अफ़ग़ानिस्तान की भूमि से पाकिस्तान में होने वाले हमलों के प्रति बिलावल भुट्टो ने तालेबान को सचेत किया है।
पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने कहा है कि तालेबान की धमकियों को अगर गंभीरता से नहीं लिया गया तो इसके बहुत बुरे परिणाम सामने आएंगे। बिलावल भुट्टो ने तालेबान से पीटीटी या तहरीके तालेबान पाकिस्तान नामक गुट से कड़ाई से निबटने को कहा है। उन्होंने कहा कि दसियों बार पीटीटी ने पाकिस्तान के ठिकानों पर हमले किये हैं जो इस्लामाबाद के लिए गंभीरत चिंता का विषय है।
कुछ लोग तालेबान की ओर से पीटीटी के बारे में पाए जाने वाले साफ्ट कार्नर को उनके पारंपरिक संबन्धों का कारण मानते हैं। हालांकि कुछ अन्य जानकारों का यह भी कहना है कि क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए तालेबान, पीटीटी को एक हथकण्डे के रूप में प्रयोग करता है। एसे में तालेबान के पड़ोसी देशों के लिए बहुत होशियार रहने की ज़रूरत है।
अभी तक तालेबान को क्षेत्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं हो पाई है उसके बावजूद वे किसी भी प्रकार की ज़िम्मेदारी स्वीकार करने में आनाकानी करते रहते हैं। अगर ग़ौर से देखा जाए तो एक प्रकार से वे क्षेत्र में एक नया सिरदर्द पैदा कर रहे हैं। बहुत सी रिपोर्टों से यह पता चलता है कि तालेबान, अफ़ग़ानिस्तान को आतंकी गुटों के शरणस्थल के रूप में बदलना चाहते हैं। यह काम उनके नारों और उनके वादों के बिल्कुल विपरीत है।
इस बारे में अन्तर्राष्ट्रीय मामलों के एक जानकार दाऊद ख़टक कहते हैं कि तालेबान यह सोच रहे हैं कि पड़ोसियों के साथ भिड़ने और अपने दायित्वों से पीछा छुड़ाकर वे अफ़ग़ानिस्तान में अपनी सत्ता को बनाए रख सकते हैं। हालांकि इससे पहले एक बार सत्ता में आने के बाद का विफल अनुभव तालेबान को याद होगा। अपनी सत्ता को बाक़ी रखने के लिए तालेबान को अपने पड़ोसियों के साथ मधुर संबन्ध बनाने और अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की ज़रूरत है।
एसे में पाकिस्तान सहित अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसियों को इस बात की अपेक्षा है कि क्षेत्रीय सुरक्षा के बारे में तालेबान को अपने दायित्वों का निर्वाह उचित ढंग से करना चाहिए अन्यथा पड़ोसी देशों के पास इतनी सैन्य शक्ति है कि वे आतंकी गुटों के दमन जैसा काम कर सकें। एसे में तालेबान को पड़ोसी देशों के धैर्य की परीक्षा न लेकर अपनी ज़िम्मेदारियों को उचित ढंग पूरा करना चाहिए।
पाकिस्तान सरकार ने ठुकराया इमरान का वार्ता प्रस्ताव
पाकिस्तान की वर्तमान सरकार ने इस देश के पूर्व प्रधानमंत्री की वार्ता के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।