विशेष

“औरत” को समझिए,,,30+ उम्र की स्त्रियों के यौवन पर पुरुष अक्सर लिख तो देते है कि….!!!

स्वामी देव कामुक
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कुछ लोग प्रेम तो बेतहाशा देते हैं..
लेकिन फिर उसे एक झटके में छीन भी लेते है और सामने वाले को तड़पने के लिए छोड़ देते है..जैसे कोई किसी माँ से उसके दुधमुँहे बच्चे को छीन ले तो वो तड़प उठती है..!


प्रेम देने वाले को अगर जाना भी हो तो उसे ठीक उसी तरह जाना चाहिए जैसे एक मां अपने सोते हुए बच्चे को थपकी देते हुए उसे नींद आने पर धीरे से हाथ हटा लेती है और उस बच्चे को ये भान रहता है कि उसकी माँ अभी भी उसके पास है..!
जिन्हें प्रेम चाहिए होता है उनके लिए आपके पास होने से ज्यादा..आपके पास होने की अनुभूति मायने रखती है..!!
तुम्हारा स्वामी देव

 

स्वामी देव कामुक
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” औरत ” को समझिए
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औरत सिर्फ जिस्म और शक्ल से ही खूबसूरत नहीं होतीं, बल्कि वो इसलिए भी खूबसूरत होती हैं, क्योंकि
∆ प्यार में ठुकराने के बाद भी, किसी मर्द पर तेज़ाब नहीं फेंकती!
∆ उनकी वज़ह से कोई पुरुष दहेज़ में प्रताड़ित हो कर फांसी नहीं लगाता !
∆ उनकी वजह से लड़कों को आने जाने का रास्ता नही बदलना पड़ता,
∆ वो राह चलते लड़को पर अभद्र टिप्पणीयां नही करती!

 


∆ वो देर से घर आने वाले पति पर शक नही करती, बल्कि चिंता करती रहती है!
∆ वो छोटी छोटी बातों पर अपने जीवन साथी पर हाथ नही उठाती
∆ वो अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के खातिर हालातों से समझौता भी कर जाती हैं!
∆ वो रिश्ते निभाना जानती हैं ! इसीलिए रिश्तों में जीना चाहती हैं।
∆ वो दिलों को जीतना चाहती हैं ! प्यार पाना चाहती हैं ! और प्यार देना चाहती हैं !
∆ वो हमसफ़र, हमकदम बनाना चाहती हैं। इसलिए औरतें सिर्फ शक्ल सूरत और ज़िस्म
से ही खूबसूरत नहीं होती , वो एक सुंदर मन होती हैं। जिसे देखने के लिए एक सुंदर नज़र होनी चाहिए ।
सभी महिलाओं को समर्पित
तुम्हारा स्वामी देव

स्वामी देव कामुक
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पचास , साठ या फिर उस से पार की भी औरतें
क्यों बंदिश लगा लेती हैं खुद पर
कपडे ख़रीदने जाती हैं
अब लाल गुलाबी तो अच्छा नहीं लगेगा इस उम्र में
थोड़े फीके रंग लेने होंगे
सलेटी, भूरा, क्रीम, सफ़ेद
लिपस्टिक तो लगा ही नहीं सकतीं वह भी लाल
हरगिज़ नहीं
लोग क्या कहेंगे


बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम
किस ने बनाया होगा यह इडियम
किसी मर्द ने
ज़रूरी नहीं
औरत ने भी बनाया हो सकता है
सब से पहले तो औरत ही करती है कमेंट
अरे, यह क्या पहना है
सफ़ेद बालों का तो लिहाज़ किया होता
किसी शादी, ब्याह , पार्टी पे
बैठे बैठे पाँव थिरकने भी लग जाएंगे
पर उठ के नाच नहीं सकती
डांस फ्लोर पे तो यंगस्टर्ज़ का ही राज हो सकता है न
लोग क्या कहेंगे
इस उम्र में तो मंदिर जाना चाहिए
दान पुन्न करना चाहिए
पायल क्यों पहनी है पाँव में


बेटा पूछता है
अच्छा नहीं लगता
बहु कहती है
अब तो हमारे सजने संवरने के दिन हैं
और प्यार
प्यार तो हरगिज़ हरगिज़ नहीं हो सकता
इस उम्र में भी कोई प्यार भरी बाते करता है भला
अरे भई , कोई पूछे भला
क्यों नहीं हो सकता
प्यार करने की भी कोई उम्र होती है क्या
प्यार का तो मतलब ही समझते गुज़र जाती है तमाम उम्र
और क्यों नहीं पहन सकते लाल गुलाबी
लगा सकते लाल लिपस्टिक


क्यों नहीं लगा सकते ठुमका
चुनाव अपना होना चाहिए
दिल करे तो बादामी पहनो, दिल करे तो नारंगी
सेहत इज़ाज़त दे तो नाचो
नहीं तो थिरकने दो पैरों को कुर्सी पे बैठे हुए
यह बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम कह कर नीचा दिखाना छोड़ो
मरने से पहले क्यों मरना
ज़िंदगी तो ज़िंदा दिलों का नाम है
मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं….
तुम्हारा स्वामी देव

स्वामी देव कामुक
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प्रतीक्षारत स्त्रियों ने
प्रथम प्रतीक्षा स्वयं
अपनी माँ के गर्भ से
सुरक्षित बाहर आने की, की.
उससे भी बहुत पहले
‘पुत्रीवती भव’ कहने वाले
किसी हृदय से निकली
एक शुभेच्छा की.
इन सभी ने सदियों से
स्त्रियों की बनिस्पत
पुरुषों की प्रतीक्षाएं ही अधिक की हैं.


