

Related Articles
बहुत अच्छे लोग हैं गुरद्वारा वाले….लम्बे वक़्त तक चेहरे पर मुस्कुराहट लाते रहेंगे!
Tajinder Singh ============== · निशब्द:….. सुबह कोई पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए त्यार हो रहा था।अधखुली आंखो में, ब्रश कभी दांतो पर तो कभी जबड़ों पर घुमा रहा था। तभी मोबाइल घुनघुनाया। फट से कूला किया और कॉल ली। ” हेलो भईया,हम दिल्ली पहुंच गए।अभी 6:30 की फ्लाइट है कोचीन की।सोचा बोर्डिंग से पहले […]
वह अंधेरा भविष्य का था या हमारे अतीत का…
Dinesh Shrinet =========== उसने अधजली सिगरेट ज़मीन पर फेंकी. जूते से उसको मसला और चल पड़ा. हमारे चेहरों पर सड़क पर लगे लैंप पोस्ट की रोशनी पड़ रही थी. वहां से हम विपरीत दिशा में चले और अपने-अपने अंधेरे में खो गए. वह अंधेरा भविष्य का था या हमारे अतीत का… हम कभी तय नहीं […]
काश! मेरे भी पापा होते….
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय =========== यश पैर पटकता हुआ रूम से निकला और अपने पापा की कार में पिछली सीट पर जाकर बैठ गया. दीपक और उनकी पत्नी उदास से कार में बैठे थे… क्योंकि यश की प्रतिक्रिया देखकर जाने का मन नहीं था, पर बचपन के दोस्त शेखर ने अपने बर्थडे पर सपरिवार बुलाया था. […]