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एनडीटीवी के प्रणय रॉय पर पड़ा था ”सीबीआई” का छापा, अब अडाणी कुल 55 फ़ीसद हिस्सेदारी बिना एनडीटीवी की सहमति के अधिग्रहण कर रहा है : रिपोर्ट

अडाणी समूह एनडीटीवी में करीब 30 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद रहा है और कुल 55 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की कोशिश कर रहा है. एनडीटीवी ने बस इतना कहा है कि यह अधिग्रहण बिना उसकी सहमति के हुआ है.

भारत के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडाणी की कंपनी द्वारा एनडीटीवी के अधिग्रहण की कोशिश के कई तार अभी भी उलझे हुए हैं. कई सवाल हैं जिनके जवाबों का अभी सामने आना बाकी है, लेकिन मामला कंपनियों के पेचीदा शेयरहोल्डिंग पैटर्न बनाने के इर्द गिर्द केंद्रित है. अडाणी समूह ने घोषणा की है कि वो एक सहायक कंपनी के जरिए एनडीटीवी समूह में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद रहा है.

अडाणी समूह ने यह भी बताया कि वो एनडीटीवी के अतिरिक्त 26 प्रतिशत शेयर खरीदने के लिए एक ओपन ऑफर भी ले कर आएगा. अगर अडाणी का यह ओपन ऑफर सफल हो जाता है तो समूह के पास एनडीटीवी की कुल 55.18 प्रतिशत हिस्सेदारी आ जाएगी और वह एनडीटीवी का सबसे बड़ा शेयरधारक बन जाएगा.

इस समय एनडीटीवी समूह के सबसे बड़े शेयरधारक उसके संस्थापक प्रणय रॉय, उनकी पत्नी राधिका रॉय और आरआरपीआर नाम की कंपनी हैं. इन तीनों को मिला कर प्रोमोटर और प्रोमोटर समूह कहा जाता है. इनके पास एनडीटीवी की कुल 61.45 प्रतिशत हिस्सेदारी है, लेकिन अडाणी समूह ने आरआरपीआर का भी अधिग्रहण कर लिया है. इसके बाद रॉय दम्पति के पास एनडीटीवी के सिर्फ 32 प्रतिशत शेयर बचे हैं.

कौन था असली खरीदार
एनडीटीवी ने एक बयान में कहा है कि उसे इस अधिग्रहण की कोई जानकारी नहीं थी और यह बिना उसकी सहमति के किया गया है. लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि एनडीटीवी या रॉय दम्पति को इसकी जानकारी होने की कोई जरूरत भी नहीं थी. उन्होंने 2009 में आरआरपीआर की तरफ से वीसीपीएल नाम की एक कंपनी से 403.85 करोड़ रुपयों का लोन लिया था और वीसीपीएल को आरआरपीआर के 99.99 प्रतिशत शेयरों पर अधिकार दे दिया था.


M K Venu
@mkvenu1
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The interesting thing about NDTV take over attempt is that Mukesh Ambani gains nothing by selling his 29% stake in NDTV to the Adani group. There is zero incentive. Key question is why hand over a media brand on a platter to an arch business rival? Thereby hangs a tale!

अब अडाणी समूह ने वीसीपीएल के जरिए आरआरपीआर का भी अधिग्रहण कर लिया है. सवाल वीसीपीएल पर भी उठ रहे हैं. कई विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यह रिलायंस समूह की एक शेल कंपनी थी और रिलायंस और अडाणी समूह इस समय एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं. द वॉयर के संस्थापक एडिटर एमके वेणु ने एक ट्वीट में लिखा कि बड़ा सवाल यही है कि रिलायंस ने अपने प्रतिद्वंदी समूह को एक मीडिया ब्रांड थाली में सजा कर क्यों दे दिया?

इस पूरे घटनाक्रम का मीडिया की स्वतंत्रता पर क्या असर पड़ेगा यह सवाल भी उठ रहा है. बीते कुछ सालों में प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सरकार के हित की पत्रकारिता करने लगा है. मीडिया के इस हिस्से पर सरकार और उसके नुमाइंदों से कोई सवाल ना पूछने के और सरकार के एजेंडा से जुड़े मुद्दे उठाने के आरोप लगते आए हैं.

pamela philipose
@pamelaphilipose

We know where Adani stands on freedom of the media given the innumerable SLAPP suits and defamation cases he has launched against credible journalists. His takeover of NDTV is a huge move and will impact media freedom in the country in innumerable ways.

मीडिया पर असर
एनडीटीवी के कुछ कार्यक्रमों को छोड़ कर समूह पर व्यापक रूप से इस तरह के आरोप नहीं लगे थे. लेकिन इस अधिग्रहण का एनडीटीवी की पत्रकारिता पर क्या असर पड़ेगा इसे लेकर चिंताएं उभर रही हैं. पत्रकार और एक्टिविस्ट पामेला फिलीपोस ने एक ट्वीट में लिखा कि पत्रकारों के खिलाफ अडाणी के मुकदमों के बारे में सभी जानते हैं और ऐसे में इस अधिग्रहण का मीडिया की स्वतंत्रता पर अनगिनत तरीकों से असर होगा.

