उत्तर प्रदेश राज्य

कन्नौज : आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर तेज़ रफ्तार स्कार्पियो डिवाइडर से टकराई, हादसे में तीन डॉक्टरों समेत पांच लोगों की मौत!

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बुधवार तड़के 3:30 बजे तेज रफ्तार स्कार्पियो डिवाइडर से टकराकर दूसरी लेन पर जाकर ट्रक से टकरा गई। हादसे में ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) सैफई में पीजी कर रहे तीन डॉक्टरों समेत पांच की मौत हो गई। एक डॉक्टर की हालत नाजुक बनी हुई है, जिन्हें सैफई रेफर किया गया है।

बताया जा रहा है कि स्कार्पियो की रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा थी। चालक को झपकी आने के कारण हादसा हुआ है। डीएम-एसपी ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। सभी लोग लखनऊ में एक साथी डॉक्टर के भाई की शादी समारोह में शामिल होकर लौट रहे थे।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के किलोमीटर 196 पर लखनऊ की तरफ से आ रही तेज रफ्तार स्कार्पियो डिवाइडर से टकराकर पलट गई। कार डिवाइडर फांदकर दूसरी लेन में जा गिरी। इसी बीच आगरा की तरफ से आ रहे ट्रक ने उसमें टक्कर मार दी।

हादसे में कन्नौज की सदर कोतवाली के ग्राम मोचीपुर निवासी डॉ. अरुण कुमार दोहरे, आगरा के कमला नगर ए-5 राधा विहार एक्सटेंशन निवासी डॉ. अनिरुद्ध वर्मा, जिला संत रविदास नगर भदोही के राजपुरा भाग-3 निवासी संतोष कुमार मौर्य, बरेली के बाइपास रोड श्यामा चरण स्कूल के पास नवाबगंज निवासी डॉ. नरदेव सिंह और बिजनौर के जीवनपुर निवासी राकेश कुमार की मौके पर मौत हो गई। मुरादाबाद के बुद्ध विहार 9 बी-568 फेस-2 मझोला योजना नंबर चार निवासी डॉ. जयवीर सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए।

एक्सप्रेसवे से ही गुजर रहे किसी व्यक्ति ने हादसे की सूचना यूपीडा कंट्रोल रूम को दी। इसके बाद यूपीडा के सुरक्षा अधिकारी ओमप्रकाश सिंह मौके पर पहुंचे और सभी को तिर्वा स्थित डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय पहुंचाया। डॉक्टरों ने डॉ. अरुण कुमार, डॉ. अनिरुद्ध वर्मा, डॉ. नरदेव सिंह, सैफई मेडिकल कॉलेज के सीनियर टेक्नीकल ऑफिसर संतोष कुमार मौर्य और जूनियर स्टोर ऑफिसर राकेश कुमार को मृत घोषित कर दिया, जबकि माइक्रोबायलॉजी विभाग के जेआर-1 डॉ. जयवीर सिंह की हालत नाजुक होने पर सैफई के लिए रेफर कर दिया।

हादसे की जानकारी मिलते ही डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल, एसपी अमित कुमार आनंद मौके पर पहुंचे और यूपीडा के अधिकारियों को घटना की जांच के आदेश दिए। पुलिस ने ट्रक समेत चालक को हिरासत में ले लिया है।

इस बीच, सैफई आयुर्विज्ञान संस्थान से भी कई डॉक्टर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्होंने बताया कि लखनऊ में सभी लोग साथी डॉ. केतन आनंद के भाई की शादी समारोह में शामिल होकर लौट रहे थे। कार डॉ. अरुण कुमार चला रहे थे। सुबह अचानक झपकी आने की वजह से हादसा हो गया। हादसे की जानकारी पाकर मृतकों के परिजन भी मेडिकल कॉलेज पहुंच गए। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए गए तो वह लोग लौट गए।

तय सीमा से 30 किमी प्रति घंटा अधिक थी कार की रफ्तार
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) लखनऊ के नोडल अधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि हादसे के बाद यूपीडा के मुख्य सुरक्षा अधिकारी से जांच कराई गई तो कार की स्पीड 130 किलोमीटर प्रतिघंटा पाई गई। चालक को झपकी आने तथा कार की गति अधिक होने के कारण यह हादसा हुआ है।

एक्सप्रेस-वे पर कार के लिए अधिकतम गति सीमा 100 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित है। कोहरा होने पर दृश्यता के अनुसार गति सीमा को 40 किमी प्रतिघंटा कम कर दिया गया है। ऐसे में गति 60 किमी प्रति घंटा से कम रखनी चाहिए। हालांकि हादसे के समय कोहरा अधिक नहीं था।

अखिलेश यादव ने हादसे पर की ये पोस्ट
हादसे पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर दुख जताया है। उन्होंने लिखा कि हर एक जान अनमोल होती है, लेकिन जान बचानेवाले डॉक्टरों की जान जाना और भी अधिक दुखद घटना है। श्रद्धांजलि!

उप्र भाजपा सरकार को ये सोचना चाहिए कि एक्सप्रेसवे पर अचानक हादसों की संख्या क्यों बढ़ गई है

-क्या भाजपा सरकार, सपा के समय में बने इस विश्वस्तरीय एक्सप्रेसवे की देखरेख करने की योग्यता और क्षमता नहीं रखती है या फिर जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है।

-क्या हाईवे की पुलिसिंग कोने में गाड़ी लगाकर, मोबाइल देखने के लिए ही रह गई है। जब मोबाइल से सिर उठाएंगे तब तो देखेंगे कि कौन गलत-सही गाड़ी चला रहा है।

-क्या स्पीड पर निगाह रखनेवाली CCTV टेक्नॉलॉजी केवल चालान काटकर पैसा कमाने के लिए है या चेतावनी देकर जान बचाने के लिए भी है।
-क्या जानवरों की आवा-जाही के नियंत्रण का कोई भी उपाय सरकार के पास नहीं है, जो सैकड़ों बार हादसों का कारण बन रहे हैं।

भाजपा राज में ‘लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे‘ के प्रति द्वेष भरा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, जिसकी कीमत जनता अपनी जान गंवाकर चुका रही है।

सपा के लिए ‘एक्सप्रेसवे’ एक बड़ी सोच का ठोस रूप था। जिसका लक्ष्य सुरक्षा के साथ आवागमन-परिवहन को गतिमान बनाकर, बीच के सभी क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था, कृषि और कारोबार को प्रगति और विकास के मार्ग से जोड़ना रहा, लेकिन भाजपा के लिए ये केवल करोड़ों का टोल कमाने का जरिया भर बनकर रह गया है। ये टोल कलेक्शन का काम भी प्राइवेट कंपनी को ही दिया गया है, और क्यों दिया गया है, ये समझाने की ज़रूरत जनता को नहीं है।

अगर सरकार में कोई भी एक ज़िम्मेदार हो तो जवाब भले न दे पर जनता के जीवन को बचाने के उपाय ज़रूर करे।