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“क़ब्र के सिरहाने कभी घास नहीं उगलती बरखुरदार”

“क़ब्र के सिरहाने कभी घास नहीं उगलती बरखुरदार।” ये वो आखिरी लाइन है जो संजीव कुमार ने डब की थी। और ये लाइन इस फ़िल्म के लिए उनका एक डायलॉग था जो इन दो तस्वीरों में ऊपर की तरफ़ आपको दिख रही होगी। जिसमें संजीव जी के साथ सारिका हैं। ये क़त्ल फ़िल्म के एक दृश्य की तस्वीर है जिसे आर.के.नैय्यर ने डायरेक्ट व प्रोड्यूस किया था। नीचे वाली तस्वीर में आप आर.के.नैय्यर साहब व साधना जी के साथ संजीव कुमार को देख सकते हैं।

अपनी आखिरी लाइन डब करने के अगले दिन ही संजीव जी का देहांत हो गया था। और ये फ़िल्म उनके देहांत के कोई दो महीने बाद, 24 जनवरी 1986 को रिलीज़ हुई थी। यानि इस फ़िल्म के 39 साल पूरे हो गए हैं। क़त्ल बहुत बढ़िया मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म है। संजीव कुमार की असमय मृत्यु होने की वजह से उनके कुछ डायलॉग्स को सुदेश भोसले से डब कराना पड़ा था। एक्ट्रेस सारिका ने फ़िल्म में संजीव जी की बेवफ़ा पत्नी का किरदार निभाया था। सारिका संग रोमांस करना संजीव कुार के लिए बड़ा मुश्किल साबित हुआ था। क्योंकि सारिका कुछ फ़िल्मों में उनकी औलाद का किरदार भी निभा चुकी थी।