अपनी प्रतीक्षा के बदले इन पर
उलाहनों के जितने भी वारफेर
न्यौछावर किए गए
ये उन्हें प्रेम और ममता की
मिट्टी से बनी गुल्ल्क में भरती गई
जिसे दुनिया छोड़कर जाते भी
अपने साथ ही लेकर गई.
घर की दहलीज पर बेचैनी से
प्रतीक्षा करती इनकी आँखें
दिव्यदृष्टि प्राप्त कर ब्रह्मांड के
अंतिम छोर तक देख पाने
और कान तिनके की पदचाप
सुन पा सकने के भी अभ्यस्त हो जाते हैं.
प्रतीक्षाओं में पगी
इन सभी स्त्रियों की देह
बेचैनियों और आशंकाओं के जेवर पहने


रतजगे और उपवास रख
हर प्रतीक्षा का उत्सव मनाती हैं.
कुछ स्त्रियों की प्रतीक्षाएं
एक ही जनम में
बाकियों की कई दफा
दूसरे जनम में पूरी हो पाती हैं.
स्त्री की प्रतीक्षा करती स्त्री
अक्सर माँ होती है
कई दफा बेटी,
बाकि, ‘नसीब’.
प्रतीक्षा करती स्त्रियों की
कभी प्रतीक्षा नहीं की गई!
हरबार ,
इनकी प्रतीक्षाओं की केवल
समीक्षाएं ही की गईं.
तुम्हारा स्वामी देव

स्वामी देव कामुक
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बड़ी उम्र की औरतें मोहब्बत इसलिए नहीं करती कि तुम राम बनकर अहिल्या का उद्धार करोगे..
बड़ी उम्र की औरतें देखती है एक साया जिसकी छाँव में वो उम्र की थकान उतार सकें,वो ढूँढती हैं एक अल्हड़ दोस्त..जिसके साथ सड़क पर भींग सकें..
तुम में कुछ ख़ास है या तुम्हारी कमसिनी लालायित नहीं करती उन्हें वो चाहती हैं…एक हमसफ़र ऐसा हो…जिसकी वो दोस्त और प्रेमिका भी बन सकें…
कभी गुरूर आ जाए खुद पर तो आईने में देख लेना..


परिपक्व खूबसूरती और नादान सुंदरता में कितना फर्क होता हैं।.कभी लगे कि कुछ जीत लिया है तुमने तो झांकना उनके दिल में , खुद की हार पर कितना ख़ुश हो रही हैं वो…बड़ी उम्र की औरतें महज़ एक श्रद्धा की मूरत ढूँढ़ती हैं…।
जिसके गीत गुनगुनाते उम्र गुज़र जाए ।


बड़ी उम्र की औरतें जड़ से गहरी होती हैं…तुम तोड़ने जाओगे…तो ख़ुद की साँसें गँवा दोगे ।
बड़ी उम्र की औरतें भावुक प्रेम करती हैं…मगर इसका मतलब ये क़तई नहीं कि वो समझती नहीं…वो तुम्हारी नादानियाँ दरकिनार करती हैं!!
दरअसल इन्हें नहीं जीना अब छलावे की ज़िंदगी इसलिए अब वो पारदर्शी प्रेम चाहती हैं…
इससे पहले कि वक्त उड़ा ले जाए उनकी बची हुई नादानियाँ ..ये बड़ी उम्र की औरतें चंद लम्हों में सारी जिंदगी जीने की चाहत रखती हैं.।।
-स्वामी देव

स्वामी देव कामुक
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30+ उम्र की स्त्रियों के यौवन पर
पुरुष अक्सर लिख तो देते है
की इस उम्र की स्त्रियों को चाहिए क्या! .. .❣️
पर कभी पूछा नहीं होगा की सत्य में क्या चाहिए. ..
दरअसल 40+ उम्र की स्त्रियों को
प्रेम चाहिए होता है. .


हवस या हवसी नहीं. .. ❣️
लेकिन कुछ पुरुषों को छोड़ अधिकांश पुरुष
को लगता है
की स्त्रियां बस शरीर की लोभ में रहती. .. !! ❣️
खैर पुरुष कभी जान भी नहीं पाएंगे. .
सिवाय आंकलन करने के! !
जिस पुरुष ने स्त्री को आत्मिक गहराई तक समझ लिया,वही पुरुष इस संसार में पुरुषत्व रखता है…❣️
शायद इसलिए ही कहा गया है की स्त्रियों में
सारी कलाएं विराजित है.
जिससे पुरुष कभी जीत नहीं पाएंगे. !!❣️
🌹शुभ दोपहरी 🌹
तुम्हारा स्वामी देव


डिस्क्लेमर : लेखका के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है

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