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एससीओ समिट में क्या बोले चीन और पाकिस्तान : सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए : प्रधानमंत्री मोदी

शंघाई शिखर सहयोग सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद और संप्रभुता के मुद्दे पर चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना सीधे निशाना साधा है।

साथ ही तालिबान को सीधे टारगेट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान की धरती का प्रयोग पड़ोसी देशों में अस्थिरता और उग्रवाद को पोषित करने के लिए नहीं नहीं होना चाहिये और इसके लिए सभी देशों को साझा कदम उठाना होगा।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना है। इस चुनौती से निपटने के लिए एससीओ देशों द्वारा निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद किसी भी रूप में क्यों न हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी है। उन्होंने कहा कि कुछ देश क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म को अपनी नीतियों में हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकियों को पनाह देते हैं और एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिये।

उन्होंने कहा कि ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री ने चीन का नाम लिये बिना उसे नसीहत करते हुए यह भी कहा कि सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए।

पीएम मोदी ने एससीओ समिट में कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति का हम सभी की सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ा है। भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं एससीओ के अधिकांश सदस्य देशों के समान हैं। हमें अफगानिस्तान के नागरिकों के कल्याण के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे।

इसी प्रकार उन्होंने कहा कि अफगान नागरिकों की मानवीय सहायता, एक समावेशी सरकार का गठन, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी से मुकाबला, महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करना हमारी साझा प्राथमिकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दो दशक में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2021 के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं।

पीएम मोदी की मौजूदगी में एससीओ मीटिंग के दौरान शहबाज़ शरीफ़ बोले- धार्मिक अल्पसंख्यकों को…

भारत की मेजबानी में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन की वर्चुअल मीटिंग में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने चरमपंथ का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसके हरेक स्वरूप में इसकी निंदा की जानी चाहिए.

इस मीटिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अन्य देशों के नेता मौजूद थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने संबोधन में सीमा पार से होने वाले आतंकवाद का मुद्दा उठाया था.

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शहबाज़ शरीफ़ ने कहा, “शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों का क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में साझा हित हैं. दुनिया में कहीं भी विकास के लिए ये जरूरी शर्त होती है.”

उन्होंने अपने संबोधन में किसी देश का नाम तो नहीं लिया लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया. शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को घरेलू राजनीति के एजेंडे को पूरा करने के लिए खतरे के तौर पर नहीं पेश किया जाना चाहिए.

एससीओ समिट में क्या बोले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) की बैठक को संबोधित किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बीजिंग किसी भी तरह के संरक्षणवाद और एकतरफ़ा प्रतिबंधों का विरोध करेगा.

भारत की मेज़बानी में एससीओ की इस बैठक का आयोजन वर्चुअली हो रहा है.

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार शी ने बैठक में क्षेत्रीय शांति और सबकी सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया.

चीन के सरकारी चैनल सीसीटीवी के रिपोर्ट के अनुसार बैठक में राष्ट्रपति शी ने कहा, ”क्षेत्रीय शांति और स्थिरता हम सब की सामूहिक ज़िम्मेदारी है. चीन आर्थिक वैश्वीकरण के सही रास्ते पर चलता रहेगा. साथ ही संरक्षणवाद, एकतरफ़ा प्रतिबंधों जैसी चीज़ों का विरोध करता रहेगा.”

इस दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों के राजनीतिक समाधान को लेकर प्रतिबद्धता जताई.

एससीओ में भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान समेत कुल आठ सदस्य देश हैं.

इस बैठक में शी जिनपिंग के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ समेत अन्य सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल हुए.

इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाम लिए बिन चरमपंथियों के कथित इस्तेमाल को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधा.