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”ढोल, गवार, शूद्र, पशु, नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी” की व्याख्या…By-Lekhak Mukesh Sharma
Lekhak Mukesh Sharma =================== · ढोल ,गवार ,शूद्र, पशु, नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी।” चौपाई की व्याख्या करते समय लोग काल, समय, स्थान और संदर्भ को नहीं देखते। बस जैसा मन में आया वैसी व्याख्या कर देते हैं। वैसे भी आजकल की पीढ़ी जो ज्यादातर फेसबुक जैसे मंच पर ज्ञान बांटते नज़र आती है, […]
कामरेड शशि प्रकाश की ताज़ा कविता … हमारे लहूलुहान समय का एक दृश्य-चित्र!
* स्टिललाइफ़ 2023 तिपहरी उदास, सुनसान। एकाकी उचाट आत्मा पर ग्लानिग्रस्त गुलाब की छाया गिरती हुई अनमनी। पुराने बरगद की लटकती बरोहें डोलती हुई हवा में जिन्हें फिर से मिट्टी तक पहुँच कर नयी जड़ें बनना था। मनहूसी भरे आसमान में पुच्छल तारे सी उगी एक बन्दूक। नीचे कंसंट्रेशन कैम्प जैसी किसी आतंककारी इमारत के […]
कहानी : उसकी नीली आँखें, सुनहरे बाल और गुलाबी रंगत सबको मोह लेती थी…By- Nazia Khan
Nazia Khan Writer Lives in Bhopal, Madhya Pradesh From Ujjain ====== कहानी “करना तो मुझे हाँ ही है” “मीशा, बेटा तुम तैयार नहीं हुईं, गेस्ट आने ही वाले हैं।” बुआ की आवाज़ पर मीशा ने हल्के से ब्लेंकेट सरकाया और उनींदी आवाज़ में पूछा, “आपके गेस्ट हैं बुआ, मैं क्या ही करूँगी आकर। नींद आ […]