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कमाल शराफ, यमनी कार्टूनिस्ट पर एक नज़र

पार्सटुडे- यमनी कार्टूनिस्ट सबसे ज़्यादा सक्रिय और बेहतरीन कार्टूनिस्टों में से एक हैं, जिन्होंने “अल-अक्सा स्टॉर्म” ऑपरेशन के बाद से पिछले पंद्रह महीनों में फ़िलिस्तीन और प्रतिरोध के मोर्चे के लिए लगभग 500 कार्टून तैयार किए हैं।

47 वर्षीय यमनी कार्टूनिस्ट “कमाल शरफ़” के कामें में राजनीतिक रंग है और वे अमरीका और इज़राइल तथा क्षेत्र के कुछ देशों की अमेरिकी इस्लाम की नीतियों को उजागर करते हैं।

पार्सटुडे के अनुसार, निश्चित रूप से, उनके कामों का विषय कटाक्ष और हास्य है लेकिन इसका मुख्य हिस्सा पश्चिमी नीतियों और पश्चिमी अमेरिकी इस्लाम के विरोधाभासों पर भी रोशनी डालता है।

कमाल शरफ़ के ज़्यादातर कार्टून, चरित्रों पर रोशनी डालते हैं और कैरेक्टर पर बेस्ड होते है और उनमें एक कहानी छुपी होती है, सरल और प्रतीकात्मक भाषा वाली एक कहानी जिससे कोई भी दर्शक जुड़ सकता है। उदाहरण के लिए, उनके कार्टूनों में इजराइली और अमेरिकी सैनिकों का रंग ठंडा है और उनकी अभिव्यक्ति पथरीली है और वॉर या फ़ौजी हेलमेट से उनकी आंखें ढकी हुई हैं, मानो वे रोबोट से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं।

कमाल शराफ, यमनी कार्टूनिस्ट
या फिर हम कुछ अरब शासकों और शेखों को अरब पोशाक में एक मोटे पेट वाले पात्र के रूप में देखते हैं, जिसे तेल के बैरल और पैसों की पेटियों के साथ घसीटा जाता है। उनके कामों में सबसे अधिक बार देखे जाने वाले चरित्ररों में से एक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हस्ती और यूएसए (U.S.A) शब्द हैं, जिन्हें इजराइली सैनिकों के टैंकों और वर्दियों पर देखा जा सकता है।

उनके कामों में जहां कहीं अमेरिका का काम होता है, वहां इजराइल का प्रतीक भी होता है और वह दोनों को अलग-अलग नहीं देखते। राजनीतिक कार्टून जो काम करते हैं उनमें से एक है वास्तविकता के उस हिस्से को दिखाना जो मीडिया के धोखे और वास्तविकता से लोगों की दूरी के कारण दुनिया के लोगों की नज़रों से ओझल हो गया है या उपेक्षित कर दिया गया है।

कमाल शरफ़ अपने कार्टूनों में हक़ीक़त के छिपे हिस्से को दिखाने की कोशिश करते हैं। उनके कामें में कभी-कभी वस्तुएं जीवंत हो उठती या ज़िंदा हो जाती हैं और पात्र बन जाती हैं, जो आमतौर पर कार्टूनों में देखा जाता है।

कलात्मक कल्पना का इस्तेमाल उनकी कला कृतियों को हास्यप्रद एवं मनोरंजक बनाता है। जैसे मिसाइलें हिज़्बुल्लाह नामक हेडबैंड पहने हुए हैं या मीसाइलें और रॉकेट सो रहे हैं।


कमल शरफ किसी भी बहाने और मौके से दर्शकों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश करते हैं, क्रिसमस से लेकर सांता क्लॉज़ के चरित्र से लेकर इज़रायली वस्तुओं के बहिष्कार और यहां तक ​​कि ट्राइंगल और फ़िलिस्तीनियों के विशेष स्कार्फ़ जैसे फ़िलिस्तीनी प्रतीकों के इस्तेमाल तक।

उनके द्वारा बनाए गए अधिकांश कार्टूनों की पृष्ठभूमि ठोस और मटमैले रंग की होती है जो कार्टून को आसान और प्रभावी बना देते हैं और आंखों को परेशान नहीं करते। कमाल शरफ़ खुद को शोषितों और पीड़ितों के कलाकार के रूप में पेश करते हैं और वह अहंकारियों के खिलाफ लड़ने और मज़लूमों की मदद करने के अलावा कार्टून को दूसरी कला नहीं मानते।

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