दुनिया

कैसे और किस प्रकार सीरिया की सरकार गिर गयी? ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव बताया…

पार्सटुडे- ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अहमदियान ने कहा है कि हाफ़िज़ असद के ज़माने से इस्लामी गणतंत्र ईरान लगातार यही सिफ़ारिश और प्रयास करता रहा है कि सीरिया सामाजिक समरसता व सामंजस्य की दिशा में जाये।

सशस्त्र लोगों के हाथों सीरियाई सरकार के गिर जाने से बहुत सारे सवाल उठे और भ्रांतियां पैदा हो गयी हैं। प्रतिरोध के दुश्मन वर्षों पहले से लगातार और बड़े पैमाने पर सीरिया में ईरान की उपस्थिति के बारे में मानसिक और प्रचारिक कार्यवाहियां करने में व्यस्त थे और उन्होंने सीरिया के हालिया परिवर्तनों को इन कार्यवाहियों के लिए सुनहरा अवसर समझा और प्रतिरोध और सीरिया में ईरान की उपस्थिति के बारे में विभिन्न प्रकार के छोटे- बड़े झूठ बोल रहे हैं। मिसाल के तौर पर दुश्मन व विरोधी एक सवाल यह उठा रहे हैं कि कैसे और किस प्रकार सीरिया की सरकार गिर गयी?

पार्सटुडे ने इसी संबंध में ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली अकबर अहमदियान से बातचीत और सीरिया में परामर्शदाता के रूप में ईरान की उपस्थिति की समीक्षा का उल्लेख किया है। सीरिया में ईरान की उपस्थिति का तर्क, सीरिया में दाइश के बाद ईरान की उपस्थिति क्यों कम हो गयी, दाइश और सीरिया में सत्तासीन गुटों के मध्य अंतर, पिछले वर्षों में इन सशस्त्र गुटों से ईरान का व्यवहार कैसा रहा है? सीरिया की हालिया घटनाओं में ईरान ने क्यों सैनिक हस्तक्षेप नहीं किया? सारांश यह कि इन घटनाओं का प्रतिरोध और उसके समर्थन पर प्रभाव वे विषय व सवाल हैं जिनके जवाब का उल्लेख पार्सटुडे ने विस्तार से किया है।

जब ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली अकबर अहमदियान से राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में ईरान के दृष्टिकोण के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरे विचार में लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के स्तंभ हैं। इस्लामी क्रांति को लोगों ने सफ़ल बनाया, लोगों की वजह से क्रांति आयी और लोगों की वजह से बाक़ी है। राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में जो बातें की जाती हैं वे सब जनस्तंभ के अधीन हैं। मैं लोगों की जो बात करता हूं यानी समस्त लोगों की क्योंकि समस्त लोगों ने क्रांति की थी।

इस दृष्टिकोण का सिद्धांतिक आधार है और इसकी जड़ें इस्लामी क्रांति के नेता के व्यवहारिक दृष्टिकोणों में हैं। यही दो- तीन साल पहले की बात है जब इस्लामी क्रांति के नेता ने फ़रमाया था कि लोगों के बिना इस्लामी गणतंत्र का कोई अर्थ नहीं है और लोगों के बिना कुछ नहीं। इस्लामी क्रांति के नेता के अनुसार धार्मिक लोकतंत्र यानी इस्लाम के आधार पर लोग समाज और अपने मामलों के ख़ुद ज़िम्मेदार व अभिभावक हैं।

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव ने कहा कि सीरिया के संबंध में भी इस विषय के संदर्भ में बात होती है। विषय है कि सीरिया की सरकार को हम नहीं लाये हैं हमसे पहले असद के परिवार की सरकार थी। मज़बूत सरकार थी। सीरिया की सरकार ने ज़ायोनी सरकार से सांठगांठ नहीं की और अमेरिका और इस्राईल के मुक़ाबले में प्रतिरोध किया जिसकी वजह से ईरान और सीरिया के बीच कुछ समानतायें थीं और हम दोनों एक दूसरे का समर्थन करते थे।

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव ने कहा कि हालिया एक दशक में और क्षेत्र में आतंकवादी गुटों के अधिक सक्रिय हो जाने से इस्लामी गणतंत्र ईरान ने भी आतंकवादियों के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही के लिए सीधे सैनिक उपस्थिति या परामर्शदाता के रूप में देश की सीमाओं से बाहर अपनी उपस्थिति की दिशा में प्रयास किया।

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव से जब पूछा गया कि ईरान की सैनिक या परामर्शदाता के रूप में उपस्थिति स्वाभाविक रूप से कुछ विशेष क़ानून व सिद्धांत के अनुसार है। ये क़ानून व सिद्धांत क्या हैं?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अस्ल सिद्धांत दूसरों के मुक़ाबले में देश, लोगों और राष्ट्रीय हितों की रक्षा है। दूसरा सिद्धांत यह है कि ईरान कभी भी किसी पर हमला आरंभ करने वाला नहीं रहा है। तीसरा सिद्धांत दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना रहा है।