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माओ त्से-तुंग की एक कविता
Kavita Krishnapallavi ================ जन्मदिन ( 26 दिसंबर ) के अवसर पर माओ त्से-तुंग की एक कविता चिङकाङशान पर फिर से चढ़ते हुए (मई 1965) बहुत दिनों से आकांक्षा रही है बादलों को छूने की और आज फिर से चढ़ रहा हूं चिङकाङशान पर। फिर से अपने उसी पुराने ठिकाने को देखने की गरज से आता […]
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Laxmi Kumawat ======= * मायके वाले आ रहे हैं * इस कहानी की प्रमुख किरदार है काव्या। काव्या राजेन्द्र जी और रजनी जी की बहू, विराज की पत्नी है। काव्या की एक दो साल की बेटी नायरा भी है। छोटा सा परिवार है। काव्या की शादी को चार साल पूरे हुए हैं। इसी उपलक्ष्य में […]