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कुशलगढ़, जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में इस तरह मनाईं जातीं हैं दिपावली : बांसवाड़ा राजस्थान से धर्मेन्द्र कुमार सोनी की रिपोर्ट

कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा राजस्थान रिपोर्टर धर्मेन्द्र कुमार सोनी
कुशलगढ़,, जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में इस तरह मनाईं जातीं हैं दिपावली
युतो पुरा भारत देश दिपावली का त्योहार बड़े हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है अलग-अलग प्रदेशों में इस पवित्र पर्व को अपने-अपने तरीके से मनातें है राजस्थान के बांसवाड़ा जिले को जनजाति बाहुल्य क्षेत्र माना गया हे अधिकांश जनजाति क्षेत्र के धरती पुत्र दिपावली से पहले बने घरों की दीवालो व आंगन में गाय के गोबर से महिलाएं लीपती है दिपावली के दिन धरती पुत्र अपने घरों में पाले जाने वाले बेलो, बकरियों गाय माता तथा भेस उनको स्नान करा कर उन्हें मैह्दी लगा कर रंग रोगन कर सजाया जाता है दिपावली की रात लक्ष्मी पुजन कर प्रातः अपने घरों के आंगन में पुजा अर्चना करते हैं जी से जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में झापा कहते हें मीलनी के दीन गाय माता व बैलो को गांव के मैदान में इनको ढोल कुंडी थाली बजाकर सभी को दोडाते है गांव का एक व्यक्ति अपने हाथों में अगरबत्ती लेकर खडा रहता है वहीं मवेशी पास मे आते ही उन्हें प्रणाम कर जमी पर लेट जाता मवेशियों की दोड में जीस कलर की गाय माता लेटे व्यक्ति को लांघ जातीं हैं उसी से वर्ष का सुकुन निकालतें है जी से गौहरी कहा जाता है दिपावली की रात गांव के युवक युवतियां हाथो तुमडी लिए घर घर मैरीयो बोल कर घर घर दस्तक देते हैं वहीं सभी गांवों के घरो से दिपको में तेल डालकर खुशीया मनातें है वहीं दिपावली की रात एक व्यक्ति विचित्र वैश भुषा पहन व एक व्यक्ति महीला के वस्त्र धारण कर राई बुडीये का हर घर के आंगन में नाच कर खुशी मनाते हैं