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ऐ ईमान वालों! अपने अच्छे सुलूक़ से दुनिया में क़ुरआन की रोशनी फैलाओ : अल्लाह फ़लस्तीन के मुसलमानों पर रहम करे BY – फ़ारूक़ रशीद फ़ारूक़ी

Farooque Rasheed Farooquee
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ऐ ईमान वालों! अपने अख़लाक़ से, अपने किरदार से, अपने अच्छे सुलूक से, अपने इल्म से, अपनी नेकियों से, अपनी हक़ परस्ती से, अपनी शराफ़त से, अपनी बहादुरी से, अपनी अक़्ल से, अपने जेहाद से, अपने सब्र से, अपनी इबादत से, अपने ईमान की मज़बूती से और अपनी वफ़ादारी से दुनिया में क़ुरआन की रोशनी फैलाओ। तुम्हारे शानदार कारनामे ही क़ुरआन की पहचान बनेंगे। तुम साहब-ए-क़ुरआन हो। क़ुरआन की चलती-फिरती तफ़्सीर तुम्हीं बन सकते हो और इस राह में अल्लाह तुम्हारा मददगार होगा। इंशा अल्लाह!

(फ़ारूक़ रशीद फ़रूक़ी)

اے ایمان والو! اپنے اخلاق سے، اپنے کردار سے، اپنے حسن سلوک سے، اپنے علم سے، اپنی نیکیوں سے، اپنی حق پرستی سے، اپنی شرافت سے، اپنی بہادری سے، اپنی عقل سے، اپنے جہاد سے، اپنے صبر سے، اپنی عبادت سے، اپنے ایمان کی مضبوطی سے اور اپنی وفاداری سے دنیا میں قرآن کا نور پھیلاؤ۔ تمہارے شاندار کارنامے ہی قرآن کی پہچان بنیں گے۔ تم صاحب قرآن ہو۔ قرآن کی چلتی پھرتی تفسیر تم ہی بن سکتے ہو اور اس راہ میں اللہ تعالیٰ تمہارا حامی و ناصر ہوگا۔ انشاءاللہ!

(فاروق رشید فاروقی)

Farooque Rasheed Farooquee
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 अल्लाह फ़लस्तीन के मुसलमानों पर रहम करे!
दुनिया के सभी इंसानों से दर्ख़्वास्त है कि वो फ़लस्तीन के लिए और ख़ास तौर पर ग़ज़ा पट्टी के रहने वाले मुसलमानों के लिए दुआ करें। सनीचर से ग़ज़ा पट्टी पर लगातार बम फेंके जा रहे हैं। ग़ज़ा एक-एक बूंद पानी को तरस रहा है। पूरी दुनिया और 57 मुसलमानों के मुल्क तमाशा देख रहे हैं। Human Rights Commission बिल्कुल ख़ामोश है। हक़ीक़त यही है कि एक लम्बे अर्से से इज़राइल ज़ालिम है और फ़लस्तीन मज़लूम है। ग़ज़ा के 23 लाख मुसलमानों की ज़िन्दगी ख़तरे में है। वो हर लम्हा भूख और बद्हाली का सामना करते हुए अपनी मौत का इंतज़ार कर रहे हैं। पिछले पंद्रह बरसों में ग़ज़ा में लाखों मुसलमान इज़राइल ने मार दिए हैं। उनकी तकलीफ़ सुनने वाला भी कोई नहीं। इज़राइल के साथ पूरी दुनिया है और फ़लस्तीन पर अल्लाह ही रहम करने वाला है। जो अरब मुल्क फ़लस्तीन के साथ हैं वो उसको बचा नहीं सकते। इज़राइल के साथ अमेरिका है और वो सभी ताक़तें हैं जो मुसलमानों की दुश्मन हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने भी इज़राइल का साथ हमेशा दिया है।

हमास ने अगर एक हमला इज़राइल पर किया तो पूरी दुनिया को इज़राइल से हमदर्दी पैदा हो गई। लेकिन रोज़ एक लम्बे अर्से से जो ज़ुल्म इज़राइल ग़ज़ा पर कर रहा है उसके लिए किसी को हमदर्दी पैदा नहीं होती। अफ़सोस कि आज सऊदी अरब के बादशाह शाह फ़ैसल नहीं हैं वर्ना वो अमेरिका और इज़राइल को सबक़ सिखा देते। शाह फ़ैसल के ख़िलाफ़ साज़िश करके अमेरिका ने 1975 में उन्हें उन्हीं के भतीजे से क़त्ल करवा दिया था।

हम सभी मुसलमानों को फ़लस्तीन की हर मुमकिन मदद करना चाहिए और उनके लिए हर नमाज़ में दुआ करना चाहिए। अल्लाह धोखेबाज़ यहूदियों को ग़ारत करे। आमीन ! जिन मुसलमानों ने उन्हें सहारा दिया था ये उन्हीं को ख़त्म कर रहे हैं। पूरी इस्लामी तारीख़ गवाह है कि मुसलमानों ने कभी यहूदियों पर ज़ुल्म नहीं किया। लेकिन यहूदियों ने मौक़ा मिलने पर मुसलमानों का बहुत ख़ून बहाया। जब सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने बयतुल मुक़द्दस पर फ़तह हासिल की थी तो वहाॅं रहने वाले किसी यहूदी को कोई नुक़सान नहीं पहुॅंचाया था।
हिटलर की यह बात याद आती है “यहूदियों को इस दुनिया में जीने का हक़ नहीं है। मैंने यहूदियों की एक बड़ी आबादी को ख़त्म कर दिया है और कुछ यहूदियों को इसलिए छोड़ रहा हूॅं कि दुनिया यह समझ ले कि मैंने यहूदियों को क्यों मारा और यह भी कि मैंने जो कहा वो सच था।” आज यहूदी मुसलमानों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अज़ाब हैं। यहूदियों के बारे में अगर जानना चाहें तो क़ुरआन और इस्लामी हिस्ट्री पढ़ लीजिए। अल्लाह फ़लस्तीन के मुसलमानों पर रहम करे और एक आज़ाद फ़लस्तीनी रियासत वुजूद में आ जाए।आमीन!

(फ़ारूक़ रशीद फ़ारूक़ी)