साहित्य

”औकात में रहना”

Laxmi Kumawat
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* पत्नी को दूसरों के सामने बेइज्जत करके कौन सा सम्मान मिल जाता है *
” निधि तुम भी कहाँ जरा सी बात लेकर बैठ गई। कम से कम तुम तो समझो। अगर मैं ऐसा ना कहता तो लोग मुझे जोरु का गुलाम समझने लगेंगे। आखिर मुझे भी तो अपने परिवार के सामने अपना सम्मान बनाए रखना है”
अरविंद निधि को अपनी बात समझाते हुए बोला।

“ये कैसा सम्मान है अरविंद जो मेरा अपमान करने पर मिलता है। मेरे सम्मान की जिम्मेदारी किसकी है फिर? कितनी घटिया सोच है तुम्हारी। अपने सम्मान के लिए मेरा अपमान कर रहे हो”

निधि अरविंद की बात का जवाब देते हुए बोली।

“यार तुम औरतों की यही तो समस्या है। छोटी सी बात को रबड़ की तरह खींचकर लंबा कर देती हो। ऐसा क्या कह दिया मैंने। सिर्फ इतना ही तो कहा था कि बिना मेरी इजाजत घर के बाहर कदम नहीं रखोगी। पति होने के नाते क्या मैं तुमसे इतना सा नहीं कह सकता”

अरविंद अपनी बात को सही ठहराते हुए बोला।
“अच्छा! सिर्फ इतना ही कहा था”
निधि ने प्रश्न भरी नजरों से अरविंद की तरफ देखा।

पर निधि को जवाब देने की जगह वो दूसरी तरफ मुंह करके सो गया। इस बार अरविंद निधि को जवाब देने के मूड में नहीं था, क्योंकि वो जानता था कि वो गलत है।

लेकिन निधि उसकी आंखों से तो नींद कोसो दूर थी। कितनी बुरी तरह से लताड़ा था अरविंद ने उसे, जैसे उसका कोई अस्तित्व ही ना हो। अपनी माँ और बड़े भाई के सामने अपनी टेक दिखाने के लिए किस तरह से उससे बात कर रहा था। एक पल नहीं भी लगाया कहने में कि अगर बाहर कदम भी रखा तो तुम्हारी टांगे तोड़ कर रख दूंगा। भला कोई इस तरह अपनी पत्नी से बात करता है। अब समझ में आ रहा था कि इस घर में उसकी जेठानी जानकी क्यों दबी दबी से रहती है।
बात सिर्फ इतनी सी थी कि शाम को जेठानी जानकी और निधि रसोई में काम कर रही थी। उस समय जानकी की तीन साल की बेटी राशि बाहर बरामदे में खेल रही थी। सासू मां भी वहीं बैठकर अपनी आस पड़ोस की महिला मंडली के साथ पंचायत कर रही थी।

अचानक खेलते खेलते राशि बरामदे में बनी हुई सीड़िओ पर से नीचे गिर गई। हालांकि सीड़ी दो ही थी, लेकिन नीचे रखे गमले से उसका सिर टकरा गया। और उसके सिर पर चोट लग गई।

इस कारण राशि जोर जोर से रोने लगी। लेकिन सासू मां से ये भी नहीं हुआ कि जाकर उस बच्ची को उठा तो ले। जब तक जानकी दौड़कर बाहर आई तो देखा कि राशि के सिर से खून बहने लगा है। ये देखकर जानकी ने अपने पल्लू से उसके सिर को दबाया ताकि खून बहना बंद हो। तब तक निधि भी बाहर आ गई। लेकिन तभी सासू मां बोली,

” अरे कुछ नहीं हुआ है, जो दोनों की दोनों काम छोड़कर बाहर आ गई हो”
ये देखकर जानकी तो कुछ ना बोली, पर उसकी आंखों में आते आंसू बहुत कुछ बोल गए। ये निधि से बर्दाश्त नहीं हुआ। वो तो शुरू से ही बागी स्वभाव की रही थी। वो बोली,

“अम्मा जी राशि को कितनी चोट लगी है। देखिए खून भी बह रहा है। उसे अस्पताल लेकर चलिए”

