साहित्य

कमरे में चारो तरफ़ सर्द माहौल है, कंबल के अंदर गर्मी उफ़ान मार रही है, तभी आप को कोई बुलाने लगे तो…

दो लफ्ज
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सर्द मौसम में आप पति के साथ संभोग करने ही वाली हैं कमरे में चारो तरफ सर्द का माहौल है, पर कंबल के अंदर गर्मी उफान मार रही है, तभी आप को कोई बुलाने लगे तो ये आप के लिए कैसा अनुभव होगा ?

मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति के अलावा कोई और नहीं था। पति का अपना कारोबार था, जिससे उनकी व्यस्तता भी काफी रहती थी। और कभी कभी ही हमारे बीच संबंध बनता, लेकिन जब बनाने लगे तो उसमें भी आफत क्यों की घर में एक बुजुर्ग पिता जी थे कभी भी आवाज देके बुला लेते

हर सुबह जब मैं जल्दी-जल्दी घर का काम निपटाकर ऑफिस के लिए निकलने की तैयारी करती, ठीक उसी वक़्त मेरे ससुर मुझे आवाज़ देकर कहते, “बहू, मेरा चश्मा साफ़ कर मुझे देती जा।” यह रोज़ का सिलसिला था। ऑफिस की देरी और काम के दबाव की वजह से कभी-कभी मैं मन ही मन झल्ला जाती थी, लेकिन फिर भी अपने ससुर को कुछ कह नहीं पाती।

एक दिन, मैंने इस बारे में अपने पति से बात की। उन्हें भी यह जानकर हैरानी हुई, लेकिन उन्होंने पिता से कुछ नहीं कहा। उन्होंने मुझे सलाह दी कि सुबह उठते ही पिताजी का चश्मा साफ करके उनके कमरे में रख दिया करो ताकि ऑफिस जाते समय कोई परेशानी न हो।

अगले दिन मैंने वैसा ही किया, पर फिर भी ऑफिस के लिए निकलते समय वही बात हुई। ससुर ने मुझे फिर बुलाकर कहा कि “बहू, मेरा चश्मा साफ़ कर दे।” मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। धीरे-धीरे मैंने उनकी बातों को अनसुना करना शुरू कर दिया, और कुछ समय बाद तो मैंने बिल्कुल ध्यान देना ही बंद कर दिया।

ससुर के कुछ बोलने पर मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं देती औऱ बिलकुल ख़ामोशी से अपने काम में मस्त रहती ।

गुज़रते वक़्त के साथ ही एक दिन ससुर जी भी गुज़र गए ।

समय का पहिया कहाँ रुकने वाला था,वो घूमता रहा घूमता रहा ।

छुट्टी का एक दिन था। अचानक मेरे के मन में घर की साफ़ सफाई का ख़याल आया । मैं अपने घर की सफ़ाई में जुट गई । तभी सफाई के दौरान मृत ससुर की डायरी मेरे हाथ लग गई ।

मैने ने जब अपने ससुर की डायरी को पलटना शुरू किया तो उसके एक पन्ने पर लिखा था-” दो लफ्ज “

मेरी प्यारी बहू…..आज के इस भागदौड़ औऱ बेहद तनाव व संघर्ष भरी ज़िंदगी में घर से निकलते समय बच्चे अक़्सर बड़ों का आशीर्वाद लेना भूल जाते हैं , जबकि बुजुर्गों का यही आशीर्वाद मुश्किल समय में उनके लिए ढाल का काम करता है । बस इसीलिए जब तुम प्रतिदिन मेरा चश्मा साफ कर मुझे देने के लिए झुकती थी तो मैं मन ही मन अपना हाथ तुम्हारे सिर पर रख देता था , क्योंकि मरने से पहले तुम्हारी सास ने मुझसे कहा था कि बहू को अपनी बेटी की तरह प्यार से रखना औऱ उसे ये कभी भी मत महसूस होने देना कि वो अपने ससुराल में है औऱ हम उसके माँ बाप नहीं है ।उसकी छोटी मोटी गलतियों को उसकी नादानी समझकर माफ़ कर देना । वैसे मैं रहूं या न रहूं मेरा आशीष सदा तुम्हारे साथ है बेटा…सदा खुश रहो ।”

अपने ससुर की डायरी को पढ़कर मुझे रोना आने लगा लगा
आज मेरे ससुर को गुजरे ठीक 2 साल से ज़्यादा समय बीत चुके हैं , लेकिन फ़िर भी मैं रोज घर से बाहर निकलते समय अपने ससुर का चश्मा अच्छी तरह साफ़ कर , उनके टेबल पर रख दिया करती हूं……. उनके अनदेखे हाथ से मिले आशीष की लालसा में…..।

………..
अक़्सर हम जीवन में रिश्तों का महत्व महसूस नहीं कर पाते , चाहे वो किसी से भी हो, कैसा भी हो…….और जब तक महसूस करते हैं तब तक वह हमसे बहुत दूर जा चुका होता है ……!!

