https://www.youtube.com/watch?v=q7uJ1IX51f4
कोरोना की वजह से सिर्फ भारत के अंदर 50 लाख के करीब लोगों की जान गयी थी, लोग एक सिलेंडर के लिए भटकते देखे गए थे, कोरोना की बीमारी एक वॉयरस की वजह से फैली थी और वॉयरस की कोई दवा कभी नहीं बनी है, लेकिन लोगों को बहकाने और मुनाफा कमाने के लिए सरकारों, दवा कंपनियों ने फ़र्ज़ी दवा बना डाली और लोगों की जान से खिलवाड़ किया
एक रिपोर्ट टेलीग्राम पर आयी है जिसके मुताबिक जो जानकारियां सामने आयी हैं वो यहाँ पेश करने की कोशिश है, ट्वीट्स में लोगों के निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग से इनका कोई सरोकार नहीं है
क्या हार्ट अटैक की जिम्मेदार खून में थक्का जमाने वाली कोविशील्ड वैक्सीन है? क्या हम भारतीयों को उसने 52 करोड़ चंदा ले कर गिनीपिग बना दिया?#BMC से मिला एक #RTI जानकारी देता है मुंबई में प्रतिदिन 100 लोगों की मौत हार्ट अटैक से हुई।
25 से 30 साल के युवाओं में हार्ट अटैक के मामले… pic.twitter.com/lbjxsHKC6r
— Kunal Shukla (@kunal492001) April 30, 2024

“हां हमारी कोरोना वैक्सीन हार्ट अटैक के ज़रिए ले रही है लोगों की जान”
ये अंतरराष्ट्रीय ख़बर उन सभी 80 करोड़ भारतीयों के लिए पढ़ लेना बहुत ज़रूरी है जिन्होंने कोविड के लक्षण से बचने के लिए कोविशील्ड नामक वैक्सीन लगवाई!
कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कल यूके की हाईकोर्ट में दिए गए अपने अदालती दस्तावेजों में पहली बार माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से TTS सिंड्रोम जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं,यह सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है, इसके चलते व्यक्ति में ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने की आशंकाएं बढ़ जाती है!
आपको बता दें ज़िस कंपनी एस्ट्राजेनेका ने हाइकोर्ट में माना है कि उनकी वैक्सीन से साइड इफेक्ट्स हो सकते है वो एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कई देशों में कोविशील्ड और वैक्सज़ेवरिया ब्रांड नामों के तहत बेचा गया था , और जिस कोविशील्ड की बात की जा रही है उस वैक्सीन को 80 करोड़ भारतीयों को डोज़ के रूप में दी गई है,80 करोड़ भारतीयों ने कोविशील्ड लगवाई है,यानी इस वक़्त 80 करोड़ भारतीयों में ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने की आशंकाएं बढ़ जाती है!
Surbhi Maradiya
@SurabhiMaradiya
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कोविशील्ड ने BJP को 52 करोड़ का चंदा दिया
Manish Singh
@RebornManish
दुनिया भर को सप्लाई की गई, और देश भर में सबको जबरन लगाई गई, ये वैक्सीन, कभी भी इंडियन प्रोडक्ट नही थी।
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ये ब्रिटिश एस्ट्राजेनेका द्वारा डेवलप वैक्सीन थी। और हमारे यहां अदार पूनावाला की फर्म ने उसका लाइसेंस लेकर, कोविशील्ड के ब्रांड नाम से मास प्रोडक्शन करके बेचा।
याने, जिस तरह पड़ोसी से चार चम्मच दही का मांगकर, हम उससे तसला भर दही जमा लेते है, वैसे ही से डेड वायरस का कल्चर एस्ट्राजेनेका से लेकर लेकर यहां उसकी मात्रा बढाई गयी, शीशियों में भरकर बेचा गया।
ये कोई पाथ ब्रेकिंग टेक्नॉलजी नही थी। महज एक कल्चर डेवलप किया गया था। जिसे एगर मीडियम पर बड़े स्केल में ग्रो किया जाना था। कोई भी लैब वाला कर सकता है।
