तो होगा ही. इसलिए बाकी अंगों के साथ अगर उनके हाथ भी किसी के काम आ सकें तो इसमें बुराई क्या है. चाची की अदम्य इच्छाशक्ति के कारण ही ऐसा संभव हो सका.

अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि उत्तर 24–परगना जिले के बिराटी के रहने वाले 27 साल के एक युवक के हाथ बिजली के झटके से बेकार हो गए थे और दाहिना हाथ काट दिया गया था.

उनका बायां हाथ भी एकदम काम नहीं करता था. हरिपद के परिजनों के तैयार होने पर उस युवक को अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में दाखिल कराया गया. उस युवक की तमाम जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे मृतक के हाथ लगाने का फैसला किया.

इसके लिए मेडिकल बोर्ड से अनुमति ले ली गई ती और रीजनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन में भी पंजीकरण कराया गया था. युवक को शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती किया गया था.

उसके बाद शनिवार सुबह से देर रात तक चले ऑपरेशन में विशेषज्ञों की टीम ने हरिपद के हाथों को उस युवक की कोहनी के कुछ ऊपर से जोड़ दिया.

इस ऑपरेशन में शामिल एक डॉक्टर नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, “यह पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि समूचे पूर्वी भारत में अपनी तरह का पहला मामला है. लेकिन जिस युवक को हाथ लगाए गए हैं उसे कुछ दिनों तक अस्पताल में कड़ी निगरानी में रहना होगी. इसके अलावा उसे करीब एक साल तक नियमित रूप से जांच करानी होगी.”

मृत हरिपद जाना के दूसरे अंग भी अलग-अलग मरीज़ों में प्रतिस्थापित किए गए हैं.

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प्रभाकर मणि तिवारी

कोलकाता से, बीबीसी हिंदी के लिए