प्रत्येक रिश्तों की अहमियत औऱ उनका भावनात्मक कद्र बेहद जरूरी है , अन्यथा ये जीवन व्यर्थ है

 

दो लफ्ज
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सुधा मेम …..आपको मालिक अपने केबिन में बुला रहे हैं …..प्यून ने टेबल पर अपने काम में व्यस्त सुधा से कहा……
ठीक है….. जाती हूं ….सुधा बोली….मगर मन मे सोचने लगी ….कम्पनी मालिक मोहनजी ने मुझे क्यों बुलाया है खैर बुलाया है तो जाना पडेगा….
सर ….आपने मुझे बुलाया….
जी हां …. बैठिए…..कम्पनी मालिक मोहनजी ने सामने की कुर्सी की ओर इशारा किया….
मोहनजी बड़े ध्यान से सुधा के चेहरे की ओर देख रहे थे उसके मुख पर सौम्य, संतोष का भाव था…. अचानक उन्होंने एक पेपर उसके सामने रखते हुए कहा….
मिस सुधा…..आपने दुबारा प्रमोशन से इनकार कर दिया …..बड़ी हैरानी हुई ….
आज जहां आँफिस मे हरेक पदोन्नति के लिए होड़ सी लगाए है ….और एक आप हैं कि दूसरी बार इनकार कर रही हैं….आखिर कारण क्या है….
सुधा बड़े निर्लिप्त भाव से मुस्कुरा उठी….
सर…. ज़िन्दगी मे इच्छाएं अनन्त हैं सब इच्छाओं के झूले में झूलते रहते है बड़ी बड़ी पेंगे लगाते हैं पर मैं इस पर विश्वास नही करती….मैं तो उतनी ही पेंग लगाती हूँ जितने की मुझे आवश्यकता है….मैं जिस पोस्ट पर हूँ उससे खुश हूं…..
मिस सुधा ….. मैं आपको लगभग तीन वर्षों से देख रहा हूं कम्पनी में …..मैनेजर सहित तमाम कर्मचारी आपके काम की तारीफ करते हैं …… मगर ….तरक्की किसे नहीं पसंद…आखिर कोई तो कारण होगा जो आप मुझसे छिपा रही हैं ….एक गौरवशाली पद ….
गाड़ी बंगले की सहूलियत….बड़ा शहर….भला किसको आकर्षित नहीं करता…… जिंदगी एक सुनहरे मोड़ पर आपका इंतजार कर रही है और आप मोड़ की ओर जाना ही नहीं चाहतीं…..
अच्छा एक मालिक और कर्मचारी के नाते ना सही एक दोस्त के नाते ही सही ….कुछ तो बताइए ….
सुधा ने गंभीर मुद्रा से एक बार मोहनजी की ओर देखा और फिर बोली…सर मुझे मेरे माता पिता के प्रति अपना धर्म आकर्षित करता है….मेरे माता पिता के विवाह के कई साल बाद मेरा जन्म हुआ और मैं इकलौती बन कर रह गयी….
मम्मी पापा काफी उम्र के हो चले हैं आप तो जानते ही हैं कि एक पौधा कहीं भी मिट्टी में पनप जाता है पर वृक्ष नहीं….उन्हें यहां रहना पसंद है यहां वह जिंदगी जी रहे हैं हंसी खुशी और सर एक नये शहर में अगर उनके लिए नया जलवायु अनुकूल नहीं हुआ तो……
माना बड़ा बंगला गाड़ी ….ओहदा होगा मगर जिनके लिए मेरा जीवन है यदि वह वहां खुश नही रह पाऐगें तो ….ऐसे ओहदे बंगले गाड़ी…. मेरे लिए बेमानी हैं सर….
अतः मैं ये जगह छोड़ कर नहीं जा सकती…..
मगर….आपने अबतक शादी ….आइ मीन …. …..
सर…..मैंने कहा ना …..मेरे माता पिता पहले मेरी जिम्मेदारी हैं ….और आजकल ऐसे लड़के नहीं मिलते जो लडकी के माता पिता की भी सेवा करने की अनुमति दें ….मतलब लड़केवाले अपने परिवार के आगे भूल जाते हैं एक लड़की के भी माता पिता हैं ….बस इसलिए ….
इसलिए आपने अबतक शादी नहीं की …..मोहनजी ने मुस्कुराते हुए कहा….
जी…..इसलिए मुझे कोई प्रमोशन नहीं चाहिए सर …..
उसने अंतिम फैसला सुनाया….
मोहनजी सुधा के धर्म निष्ठा पर मुग्ध हो उठे….उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा….
क्या मुझसे शादी करोगी……
मेरा दुनिया में कोई नहीं है एक अच्छे जीवनसाथी की अपेक्षा सबको होती है जो मुझे अबतक नहीं मिली थी मगर आपको देखकर लगता है मेरी तलाश पूरी हो गई है ….मुझे एक अच्छे जीवनसाथी के साथ साथ माता पिता का प्यार भी मिल जाएगा ….
तो कहिए ….मुझे अपना जीवनसाथी बनाओगी…..
कोई जल्दी नहीं है सोच समझकर …. जबाब देना ….मुझे इंतजार रहेगा….
इस अप्रत्याशित निवेदन से सुधा निःशब्द हो गयी …
उसने धीरे से हाथ आगे मोहनजी की ओर बढ़ा दिया……
अब एकसाथ दो जिंदगी एक सुनहरे मोड़ की ओर अग्रसर थी……