पर वहां तक पहुँच, और लाइसेंस फीस देने लायक पैसा होना चाहिए। फिर अदार को यह लाइसेंस इस शर्त पर भी मिला था, की उसके लैब से प्रोडक्शन का एक बड़ा हिस्सा, विदेशों में एस्ट्राजेनेका के क्लाइंट के लिए भेजा जाएगा।
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तो, अपने कॉन्ट्रैक्ट की शर्त के तहत, जब यहां कई राज्य, वैक्सीन के लिए एड़ियाँ रगड़ रहे थे, अदार अपनी दवा विदेश भेज रहे थे।
इस सबमे भारत सरकार का योगदान एब्सोल्यूट जीरो था। लेकिन मौका ताक कर हमारे प्रधानसेवक ने “भारत पूरे विश्व को वैक्सीन दे रहा है” का शोर मचा दिया।
मचा कर महफ़िल लूट ली।
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लेकिन एस्ट्राजेनेका को सप्लाई से इससे अदार को खास फायदा नहीं था। इलेक्टोरल बांड की हिस्ट्री बताती है, कि मोटा चन्दा भारतीय जनता पार्टी को मिला।
उसके आसपास इनकी दवा को भारत मे चटपट अप्रूवल और तिगुने दाम पर सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया। सरकार ने उसकी दवा फर्म से सप्लाई की 90% खरीदी की।
जबकि भारतीय साइंस लैब की बनाई, बेहतर वैक्सीन “को वैक्सीन” को महज 10% सरकारी सप्लाई का ऑर्डर मिला। उनके द्वारा इलेक्टोरल बांड से चन्दा दिए जाने का कोई रिकार्ड नही मिला है।
फिर हर यात्रा, और स्कूल कॉलेज, हर जगह, वेक्सिनेशन सर्टिफीकेट अनिवार्य कर दिया। डर का ऐसा माहौल बनाया गया, कि हर के लिए इसे लगवाना मजबूरी हो गयी।
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हद तब थी,कि 90 रुपये कॉस्टिंग वाली वॉइल को, अदार की कम्पनी सेंट्रल गवर्मेन्ट को 400 रुपये और स्टेट्स को 1000 रुपये की प्राइजिंग कर रही थी।
इस पर भी खरीदने को तैयार उद्धव ठाकरे जैसे मुख्यमंत्री को सप्लाई मुश्किल से हो रही थी। शायद ये विपक्ष के सीएम थे, इसलिए??
बहरहाल, कुछ माह के साल के अंदर, पूनावाला की छोटी से दवा फर्म, सिर्फ एक दवा से चोटी की फर्म बन गयी। महामारी खत्म हुई, अदार बिलयनेयर बन गए। भारत छोड़ा, लन्दन में मकान लिया।
शिफ्ट हो गए। आजकल अमीरों की मैगजीन में घोड़े पालते दिखाई देते हैं।
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मुफ्त वैक्सीन के नाम पर भक्तों ने कूद कूद चरण वंदना की। सवाल करने वालो को गद्दार और विद्रोही बताया। जब नदियों का पाट लाशों से अटे पड़े थे, श्मशानों की चिमनियां पिघल रही थी, तब भी आत्मश्लाघा और प्रोपगंडा का नंगा नाच जारी था।
श्रेय, पैसा, वोट- सब कुछ हासिल करने के बाद आज.. जब इस दवा के धीमा जहर होने की बात, एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार कर ली है…
तो मौत के परकाले मौन है। भक्त चुप है। एक हजार करोड़ का दावा कम्पनी पर ठोका गया है, तो उसमे हिस्सेदारी करने कोई आगे नही आ रहा।
वो मंगलसूत्र के मुद्दे, और सूरत-इंदौर के तरीकों से अब नया चुनाव लड़ने में मशगूल है।
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मगर मेरे घर पर वह जहरीला सर्टिफिकेट आज भी रखा है। आपके भी घर मे होगा।
उस सर्टिफिकेट पर आपके मां, पिता, भाई, बहन, पत्नी, पति, आपके बच्चो का नाम लिखा होगा। उसमे, उनके शरीर मौत घुसाने की तारीख लिखी होगी। उस पर अरबो हिंदुस्तानियों को मौत बाटने वाले शख्स की खिलखिलाती तस्वीर भी होगी।
