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कैथल, डीसी-डॉ. संगीता तेतरवाल ने किसानों का आह्वïान किया, वे कृषि के सहायक धंधे के रूप में मधुमक्खी पालन को अपनाये : रवि जैस्ट की रिपोर्ट

Ravi Press
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किसान कृषि के सहायक धन्धे के रूप में मधुमक्खी पालन अपनाये — 85 प्रतिशत की सब्सीडी देने का प्रावधान:- डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल

कैथल डॉ. संगीता तेतरवाल ने किसानों का आह्वïान किया है कि वे कृषि के सहायक धंधे के रूप में मधुमक्खी पालन को अपनाये। मधुमक्खी पालन किसानों की आय बढ़ाने मेें सहायक है।

उन्होंने कहा कि मानव जाति की सबसे बड़ी मित्र होने के साथ छोटी सी मधुमक्खी ने प्रकृति के विकास में बड़ा योगदान दिया है। मधुमक्खी मधुर एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थ अर्थात शहद का उत्पादन करती है। लीची, नीबू, प्रजातीय फलों, अमरूद, बेर, आड़ू, सेब इत्यादि एवं अन्य दलहनी एवं तिलहनी फसलों में मधुमक्खियों द्वारा परागण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। परीक्षणों से यह भी जानकारी मिली है कि पर-परागण के बाद जो फसल पैदा होती है, उन दानों का वजन एवं पौष्टिकता अच्छी होती है। इससे स्पष्ट होता है कि मधुमक्खियाँ केवल शहद ही पैदा नहीं करती वरन फसलों की पैदावार बढ़ाकर किसानों की समृद्घि में सहायक हैं।

उपायुक्त ने बताया कि मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने सब्सिडी व अनुदान की योजना को भी क्रियान्वित किया है। सरकार ने मधुमक्खी पालको के हित में अनेक कदम उठाए हैं। मधुमक्खी पालकों के लिए 85 प्रतिशत तक की सहायता राशि जारी करने का प्रावधान किया गया है। मधुमक्खी केंद्र रामनगर, कुरुक्षेत्र से मधुमक्खी बक्से खरीदने पर 85 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। अनुदान के लिए बक्सों की अधिकतम सीमा 50 निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन के औजारों जैसे हनी प्रोसेसिंग, बाटलिंग तथा हनी टेस्टिंग पर 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने बताया कि एनबीएचएम स्कीम के तहत कस्टम हायरिंग केंद्र, मधुमक्खी उपकरणों व टेस्टिंग लैब आदि पर 50 से 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। वर्तमान में एमआईडीएच के मदों में भी टॉपअप सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। एनबीएचएम स्कीम के तहत शहद प्रसंस्करण इकाई, शीत भंडारण, शहद उत्पादों का संग्रह, व्यापार व वितरण आदि पर 50 से 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। योजना का लाभ उठाने के लिए वेबसाइट www.hortharyana.com पर आवेदन किया जा सकता है। इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।