गौतम अडाणी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी के तौर पर भी जाना जाता है और केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी पर अडाणी समूह के प्रति पक्षपात के आरोप भी लगते रहते हैं.

एक पुरानी ख़बर पढ़ें

एनडीटीवी के प्रणय रॉय पर सीबीआई का छापा

05.06.2017५ जून २०१७

भारतीय समाचार चैनल एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय रॉय के घर और तीन अन्य ठिकानों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने छापे मारे. इन्हें एक निजी बैंक से जुड़ा मामला बताया जा रहा है लेकिन चैनल इसे “विच हंट” बता रहा है.

प्रणय रॉय पर कथित रूप से एक निजी बैंक का आर्थिक नुकसान करने का आरोप है जबकि उनका चैनल एनडीटीवी इसे “पुराने घिसे पिटे” झूठे आरोपों के आधार पर किया गया “विच हंट” बता रहा है. सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौर ने बताया कि प्रणय रॉय, उनकी पत्नी राधिका रॉय और आरआरपीआर होल्डिंग्स के खिलाफ “आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से कथित तौर पर 48 करोड़ रूपये के नुकसान की शिकायत पर” यह कार्रवाई की गई है.

ANI
@ANI

Law is taking its own course, there is no witch-hunting at all: I&B Minister Venkaiah Naidu on CBI raids at Prannoy Roy’s locations

दिल्ली और देहरादून में कुल चार ठिकानों पर छापे डाले गये. एनडीटीवी ने अपने बयान में बताया, “आज सुबह, सीबीआई ने एनडीटीवी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ उन्हीं पुराने घिसे पिटे झूठे आरोपों के आधार पर अपने सम्मिलित उत्पीड़न के प्रयासों को आगे बढ़ाया.”

चैनल ने कहा है कि एनडीटीवी और उसके प्रमोटर खुद को निशाना बनाये जाने के खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे. इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए चैनल ने कहा, “हम भारत के लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को स्पष्ट रूप से कमजोर करने की ऐसी कोशिशों के सामने घुटने नहीं टेकेंगे.”

एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने ट्विटर पर इस कार्रवाई को “एक साफ संदेश” बताया. उन्होंने लिखा, “मीडिया में किसी भी स्वतंत्र आवाज को धौंस से दबाया जाएगा, चुप कराया जाएगा. काला दिन.”

Sreenivasan Jain
@SreenivasanJain

Message is clear: any independent voices in media will be bullied and shut down. Black day.

Press Trust of India
@PTI_News
#CBI carries out searches at residence of #NDTV founder #PrannoyRoy, three other locations for allegedly causing loss to a private bank.

आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व पत्रकार आशुतोष ने भी “सरकार के दमनकारी कदमों” के खिलाफ भारतीय मीडिया से एकजुट होने की अपील की.

भारत के कई दक्षिणपंथी संगठन एनडीटीवी पर कांग्रेस समर्थक होने के आरोप लगाते हैं. लेकिन सीबीआई का कहना है कि जांच और इन छापों का चैनल की संपादकीय विचारधारा से कोई संबंध नहीं है. एनडीटीवी देश का सबसे पुराना अंग्रेजी न्यूज चैनल है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और बीजेपी के सदस्यों के हवाले से लिखा है कि वे एनडीटीवी को सरकार के सबसे-कम अनुकूल चैनल मानते हैं.

गुरुवार को इसी चैनल पर गुई एक बहस में एंकर निधि राजदान ने अपने शो ‘लेफ्ट, राइट एंड सेंटर’ में सत्ताधारी बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा को एक मुद्दे पर या तो माफी मांगने या फिर लाइव बहस से निकल जाने को कहा था. बहस का विषय देश में पशुओं की खरीद ब्रिकी पर रोक का था, जिसके विरोध में मेघालय में बीजेपी के एक नेता ने पार्टी छोड़ दी थी. पात्रा जवाब देने के बजाय चैनल पर लगातार सरकार-विरोधी एजेंडा को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते रहे.

Sambit Patra
@sambitswaraj

And when You call this an “Agenda” …then they pull out the camera from you …

Minhaz Merchant
@MinhazMerchant
.@ndtv continues to call the calf slaughtered by Congress workers in Kerala an ox. Is it just bad English or bad intent?

Shashank Dwivedi
@vickyBadshahsha

Adani-NDTV: एनडीटीवी में अदाणी की इंट्री के बाद शेयरों में उछाल, पांच फीसदी तक चढ़े मीडिया कंपनी के शेयर
एनडीटीवी के शेयरों पांच प्रतिशत तक की बढ़ोतरी आई। इसी के साथ कंपनी के शेयर दिन के अपर सर्किट को छू गए।