साहित्य

और आख़िर में हाथ लगता है…..”घण्टा”

Tajinder Singh
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घण्टा………तीसरे पहर की पोस्ट
रात के 11 बजे के करीब आप की आंख लगी हो। फिर रात के तीसरे पहर में अचानक आप की नींद टूटे और आप पाएं कि आपको बाथरूम जाने की अर्ज महसूस हो रही है। आप लधु शंका से फारिग होकर वापिस बिस्तर पर आते हैं तो पाते हैं कि इस नैप ने आपके मस्तिष्क को इतना तरोताजा कर दिया है कि वो अब किसी हिरन की भांति कुलांचे भर रहा है। दिमाग में एक से बढ़कर एक विचार आ रहे हैं। आप हर विचार को एक लाजवाब पोस्ट के रूप में देखते हैं। लेकिन समस्या ये है कि विचार इस तेजी से आ रहें जैसे हिरणों का कोई झुंड एक भूखे शेर के सामने से निकल रहा हो। और शेर कन्फ्यूज कर जाए कि आखिर किसे पकड़े। रात के दो बजे विचारों की इस रेलम पेल में किसी एक विचार को भी पकड़ना बहुत मुश्किल है। और आखिर में मेरे हाथ लगता है….. घण्टा

सोचता हूँ आखिर इस तरह की स्थिति से दो चार होने पर जो आदमी के हाथ लगता है। उसे “घण्टा” क्यों बोला जाता है। शायद कभी ऐसा हुआ होगा कि जब घण्टों घण्टियाँ बजाने के बाद भी ऊपर वाला किसी की फरियाद नही सुनता होगा और मांगने वाले कि मुराद पूरी नही करता होगा तो किसी के पूछने पर नाराजगी में इंसान के मुंह से कभी यही शब्द निकला होगा।
क्या मिला…. तो….बस…यही…घण्टा।

वैसे ये सच भी है कि जिसकी आवाज कोई नही सुनता। ना भगवान ना हुक्मरान। उस परेशान , दुखी आदमी के हाथ मे यही रह जाता है….घण्टा।
जैसे कोरोना में देश की सड़कों को नापने वाले हजारों मजदुर भाई। इनके हौसले, जिजीविषा की तारीफ भले जितनी कर लीजिए। लेकिन इनके सारे कष्टों का हासिल और जो इनके हाथ लगा, उसे वही कहा जायेगा….घण्टा।

2 करोड़ नॉकरियाँ, 15 लाख और अच्छे दिनों की उम्मीद में बीजेपी की सरकार बनाने वाले देशवासियों के हाथ क्या लगा….यही घण्टा।
इस देश की जनता भी कम बेईमान नही है। 81 करोड़ लोग साहब की दया से अनाज पा रहे हैं। इन्ही के लिए साहब ने कर्नाटक में कितनी रैलियां और कितने ही रोड शो किये। 20 20 किलोमीटर के रोड शो में जनता की तरफ मुस्कुरा का हाथ हिलाते हिलाते साहब का जबड़ा और हाथ दोनों दुख गए। लेकिन यहां की जनता ने भी क्या किया। पकड़ा दिया वही….घण्टा।

पटना में बाबा के दरबार मे आने वाली लाखों आस्थावान नासमझों की भीड़ को भी शर्तिया वही मिला होगा। अपने कष्टों, दुख, तकलीफ को अपनी नियति और कर्मो का फल मानने वालों को इससे घण्टा फर्क नही पड़ता कि इन्ही बाबाओं के चक्कर ने उनकी लुटिया डुबोई है। वो खुशी खुशी घण्टा पकड़ डूबने को तैयार हैं।
माफ करें मैं विचारों की उतपत्ति पर बात करते करते शब्द की उतपत्ति पर चला आया। दरअसल जब रात है, समय भी है तो घण्टा पर चिंतन में क्या हर्ज है। इससे आखिर कुछ घण्टे तो पार होंगे।

Meghraj Singh
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पूरे विश्व के लोग कैसे जान पाएंगे के सीधे सादे इंसान कैसे होते हैं और सच्चे इंसान कैसे होते हैं ।

आओ जानिए——
विश्व के अधिकतम लोग सीधे सादे इंसान को ही सच्चे इंसान समझते हैं ।
विश्व के अंदर सच्चे इंसानों के बारे में ज्ञानवान और दूरंदेशी इन्सान जानते हैं ।
मेरे निजी अनुभव के अनुसार सीधे सादे इंसान ऐसे होते हैं जैसे कि—
सीधे सादे इंसानों में निम्नलिखि आदतें पाई जाती हैं जैसे कि—
1 जो अपने आप में चुपचाप रहते हैं और वह किसी की बात का जवाब देना पसंद नहीं करते ऐसे लोगों को सीधे सादे इंसान कहते हैं ।
2 जो ना तो कभी झूठ के ख़िलाफ़ बोलते हैं और नाही वह सच की सपोर्ट करते हैं ऐसे लोगों को सीधे सादे इंसान कहते हैं ।
3 जो ना तो कभी किसी की लड़ाई में हिस्सा लेते हैं और नाही वह किसी के साथ लड़ाई करते हैं ऐसे लोगों को सीधे सादे इंसान कहते हैं ।
4 जब शैतान सीधे सादे लोगो के उपर जुलम करते हैं तो दूसरे लोग कहते हैं कि अगर रब दुनिया के अंदर है तो इनको बचाने क्यों नहीं आता है ऐसा बोलकर वह लोग सीधे सादे इंसानों को अकेला छोड़ देते हैं ।