” अरे कुछ ना हुआ है इसे। लड़की जात है। इस छोटी मोटी चोट से कुछ नहीं होता। लड़कियां तो पल जाती है। थोड़ा सा नारियल का तेल लगा दे। सब सही हो जाएगा”

कहकर अम्मा जी अपने महिला मंडली से फिर बातें करने लगी। लेकिन निधि से ये बर्दाश्त नहीं हुआ कि अपनी ही पोती को रोता देखकर उनका दिल नहीं पसीज रहा। जबकि उसका खून तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। और ये तो सिर की चोट अलग है।

वो आनन फानन में अंदर कमरे में गई। अपनी अलमारी से कुछ पैसे निकाले और बाहर आकर जानकी की गोद से राशि को ले लिया और पैदल ही नुक्कड़ की तरफ चल दी। नुक्कड़ पर पहुंच कर वहां से ऑटो कर राशि को अस्पताल लेकर गई और उसकी मरहम पट्टी करवाई।

लेकिन इधर सासू मां गुस्से में भर चुकी थी। उन्हें बिलकुल अच्छा नहीं लगा कि उनकी सखियों के सामने उनकी बहू ने उनकी बात काट दी और अपनी मनमानी करती हुई घर के बाहर निकल गई। जब तक निधि राशि का इलाज करवा कर वापस आई, तब तक अरविंद और उसके बड़े भैया सुरेंद्र घर आ चुके थे। और सासू मां ने उन्हें हर बात नमक मिर्च मसाले के साथ परोसी थी।

जैसे ही निधि राशि को लेकर घर में घुसी वैसे ही अरविंद ने उस पर चिल्लाना शुरू कर दिया,

” तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अम्मा की इजाजत के बगैर घर के बाहर जाने की। थोड़ा सा इंतजार नहीं कर सकती थी जो अकेली ही घर के बाहर निकल गई। हम लोग आ ही तो रहे थे घर पर”
उसकी बात सुनकर निधि एक पल के लिए तो हैरान रह गई। तब तक जानकी भाभी आकर राशि को उसकी गोद से ले गई।

फिर वो अरविंद से बोली,
” राशि के सिर में चोट लगी थी। वो दर्द के मारे तड़प रही थी। ऐसे में क्या तुम लोगों का इंतजार करती रहती मैं? कितना खून तो बह चुका था उसका”
” अरे तो थोड़ी देर में कुछ ना होता उसे। जो मेरे मना करने के बावजूद घर के बाहर निकल गई। इतनी औरतों के सामने बेइज्जती कर दी मेरी। क्या सोच रही होगी वो लोग कि मेरी बहू तो मेरी सुनती ही नहीं है”

सासू मां बीच में ही बोली।
” आपको लोगों के सामने अपनी इज्जत की पड़ी है। आप राशि की दादी है। मेरी जगह राशि को लेकर तो आपको भागना चाहिए था। लेकिन आप तो…”
” बस करो तुम। बराबर अम्मा को जवाब दिए जा रही हो। खबरदार मेरी इजाजत के बाद के बगैर घर के बाहर कदम रखा तो। टांगे तोड़ के रख दूंगा तुम्हारी। औकात में रहना”
अचानक अरविंद जोर से चिल्लाया।

निधि हक्की-बक्की सी उसे देखती रह गई। अरविंद का ये रूप तो शादी के तीन महीने में कभी उसने देखा ही नहीं था। मानती थी कि ये परिवार रूढ़िवादी था। सासू मां को पोती पसंद नहीं थी क्योंकि वो घर में पहला बच्चा पोता ही चाहती थी। इसलिए कभी राशि से उनका खास लगाव नहीं रहा। पर इस तरह की भाषा भी परिवार के लोग बोलते हैं उसे यकीन नहीं हो रहा था।

” अब खड़ी-खड़ी देख क्या रही हो। जाओ अंदर”
अरविंद दोबारा चिल्ला कर बोला। निधि को कुछ सूझा नहीं तो वो चुपचाप अंदर आ गई। सासू मां ने इसे अपनी जीत समझी और तनकर सोफे पर जाकर बैठ गई।

अब निधि ने इस बारे में अरविंद से कमरे में बात की तो अरविंद का जवाब सुनकर वो हैरान रह गई। मतलब उसका अपमान करके अरविंद को घर में बड़ा सम्मान मिल रहा था। खैर सोचते सोचते काफी देर बाद निधि की नींद लग गई। अब रात भर ढंग से सोई नहीं हो तो सुबह कहां से जल्दी उठती।

