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कांग्रेस ने मोहन भागवत के विजयदशमी संबोधन की आलोचना की, खेड़ा ने कहा, ”यह संगठन देश के अधिकांश हिस्सों में अप्रासंगिक है”

कांग्रेस ने शनिवार को मोहन भागवत के वार्षिक विजयदशमी संबोधन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आलोचना की। विपक्षी पार्टी ने आरोप लगाया कि यह संगठन देश को एकसमान बनाना चाहता है। कांग्रेस यह भी कहा कि आरएसएस अपने मंसूबों को कभी सफल नहीं होगा।

नागपुर में आरएसएस की विजयदशमी रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने सांस्कतिक मार्क्सवादियों की आलोचना की और उन पर शिक्षा और संस्कृति को नुकसान पहुंचाने, संघर्ष को बढ़ावा देने और समाज के ताने-बाने को तोड़ने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि भारत की पिछले कुछ वर्षों में विश्वसनीयता बढी है। साथ ही यह दुनिया में अधिक मजूबत और सम्मानित हुआ है। लेकिन भयावह साजिशें देश के संकल्प की परीक्षा ले रही हैं।

भागवत के संबोधन के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के मीडिया और संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि आरएसएस प्रमुख काफी भ्रमित नजर आ रहे हैं। उन्होंने पूछा कि क्या वह देश में विविधता के पक्ष में हैं या इसके विरोध में हैं। खेड़ा ने आगे कहा, चाहे वह इसका विरोध कर रहे हों या समर्थन कर रहे हों, यहां विविधता है। वे इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे इसे बदल नहीं सकते।

उन्होंने कहा, वे इस देश को एक समान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। एक देश-एक नेता, एक देश-एक चुनाव, एक देश-एक भाषा, एक देश-एक कपड़ा, एक देश-एक भोजन। कांग्रेस नेता ने कहा, एक देश-एक संगठन। यह सब नहीं चलेगा। यह संगठन इस देश के अधिकांश हिस्सों में अप्रासंगिक है।

धर्म को लेकर भागवत की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर खेड़ा ने कहा, वह जो सोचते हैं, मैं उस पर क्यों टिप्पणी करूं? मेरा धर्म कहीं अधिक श्रेष्ठ है। इसका कोई विशेष संगठन या विशेष व्यक्ति अपहरण नहीं कर सकता है। मुझे लगता है कि किसी को भी मेरे धर्म का स्वयंभू ठेकेदार बनने का अधिकार नहीं है।