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प्रतीक और परम्पराओं के सहारे…By-Tajinder Singh
Tajinder Singh ============== प्रतीक और परम्पराओं के सहारे… मेरा घर जिस जगह है वो प्राइवेट इलाका है। मेरे घर से एक किलोमीटर की दूरी से टाटा कंपनी का इलाका शुरू हो जाता है। यहां है चौड़े चौड़े रोड, चारो तरफ लगे वृक्ष। वृक्षों का एक जंगल है यहां। आप हर चौथे घर मे आम का […]
वो तो बस रोए जा रहा था…..बार-बार, लगातार…….!!
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ============= “जल्दी करो,जल्दी करो, देर हो रही है…कितनी देर लगाती हो एक टिफ़िन देने में”…..प्रफुल्ल बाबू ने झल्लाते हुए अपनी पत्नी मीतू से कहा । “आ गई, आ गई….अब आसमान सिर पर मत उठाईये…लीजिए अपना टिफ़िन, ख़ुद सुबह उठने में देर करते हैं औऱ सारा दोष मेरे मत्थे मड़ देते हैं….इसे कहते […]
*ननदरानी अब मुझसे उम्मीद करना ग़लत है*
Laxmi Kumawat ==================== दिव्या जितनी कोशिश कर सकती थी, उतना जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए घर की तरफ जा रही थी। शाम के सात बज चुके थे। अभी तो उसे सब्जियाँ भी खरीदना था। घर पर आज के खाने के लिए सब्जी कुछ भी नहीं थी। ऊपर से घर जाकर खाना भी बनाना था। खैर, […]