वह सर्टिफिकेट खोजिए, निकालिए।
वो सूरत पहचानिये।
क्योकि वह तस्वीर, अदार या एस्ट्राजेनेका कम्पनी के फाउंडर की नही है।
M.M. Dhera(Advocate)
@AdvocateDhera
कोविशील्ड पर खुलासे के बाद आप एक बार फिर थाली ताली बजाइए। इससे कोविशील्ड के साइड इफेक्ट्स खत्म हो जाएंगे। इसके बाद रात नौ बजे से नौ बज कर नौ मिनट तक मोबाइल टॉर्च जला सकते हैं। जो इलाज न मिलने, ऑक्सीजन न मिलने से मर गए, उन्हें तो आप भूल ही गए हैं। भूलना आपकी फितरत में शामिल है। आपके बाप की अर्थी को जिसने कंधा दिया, उन्हें गालियां तो आप दे ही रहे हैं। इसलिए आप एहसान फरामोश भी हैं। उसके गुण गाएं, जयकार करें, जिसने वक्त से पहले मारने का इंतजाम कर दिया। पांच किलो मुफ्त अनाज देकर खरीद लिया।
Jaiky Yadav
@JaikyYadav16
इस देश में मूलतः दो कोरोना वैक्सीन लगाईं गईं थीं जिनमें एक थी कोवैक्सीन और दूसरी थी कोवीशील्ड।
कोवीशील्ड को बनाने वाली कंपनी एस्ट्रेजनेका थी, इस कंपनी ने यूके के कोर्ट में माना है कि
इसकी वैक्सीन से खून का थक्का बन सकता है जिसके कारण ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट अटैक हो सकता है।
हमारे देश में 80% डोज इसी कोवीशील्ड वैक्सीन के ही दिए गए हैं। इस वैक्सीन को हमारे देश में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया था जिसके CEO अदार पूनावाला हैं।
क्या सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किसी भी पार्टी को चुनावी चंदा दिया है? यह सवाल आपके लिए है।
Shyam Meera Singh
@ShyamMeeraSingh
कोरोना के बाद हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की हजारों वीडियो सामने आईं, लेकिन हमारे महान प्रधानमंत्री ने आज तक संज्ञान नहीं लिया. अब ब्रिटिश कोर्ट में कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने एक्सेप्ट किया है कि हाँ वैक्सीन से blood clots हो सकता है. मतलब इसके चलते व्यक्ति में ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं. भारत में कोविशील्ड बनाने वाले सीरम इंस्टिट्यूट ने भाजपा को 50 करोड़ का चुनावी चंदा भी दिया था, चंदा बुरी बात नहीं है, बुरी बात ये है कि हजारों लोगों की मौत के बाद भी सरकार ने एक कमिटी तक नहीं बनाई. लोग कीड़े मकोड़ों की तरह मारे जा रहे हैं और प्रधानमंत्री चुनावी रैलियों में मुगलों और मंगलसूत्र की बात कर रहे हैं.
Dr Gaurav Kumar
@ImJordanGaurav1
‼️‼️EXPOSING MODI ‼️‼️
मौत की वैक्सीन #Covishield
मोदी जी ने जनता के टैक्स के पैसो से खरीदा और चेहरा हर पोस्टर बैनर सर्टिफिकेट तक मे चमकाया और तो और कोविशील्ड के मालिक
@adarpoonawalla
से अपनी 52 करोड़
रुपये प्रोटेक्शन मनी तक लिया इलेक्टॉरल बॉण्ड से ताकी उनपर कोई आँच ना आये।
मुफ्त की वैक्सीन लोगो की ज़िन्दगी लेती रही और सरकार उल्टे सर लेटी रही।
शर्मनाक
@narendramodi
"कोवीशील्ड वैक्सीन वाले से बीजेपी ने करोड़ों रुपए चंदे लिए। चंदे की लूट करने वाले लोग हैं ये। आज परिणाम सामने आ रहा है। युवा हो अन्य कोई, हार्ट अटैक से मर रहे हैं। जो जानें जा रही है जिनको मौत वैक्सीन की वजह से हुई है उन्हे मुआवजा दिया जाए.."
मैनपुरी से समाजवादी पार्टी की… pic.twitter.com/LasLXR2yz5
— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) April 30, 2024