साहित्य

कभी-कभी सोचती हूं कि यदि प्रेम एक स्वतंत्र अभिव्यक्ति होती तो नहीं छुपाना पड़ता….By-Vanita Banerjee

Vanita Banerjee
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कभी कभी सोचती हूं कि
यदि प्रेम एक स्वतंत्र अभिव्यक्ति होती
तो नहीं छुपाना पड़ता
किसी प्रेम में पड़े व्यक्ति को
अपनी भावनाएं
अपनी इच्छाएं
किताबों में छुपा कर
रखे उन सूखे फूलों को
नहीं छुपा कर रखना पड़ता
प्रेम से दो शब्द लिखे हुए
खतों को
जिन्हें सबकी नजरों से
छिपा कर
बचा कर
रखते हैं
प्रेम में पड़े हुए लोग
इतने शातिर तरीके से
वार करती हुई
प्रेम और भाव से पूर्ण
अपनी नजरों को
जिसकी धार
इतनी तेज होती कि
नहीं जरूरत पड़ती
उन्हें बचने और
बचाने की
खुद को..
एक अपराधी की तरह
प्रेम का किसी के हिस्से में आना
शर्म और लाज नहीं
बल्कि एक गर्व का
विषय होता
नहीं छुप कर मिलते वो
दुनिया समाज और
घर वालों की नजर से
किसी कोने,एकांत में
अपने प्रेम का इज़हार करने को
बल्कि वो कर सकते
प्रेम का इज़हार अपने
दुनिया ,समाज के सामने ही
गर्व से थमा सकते
एक गुलाब इज़हार का
अपने प्रेमी या प्रेमिका का
हाथ थामने
उम्र भर को ll

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