नई दिल्ली: सीरिया में चल रहे क़त्लेआम पर पूरी दुनिया दुखी है और इसको रुकवाना चाहती है,बशार उल असद ने पिछले दस सालों में लगभग लाखों इंसानों का क़त्लेआम किया है,मासूमों को मौत के घाट उतारने के लिये कैमिकल अटैक करे हैं,और उन रासायनिक हथियारों का उपयोग किया है जो प्रतिबंधित हैं।
Never said when an attack on Syria would take place. Could be very soon or not so soon at all! In any event, the United States, under my Administration, has done a great job of ridding the region of ISIS. Where is our “Thank you America?”
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) April 12, 2018
अमेरिका ने सीरिया को कैमिकल हथियारों के इस्तेमाल पर कड़े शब्दों में निंदा करी है और इसको इंसानियत के लिये खतरा बताया है,जिसके बाद से माना जारहा है कि अमेरिका सीरिया पर हमलावर होगा जिसके लिये उसने नीति बनानी शुरू करदी है।
अमेरिकी अधिकारीयों के मुताबिक बुधवार को सीरिया में हो रहे संकट के बारे में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फ़ोन पर बातचीत की।
.@POTUS Trump spoke with President @RT_Erdogan of #Turkey to discuss the current crisis in #Syria. The two leaders agreed to stay in close contact about the situation. https://t.co/v496tYjukt
— Department of State (@StateDept) April 12, 2018
तुर्की राष्ट्रपति ऑफिस के एक अधिकारी ने अधिक विवरण ना देते हुए कहा की “दोनों नेताओं ने सीरिया की स्थित पर एक-दुसरे से अपने-अपने विचारों को साझा किया।” व्हाइट हाउस ने बाद में कॉल की पुष्टि की।
अधिकारीयों ने कहा की “दोनों नेताओं ने मौजूदा समय में सीरिया में हो रहे संकट के बारे में चर्चा की और दोनों नेताओं ने एक-दुसरे के साथ निकटम संपर्क में रहने पर सहमती व्यक्त की।
यह वार्ता ट्रम्प के ट्वीट के बाद की गयी, जिसमे ट्रम्प ने रूस को चेतावनी देकर कहा था की मिसाइल हमलों के लिए तैयार हो जाओ और तूम एक ऐसे जानवर का समर्थन नहीं कर सकते जो सीरिया के लोगों को मारता हो और आनंद लेता हो।
एक दिन पहले तुर्की के पीएम यिल्द्रिम ने अमेरिका और रूस को उनकी सीरिया में लड़ाई के अंत के लिए कहा था और कहा था की यह समय प्रतिद्वंदिता को खत्म करने का है क्योंकि इससे नागरिकों को नुकसान पहुँच रहा है।
तुर्की और संयुक्त राज्य अमेरिका प्रमुख नाटो सहयोगी हैं, लेकिन उनके संबंधों में कई मुद्दों पर दबाव डाला गया है जिसमें वाशिंगटन का सीरिया के कुर्द मिलिशिया को समर्थन देना भी शामिल है, जिसे अंकारा द्वारा आतंकवादी संगठन माना जाता है और हाल के महीनों में, तुर्की ने अपने मतभेदों के बावजूद रूस के साथ मिलकर काम किया है।
अंकारा ने असद के निकास की मांग करने वाले विद्रोही बलों का समर्थन किया जबकि मास्को दमिश्क में शासन के प्रमुख सहयोगी रहा है