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किम जांगऊन और सरगेई शोइगों के बीच हुई मुलाक़ात, अमरीका और उसके घटक देशों की तिलमिलाहट : रिपोर्ट

रूस के उत्तरी कोरिया के बीच रक्षा क्षेत्र में होने वाले सहयोग को लेकर अमरीकी अधिकारी चेतावनी देने की मु्द्रा में आ गए हैं।

उत्तरी कोरिया के नेता ने रूस के रक्षा मंत्री से इस देश के सुदूरपूर्व नगर व्लादिवोत्सोक में भेंटवार्ता की है। इस मुलाक़ात में दोनो नेताओं ने रक्षा सहयोग के विषय पर बात की।

उत्तरी कोरिया के नेता और रूस के रक्षामंत्री ने रणनीतिक और सामरिक समन्वय, रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को अधिक से अधिक मज़बूत बनाने पर बल दिया।

किम जोंगऊन ने रूस के राष्ट्रपति विलादिमीर पुतीन के साथ भेंटवार्ता के बाद कोम्सोमोलिस्क नगर में विमान निर्माण करने वाले एक कारखाने का निरीक्षण किया। रूस के उद्योग मंत्री ने उत्तरी कोरिया के नेता किम जोंगऊन को सुखोई-35 और सुखोई सुपरजेट-100 बनाने वाले कारखानों को दिखाया।

उत्तरी कोरिया के नेता की रूस यात्रा ने अमरीका की चितां बढ़ा दी है। इस चिंता की स्थति में अमरीकी अधिकारी विरोधाभास बयानबाज़ी कर रहे हैं और कभी-कभी धमकियां देने पर भी उतर आए हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह मंगलवार को उत्तरी कोरिया के नेता किम जांगऊन रूस पहुंचे थे। 4 वर्षों के बाद यह उनकी रूस की दूसरी यात्रा थी। रूस पहुंचने के बाद उत्तरी कोरिया के नेता ने पहले रूस के राष्ट्रपति से भेंट करके सैन्य क्षेत्र में विस्तार के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया था।


रूस उत्तरी कोरिया हथियार सौदे पर अमरीका और उसके घटकों की तिलमिलाहट कितनी जायज़?

दक्षिणी कोरिया, जापान और अमरीका ने रूस और उत्तरी कोरिया के बीच हथियारों की डील पर चेतावनी दी है। उत्तरी कोरिया के शासक किम जोंग उन ने रूस का दौरा किया और रूसी राष्ट्रपति व्लादमीर पुतीन ने विस्तोचेनी हवाई छावनी में उनका स्वागत किया और उन्हें रूसी विमानों के निर्माण के केन्द्र उन्हें दिखाए। पश्चिमी देशों को इस घटना से भारी झटका लगा है।

इसका एक बड़ा कारण यह है कि पश्चिमी वर्चस्व का विरोधी धड़ा आपसी सहयोग को विस्तार दे रहा है और यह पश्चिमी देशों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ली वान ती इस बारे में कहते हैं कि पश्चिम को यह अंदाज़ा नहीं था कि उत्तरी कोरिया जैसे देश मिसाइल और पनडुब्बी के निर्माण में इतनी तेज़ी से प्रगति करने में सफल होंगे। अब अगर रूस जैसे देशों के साथ हथियारों के निर्माण के क्षेत्र में उत्तरी कोरिया जैसे देश से सहयोग बढ़ता है तो यह पश्चिम के वर्चस्व के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी।

रूस और उत्तरी कोरिया के बीच हथियारों की डील का औपचारिक एलान तो नहीं किया गया है लेकिन किम जोंग उन की रूस यात्रा ने जो यूक्रेन जंग के ज़माने में हो रही है पश्चिमी देशों की योजनाओं पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। इसका नतीजा यह निकला कि दक्षिणी कोरिया, जापान और अमरीका के सुरक्षा अधिकारियों ने रूस और उत्तरी कोरिया के नेताओं के बातचीत और दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग पर अपनी चिंता जताई।

पश्चिमी देशों ने दावा किया है कि रूस और उत्तरी कोरिया के बीच सामरिक सहयोग संयुक्त राष्ट्र संघ की पाबंदियों का उल्लंघन है। मगर जंग के हालात में रूस को यह लगता है कि उसे अपने घटकों के साथ सामरिक सहयोग बढ़ाने का पूरा अधिकार है जिस तरह पश्चिमी देश यूक्रेन की सामरिक मदद में कोई संकोच नहीं कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ सूजोवा सोंग ने कहा कि पश्चिमी देश संयुक्त राष्ट्र संघ की आड़ लेकर रूस और उत्तरी कोरिया के सहयोग को प्रभावित करना चाहते हैं।

तीनों देशों ने रूस और उत्तरी कोरिया से कहा है कि अगर वो संयुक्त राष्ट्र संघ की पाबंदियों का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी। वैसे उत्तरी कोरिया और रूस दोनों का मानना है कि अमरीका और उसके घटक इन दोनों देशों को नुक़सान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और जो भी उनके बस में कर रहे हैं।

अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यु मिलर ने कहा कि हमने उत्तरी कोरिया और रूस को हथियार बेचने की समर्थक संस्थाओं पर पाबंदी लगा रखी है और ज़रूरत पड़ने पर पाबंदियां और भी कड़ी कर दी जाएंगी। मगर मास्को और प्युंगयांग का मानना है कि पाबंदियों का दौर गुज़र चुका है इस ज़माने में पाबंदियों से डराना निरर्थक है। वैसे रूस ने कहा है कि अब हम सुरक्षा परिषद में उत्तरी कोरिया के ख़िलाफ़ पाबंदियों का कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं होने देंगे।