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कनाडाई राजदूत ने भारत पर बोला हमला : निज्जर हत्याकांड को लेकर अमेरिका ने एक बार फिर भारत को जांच में सहयोग करने को कहा!

खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत और कनाडा के बीच जारी विवाद पर अमेरिका ने एक बार फिर बयान दिया है। कनाडा की ओर से भारत पर लगाए आरोपों को चिंता का विषय बताते हुए अमेरिकी विदेश विभाग ने अपना रुख दोहराते हुए कहा कि नई दिल्ली को जांच में सहयोग करने चाहिए।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि इस मामले में पूर्ण और निष्पक्ष जांच की जरूरत है। मिलर ने कहा, हमने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर गौर किया है। हम इससे काफी चिंतित हैं। हमें लगता है कि इन आरोपों की पूर्ण और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। कनाडाई सरकार ने कहा है कि वह ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि भारत सरकार को इसमें सहयोग करना चाहिए।

भारत-कनाडा संबंधों और अमेरिका-भारत संबंधों पर इसके प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर मिलर ने कहा कि भारत अब भी अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है, लेकिन इस मामले पर अमेरिका नई दिल्ली से कनाडाई सरकार की जांच में सहयोग करने का अनुरोध कर रहा है।

उन्होंने आगे कहा, हम कनाडा की स्थिति को लेकर काफी चिंतित हैं। हमने अपने कनाडाई समकक्षों के साथ घनिष्ठ रूप से सहयोग किया है। हमने भारत से इस जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है और हम ऐसा करना जारी रखेंगे। भारत अब भी अमेरिका का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। हम कई मुद्दों पर भारत के साथ काम करते हैं, लेकिन निश्चित रूप से इस मामले पर हम उनसे कनाडाई जांच में सहयोग करने का आग्रह करते हैं।

बीते दिनों अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी कहा था कि वाशिंगटन कनाडा के आरोपों को लेकर काफी चिंतित है और इस मामले में जवाबदेही देखना चाहता है। ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका ने सीधे तौर पर भारत सरकार से बातचीत की है।

कनाडाई राजदूत ने भारत पर बोला हमला
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत बॉब रे ने फिर परोक्ष रूप से भारत पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि विदेशी दखल के कारण लोकतंत्र खतरे में पड़ जाते हैं और देशों के बीच के संबंधों के नियम राजनीतिक सुविधा से नहीं बदले जा सकते। उन्होंने कहा, इसके साथ ही जब हम समानता के महत्व पर बेहद जोर देते हैं तो हमें मुक्त और लोकतांत्रिक समाजों के मूल्यों को भी बनाए रखना चाहिए। यदि हम उन नियमों पर टिके नहीं रहे, जिनपर हम पहले सहमत हुए हैं तो हमारे मुक्त और खुले समाज का ताना-बाना बिखरने लगेगा।