5 जो अमीर लोगो से ग़रीब लोगो से कोई मतलब नहीं रखते वह अपने आप में ही ऐसा महसूस करते हैं कि हमारा इस दुनिया में कोई नही है और नाही हम किसी के हैं वह इस तरह की ज़िंदगी जीते हैं कि वह अपने आपको अकेला महसूस करते हैं और दूसरों की परवाह भी नहीं करते ऐसे लोगों को सीधे सादे इंसान कहते हैं ।
मेरे निजी अनुभव के अनुसार सच्चे इंसान ऐसे होते हैं जैसे कि —

सच्चे इंसानों के अंदर ऐसी आदतें पाई जाती है जैसे कि —
1 जो सच बोलते हैं ईमानदारी से काम करते हैं दिन रात सच्चाई फैलाने का काम करते हैं और लोगों को ईमानदारी से काम करना सिखाते हैं ऐसे लोगों को सच्चे इंसान कहते हैं ।
2 जो झूठ बोलने वालों के ख़िलाफ़ खड़े हो जाते हैं जो सच बोलने वालों की सपोर्ट करते हैं और सही बात को सही वक़्त पर कहते हैं ऐसे लोगो को सच्चे इंसान कहते हैं ।
3 जो ग़रीब इंसानों को अपने गले लगाते हैं गरीबों की रक्षा करते हैं और सबको एक समान समझते हैं और अमीरों से भी नफ़रत नहीं करते हैं वह सबको एक समान समझते हैं ऐसे लोगो को सच्चे इंसान कहते हैं ।

4 जो ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं जो ज़ुल्म के ख़िलाफ़ क़लम चलाते हैं जो मुसीबत में हथियार भी उठा लेते हैं ऐसे लोगो को सच्चे इंसान कहते हैं ।
5 जो पूरे विश्व के लोगों को एक परिवार का हिस्सा समझते हैं जो विश्व के लोगों को एक समान प्यार करते हैं जो एक रब के आगे पूरे विश्व के भलाई के लिए अरदास करते हैं ऐसे लोगों को सच इंसान कहते हैं ।

कुछ महत्वपूर्ण शायरी
जो ज़ुल्म को देखकर चुपचाप रहे जो किसी की भी बात का जवाब ना दे ऐसे इंसानों को सच्चे नहीं सीधे सादे इंसान कहते हैं ।
जो ज़ुल्म को देखकर ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं जो सभी प्रकार की बातों का जवाब देते हैं ऐसे इंसानों को सीधे सादे नहीं सच्चे इंसान कहते हैं ।
अक्सर सीधे सादे इंसान अपने आपको सच्चा इंसान समझ लेते हैं इसीलिए वह साधारण इंसान ही रह जाते हैं ।
अक्सर सच्चे इंसान अपने आपको ज्ञानहीन समझ लेते है फिर वह ज्ञान की खोज कर कर के ताक़तवर ज्ञानवान इंसान बन जाते हैं ।
अगर सीधे सादे इंसान गलती से अपने आपको सच्चे इंसान समझते रहे तो वह ज़िंदगी मे ज्ञानहीन ही रह जाएंगे ।
अगर सीधे सादे इंसान भी सचमुच ही सच को अपने मन से अपनाएंगे तो वह भी ज्ञान की खोज खोजकर के ज्ञानवान बन जाएंगे ।
जो इंसान ना डरते हैं किसी से और नाही किसी को डराते हैं ऐसे इंसानों को ही सच्चे इंसान कहते हैं ।
जो पूरे विश्व को अपना परिवार समझते है और पूरे विश्व में सच्चाई फैलाते है ऐसे इंसानों को सच्चे और महान इसान कहते हैं ।

नोट —सीधे सादे इंसानो और सच्चे इंसानों के बारे में जो मैंने अनुभव किया है वह मैंने आप सभी के सामने लिखकर रख दिया है यह मेरा अपना निजी अनुभव है इन बातों को सिर्फ़ सच्चे और ईमानदार इंसान ही समझ सकते हैं अगर किसी को ऐसा लगता है कि यह सब झूठ है तो वह विश्व के किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर आकर विचार चर्चा कर सकते हैं ।
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(सतयुगी किंग M S Khalsa)