https://www.youtube.com/watch?v=QApL5czp4Ko
Tajinder Singh
Lives in Jamshedpur
From Jamshedpur
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Change is constant…
कभी हमारा देश भी सोने की चिड़िया था। हम जब दौड़ रहे थे, यूरोप रेंग रहा था। खगोल विज्ञान, दर्शन और आध्यात्म में हम अग्रणी थे। सिंधु घाटी और मोहनजोदाड़ो सभ्यताएं, सनातन, जैन, बौद्ध धर्म यहीं विकसित हुए। प्रकृति के साथ तादात्म्य बैठा चलने वाले समाज/धर्म के रूप में हमारी एक पहचान थी।
लेकिन फिर समय बदला और इस देश मे असंख्य देवी देवताओं ने जन्म लिया और हमारी प्रगति का रथ धर्म के दलदल में धंस गया। एक समय पश्चिम में भी धर्म का बोलबाला था। चर्च जैसी धार्मिक संस्थाओं की इतनी चलती थी कि धार्मिक ग्रन्थ बाइबल की मान्यताओं के विरुद्ध जाने पर कोपरनिकस, गैलीलियो को दंड भोगना पड़ा। लेकिन अंततः उन्होंने धर्म के प्रभुत्व के दुष्परिणामो को समझा और धर्मसत्ता के डिक्टेट को नकार धर्म और राजनीति को अलग कर दिया।
आज पश्चिम में नास्तिकों की संख्या बढ़ रही है। किसी समय बेल्जियम जैसे देश मे 83% लोग आस्तिक थे। उस समय लोगों ने गिरजाघरों का निर्माण बड़ी संख्या में किया। लेकिन आज स्थिति ये है कि वहां मात्र 43% लोग ही आस्तिक हैं। उसमे भी मात्र 2% लोग ही चर्च जाते हैं। आज चर्च जैसी धार्मिक संस्थाओं का मेंटेनेंस खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है। धार्मिक संस्थाओं का घटता रुतबा लोगों की बदलती सोच को बता रहा है। आज हालात ये हैं कि बेल्जियम के चर्चों को होटलों और मॉल में बदला जा रहा है। जिस जगह पर लोग कभी अपने पाप के कॉन्फेशन के लिए जाते थे। आज वहां पाप करने जाते हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=iE9GgjKDsDY
लेकिन हमारे भारत में हालात उल्टे हैं। हम आगे बढ़ने की बजाय पीछे की ओर जा रहे हैं। जिस भक्ति काल को लोग थोड़ा पीछे छोड़ चुके थे। आज उसी को दुबारा लौटाया जा रहा है। साधु संत अब हमारी संसद की शोभा बढ़ाते हैं। उनको राजनीतिक पद देकर अपने हित साधे जाते हैं। धर्म आज एक राजनीतिक टूल है जिसके सहारे इस देश की भेड़ों को हांका जाता है। धर्म के माध्यम से उन्हें प्यार मोहब्बत नही बल्कि नफरत सिखाई जाती है।
लेकिन समय कभी एक सा नही रहता। समय बदलता है…विचार बदलते हैं…लोग बदलते हैं…उनके विश्वास और मान्यताएं भी बदल जाती हैं। मुझे तो यही चिंता सताए जा रही है कि जब इस देश मे नास्तिकों की संख्या बढ़ जाएगी तो लाखों धर्म स्थलों का क्या होगा? क्या इनका हाल भी बेल्जियम वाला होगा?
आप भले बहुत दूर तक न देख पा रहे हों। लेकिन मेरा ये दृढ़ विश्वास है कि आज नही तो कल, कल नही तो परसों….बेल्जियम के हालात केवल भारत नही पूरे विश्व मे होंगे। फर्क केवल इतना होगा कि जो जितना ज्यादा प्रतिवाद करेगा उसके परिवर्तन की रफ्तार उतनी धीमी होगी। लेकिन ये परिवर्तन तो होकर रहेगा।
Tajinder Singh
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उलझा हुआ इंसान…..
एक छोटा बच्चा रसोई में घुस आटा बिखेर रहा था। माँ कहीँ व्यस्त थी। अचानक माँ ने देखा तो दूर से ही डांट लगाई।
बच्चा हड़बड़ा गया और वहां से भाग निकला।
एक छोटे बच्चे को भी धीरे धीरे सही गलत का ज्ञान हो जाता है। वो जानता है कि जो वो कर रहा है वो बदमाशी है, गलत है।
इस बच्चे ने किसी किताब में नही पढा ये सब। अभी तो उसने पढ़ना सीखा ही नही। मां की भाव भंगिमा और अपने सहज ज्ञान से वो गलत और सही को पहचानने लगता है। यही बच्चा बड़ा होता है। उसका सामाजिक ज्ञान बढ़ता है और सही गलत की समझ भी। इस ज्ञान के लिए अभी तक उसने किसी पुस्तक का सहारा नही लिया।
अब ये बच्चा जवान हो चुका है। उसके शरीर की कुछ जरूरतें हैं जिनको पूरा करने के लिए समाज उसकी शादी कर देता है। शादी के बाद के कार्य के लिए भी वो कोई किताब नही पढ़ता। और बखूबी उस काम को अंजाम देता है। यहां तक कि उसकी पत्नी को जो बच्चा होता है उसके लिए भी पुरानी दाइयां कोई किताब नही पढ़ती थी।
https://www.youtube.com/watch?v=rwO_jhDcYX0