सुबह उठने में उसे देर हो गई। बस इसी बात को सासू मां ने पकड़ लिया और जोर-जोर से चिल्लाने लगी। उनकी आवाज सुनकर अरविंद हड़बड़ा कर उठा। निधि को पास में सोता देखकर उसे झकझोर कर उठा दिया,
” अरे जल्दी उठो, अभी तक सो रही हो”
निधि हड़बड़ा कर उठी और फटाफट कमरे के बाहर निकली। उसे देखते ही सासू मां बोली,

” देखा, कैसे जान बूझ कर आज महारानी उठी ही नहीं। घर में तो नौकर चाकर लगे हैं ना। जो आकर घर का काम कर जाएंगे। भला ये बहूओं के ससुराल में रहने के लक्षण है”

निधि को गुस्सा तो आ रहा था। पर जवाब न देकर वो रसोई में जाने लगी। सिर दर्द तो वैसे भी हो रहा था। सोचा पहले चाय बनाकर पी ले। तभी अरविंद भी बाहर निकल कर आ गया। उसे देखकर सासू मां ने अपनी आवाज ऊँची करते हुए कहा,
” देख ले अरविंद, तेरी बीवी के लक्षण। यहाँ सास बोले जा रही है। पर ऐसा नहीं कि उसे जवाब तो दे दे। मुंह उठाकर सीधे रसोई की तरफ चल दी। अरे मुझसे बात नहीं करना चाहती तो साफ-साफ कह दे”

सासू मां की बात सुनकर अरविंद गुस्से में निधि से बोला,
” अम्मा तुमसे कुछ बोले जा रही है। तुम जवाब क्यों नहीं दे रही हो। अम्मा को जवाब दे दोगी तो घिस नहीं जाओगी”

” कल जब मैंने जवाब दिया था तब भी आप बोल रहे थे कि जवाब पर जवाब दिए जा रही है। और आज मैं चुप हूं तो भी समस्या है। आखिर मैं करूं तो करूं क्या”
निधि ने कहा। उसकी बात सुनकर अरविंद गुस्से में चिल्ला कर बोला,
” बस करो तुम। ज्यादा जबान चला रही हो। अगर अब एक शब्द बोला तो तुम्हारा मुंह तोड़….”

” चुप करो तुम। पत्नी हूँ तुम्हारी, कोई गुलाम नहीं हूं। जो इतनी बदतमीजी से मुझसे बात कर रहे हो”

निधि के इस जवाब से अरविंद हक्का बक्का रह गया। वही सासू मां बोली,
“हे भगवान! अपने पति तक से जबान लड़ा रही है ये। तेरी यही हैसियत है तेरी बीवी के सामने। जो सबके सामने तुझे जवाब दे रही है”
सासू मां अरविंद को सुनाते हुए बोली।

तब अरविंद निधि से बोला,
” तुम पत्नी हो मेरी। मेरे सम्मान की जिम्मेदारी तुम्हारी है। तुम इस तरह से सबके सामने मेरा अपमान कैसे कर सकती हो?”

” अच्छा! तुम सबके सामने मुझे बेइज्जत करते रहो। अपने सम्मान के लिए मेरा अपमान करते रहो। और मुझसे उम्मीद करते हो कि मैं सबके सामने गूंगी गुड़िया बनकर तुम्हारी इज्जत बनाए रखूँ। इज्जत दोगे तो इज्जत मिलेगी। वरना जिस तरह की भाषा तुम बोलते हो वो भाषा मुझे भी बोलनी आती है”

निधि के इस जवाब से सब लोग हैरान रह गए। हालांकि उसके बाद अरविंद की हिम्मत नहीं हुई कुछ कहने की, क्योंकि निधि बराबर जवाब दे रही थी। उसके बाद निधि को ‘तेज जबान वाली बहू’, ‘बदतमीज बहू’ कई तरह के नामों से नवाजा गया। पर क्या फर्क पड़ता है? कभी-कभी अपनी इज्जत के लिए बेशर्म तो होना ही पड़ता है।

मौलिक व स्वरचित
✍️ लक्ष्मी कुमावत
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