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तुम्हारे सिवा कुछ दिखा ही नहीं है, हुआ क्या हमें ये पता ही नहीं है…. **अंशू पांडेय** की तीन ग़ज़लें आपकी नज़र!
अंशू पांडेय · ========= फिल से प्राप्त ग़ज़ल और आपकी नज्र मतला – तुम्हारे सिवा कुछ दिखा ही नहीं है हुआ क्या हमें ये पता ही नहीं है हमारी खता क्या ज़रा तुम बताओ मिली जो सजा वो वज़ह ही नहीं है बहुत लेके आते हैं नेता तो वादे बहुत सुन चुके कुछ नया ही […]
मैं अपनें आस पास जितने भी लोगों को देखती हूं उनमें बिलकुल शांत और ख़ुश मुझे कोई भी नहीं दिखाई पड़ता लेकिन…
मनस्वी अपर्णा =========== #थोड़ा_है_थोड़े_की_ज़रूरत_है जावेद अख़्तर साहब का एक बड़ा मशहूर शेर है उसी से अपनी बात शुरू करती हूॅं शेर कुछ यूं है..….. सबका खुशी से फासला एक क़दम है हर घर में बस एक ही कमरा कम है ये शेर और इसका मफहूम हमारी ज़मीनी हक़ीक़त है, मैं अपनें आस पास जितने भी […]
#नामर्द….क्या आपको अपने मर्द से गुज़ारा नहीं होता?
Rakesh Maurya =======· · कहानी :- #नामर्द मेरा शौहर नामर्द है और मुझे तलाक़ चाहिए वह मियां बीवी के झगड़े का आम सा केस था अच्छी पढ़ी लिखी फैमिली थी दो प्यारे से बच्चे थे लेकिन खातून बज़िद थी कि उसको हर हाल में तलाक़ चाहिए, जबकि मेरा मुवक्किल (शौहर) सदमे की कैफ़ियत में था, […]